Friday, January 8, 2010

सिंहनी के लेंहड़े...!!!



साहसी लोगों के झुण्ड के झुण्ड हैं। कौन कहता है कि सिंहों के लेंहड़े नही होते। यहां आओ और देखो। ढेला उठाओ और दो शेर निकलेंगे उसके नीचे – कम से कम। साहस के लिये चरित्र फरित्र नहीं चाहिये। की-बोर्ड की ताकत चाहिये। टाइगर कागज से बनते हैं। सिंह की-बोर्ड से बनते हैं

मानसिक हलचल वाले सर्वश्री ज्ञानदत्त जी ने क्या बात कह दी.....सचमुच नत-मस्तक हूँ मैं, उनके  सामने....
उनकी  बातों से हृदय से सहमत होते हुए आप सभी पाठकों को कुछ और भी दिखा देती हूँ.....यह है साहस का एक और नमूना....

हम-आप टिपण्णी को रोते रहते हैं....यहाँ तो पूरी की पूरी चिटठा चर्चा साहस का प्रतीक बनी हुई है.....चर्चा है जी नाम गायब.....अब इस साहस पर भला कौन न बलिहारी जावे....अब ई भी हमको मालूम नहीं कि 'लेंहड़े' सिंहनी का होता भी है कि नहीं....अगर जो होता है तो सिंहनी जी कहाँ हैं...और ईहाँ 'लेंहड़े' है भी कि नहीं ???  अगर लेंहड़े इसी को कहते हैं तो अपने भरपूर साहस का परिचय देते हुए सिंहनी निकल  लीं और रख गयीं हैं...'लेंहड़े' ..दर्शन कर लीजिये....

लेकिन इन सारी बातों में बस एक बात अहम् है वो है 'साहस' ...वो है कहाँ  ??  आज कल दिखाई नहीं पड़ता है...अगर वो मिले तो उसे हिंदी ब्लॉग जगत तक ज़रूर पहुंचा दीजियेगा....ज़रुरत है उसकी यहाँ...

यूँ तो मुझे बेफजूल कि बात करने की आदत तो है नहीं....फिर भी हम सोचे कि आप अकेले काहे दुखी होवेंगे...एक दुखी दूसरे दुखी को देखे तो तनिक ढाढस  होता है...
फिर ई भी सोचे कि अब ईहाँ  कोई आता जाता नहीं इनदिनों...थोड़ी मदद भी हो जावेगी. ..टी.आर.पी. में..:):)

28 comments:

  1. अदाजी, एक बात इमानदारी से कहना चाहता हूँ , जैसा कि मैंने पहले किसी ब्लॉग पर कहा, यहाँ ब्लॉग जगत पर हर ब्लोगर पढ़ा लिखा ही नहीं बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा है ! इसलिए जहां मुझे कोई गुरूर दिखाई देता है मैं वहाँ टिपण्णी नहीं करता, आप समझ ही गई होंगी ( वैसे मेरी तिपानी कोई बहुत ज्यादा मायने भी नही रखती )

    ReplyDelete
  2. .टी.आर.पी. में..:):)........सही है.

    ReplyDelete
  3. उससे फालतु में क्या बोलें जिसे अपना नाम बताने मे भी शर्म महसुस हो रही हो , बाकी आप समझ ही सकती है ।

    ReplyDelete
  4. गोदियाल जी,
    आपकी टिपण्णी किसी और के लिए मायने रखती है या नहीं रखती है ...मेरे लिए ज़रूर रखती हैं...
    मुझे अपनी बात आज कहनी पड़ी ..बहुत दिनों से ये तमाशा देख रही हूँ...
    बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की आदत हो गयी है लोगों को...वो भी छुप कर...
    सामने आकर बात क्यूँ नहीं करते ये लोग...तो कुछ बात-चीत हो..
    इसलिए मुझे आज यह लिखना पढ़ा...
    मेरी पोस्ट के आरम्भ में ही एक disclaimer लगा हुआ है....फिर ऐसी बेतुकी बात का अवचित्य ???
    क्षमा चाहती हूँ आपसे...!!

    ReplyDelete
  5. अरे, आपको नहीं पता चला़?
    हमें तो ब्लागवाणी से ही पता चल गया कि आज की चिठ्ठाचर्चा नोटपैड ने की है

    वहां पर ali की टीप देखिये, उन्होंने भी नोटपैड का नाम लिखा है...

    ReplyDelete
  6. @रवि जी,
    मैंने सिर्फ जाकिर जी की टिपण्णी देखी जो निम्नलिखित है...

    ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said:
    ऐसी चर्चा पहली बार देख रहा हूँ, जिसमें चर्चाकार का नाम ही नहीं है। शायद इसीलिए मुझे लग रहा है कि यह चर्चा दूसरी वाली पोस्ट के लिए ही लिखी गयी है, वर्ना यह ऐसा विषय है, जिसपर ब्लॉग जगत में बहुत कुछ लिखा जा रहा है।

    ReplyDelete
  7. आश्चर्य है आप भी रजनीश और मिथिलेश की भांति नोटपैड यानी सुजाता जी को नहीं जानती ! वे नारी मन की चतुर चितेरी और एक विदुषी हैं .उन्होंने तो बस आपके दृष्टिकोण को वहां रख दिया है ताकि विचार विनिमय हो सके ! हाँ विद्वता का आग्रह उनमें कुछ ज्यादा प्रबल है इसलिए खुद को आम से ऊपर पाती हैं .....

    ReplyDelete
  8. THIS IS THE COMMENT I HAVE GIVEN ON CHITTHA CHARCHA..

    Tarannum ji,
    I must confess and call a spade a spade...
    My reaction towards this particular post was totally based on the first comment by mr. zakir 'rajnish' , I am totally an aware of 'notepad' ..so my immediate reaction was this is another be-naami gimmick ..as it is all around...

    secondly, my impression towards the team of chittha charcha is bit hazy...now this is not a very healthy relation, then again I am a new kid in the block...just 5 months old ...Chittha Charcha team never took a time or bothered to look at the new comers...like us...I personally never got a word, forget about the encouragement part....from this place ever...
    The only thing I ever get is sarcastic one laaina..
    So honestly..I reacted...
    Still fact of the matter about 'saari' in my view remains the same....the very existence of 'saari' in future is doubtful and that 'saari' is loosing her ground very fast...
    so lets 'agree to disagree'
    and I extend my sincere apology towards Sujata ji about my total ignorance about her blog name 'Notepad'....
    sincerely...
    Ada..

    ReplyDelete
  9. I am totally an aware of 'notepad'

    please read 'unaware'

    ReplyDelete
  10. अदा जी हम भी हुये दुखी.

    ReplyDelete
  11. हमें नहीं पता था कि बात निकलेगी तो इतनी दूर तलक जायेगी...हम तो यूँ ही एक सार्थक संदेश मान लाईटली ले गये थे बाकी का मैटर...क्षमाप्रार्थी!!

    ReplyDelete
  12. हम पर भी ये भेद खुला कि ये नोटपेड है क्या ...वही हैं जो नारी सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं को भेजाविहीन का तमगा भेंट करती हैं शायद ...एक और ऐसी ही चिटठा चर्चा पहले भी की गयी थी आपको याद हो तो जिसमे सिर्फ एक पोस्ट की कुछ टिपण्णीयों का जिक्र था ... !!

    ReplyDelete
  13. वाणी,
    तेरा साथ है कितना प्यारा...
    कम लगता है जीवन सारा...

    ReplyDelete
  14. फिर भी हम सोचे कि आप अकेले काहे दुखी होवेंगे...एक दुखी दूसरे दुखी को देखे तो तनिक ढाढस होता है...
    एक गाना है दुखी मन मेरे..जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना..बहुत दुखी होकर यह सोचना पड़ रहा है। हां हम भी दुखी हैं।

    ReplyDelete
  15. एक अंग्रेजी में कहावत है ...उसका ट्रांसलेषन ....है.... कि जो कम नौलेजब्ल इंसान होता है वो बहुत ज्यादा उछलता है... और जो नौलेजैबल इंसान होता है वो हमेशा कन्फ्यूज़ रहता है... ऐसे कुछ लोग होते हैं.... जो आपकी काबिलियत को समझ नहीं पाते हैं..... तो उसकी बखिया उधेड़ते हैं.... यह भी देखिएगा जो इंसान जलन रखता है वो हमेशा यह कहेगा कि ...फलाना इंसान सही नहीं है.... फलाना खराब है.... जो सही इंसान होता है वो दूसरों कि नेगेटिवनेस में भी पोसिटिवनेस ही खोजता है.... और नाकाबिल इन्सान ही दूसरों में खामियां देखता है... एक चीज़ और ....सुंदर लोगों से हर कोई जलन रखता है... आप के साथ भी यही हो रहा है.... एक चीज़ और जो इंसान अनपढ़ होता है ...वो दूसरों पर अंग्रेजी बोल कर जताता है कि वो पढ़ा लिखा है.... यह भी देखिएगा कि अंग्रेजी कौन लोग बोलते हैं... आईये आज मैं बताता हूँ कि अंग्रेजी कौन लोग बोलते हैं..... खासकर हिंदुस्तान में:-----

    १. शराबी आदमी
    २. कम पढ़ा लिखा आदमी..
    ३. सेल्समैन टाइप के लोग .... यह लोग खुद को मार्केटिंग मैनजर भी कहते हैं...
    ४. गुस्सैल इंसान
    ५. वो इंसान जिनमें राष्ट्रवाद कि कमी होती है... वो कोई भी हो सकता है.... बड़ा से बड़ा अधिकारी भी , नेता भी और टुच्चा भी...
    ६. वो जो दिखावा करते हैं...

    ढंग का इंसान ज़रुरत पर ही अंग्रेजी बोलेगा....

    (नोट: यहाँ मैं यह बता दूं कि मैं अंग्रेजी का ही लेखक हूँ ... मेरा प्रोफाइल कृपया पढ़ लें....मैं खुद को अंग्रेजी का शेक्सपियर कहता हूँ... मेरा नाम गूगल में सर्च कर लें तो मेरी अंग्रेजी दिख जाएगी... इसलिए यहाँ कोई मुझे कुछ न कहे ... और कहेगा तो मूंह कि खायेगा.)

    यहाँ अब आप के साथ यह हो रहा है कि आप के फैन्स देख कर ... चाहने वालों को देख कर ...सौतिया डाह पनप रही है... अंगूर जब ऊंचाई पर लगे होते हैं.... तो तोड़ने वाला तोड़ नहीं पता है... तब वो पत्थर मार कर ही तोडना चाहता है...



    (NB:--भई.... आपने देखा होगा कि खेतों में....एक पुतला गाडा जाता है .... जिसका सर मटके का होता है... उस पर आँखें और मूंह बना होता है.... और दो हाथ फूस का..... वो इसलिए खेतों में होता है.... कि फसल जब पक जाती है ..... तो कोई जानवर-परिंदा डर के मारे न आये...... मैं वही पुतला हूँ.... )



    A Special Note: महफूज़ को जब गुस्सा आता है तो ... दूर कहीं ज्वालामुखी फटता है... लावा से बचने का इंतज़ाम कर लेना चाहिए पहले से ही.... ऐसी कहावत कही जाती है....

    ReplyDelete
  16. वाणी दी... मुझे गुस्सा आ रहा है.... पर आप सब लोगों कि वजह से खामोश हूँ....

    ReplyDelete
  17. वाणी दी.... नोटपैड फाड़ दूं क्या?

    ReplyDelete
  18. अदा जी,
    पहली बात...ये शीर्षक अपने सिर से निकल गया है...इसका अर्थ सीधी-साधी भाषा में समझाइए...

    ये कमेंट के साथ विवाद क्यों बिना बुलाए मेहमान की तरह चले आ रहे हैं...(क्या किसी भारतीय राजनेता ने तो नहीं साइट को हैक कर लिया है...)

    अब सोच रहा हूं...तेरा क्या होगा खुशदीपिया...तुझे तो हर कमेंट में हल्की-फुल्की मौज लेने की बीमारी है...

    टिपियाना बंद कर देई का...नहीं...नहीं...बताइए...बताइए...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  19. चिट्ठाचर्चा जिसने भी की हो,पर इतने सारे पोस्ट्स में से सिर्फ दो पोस्ट का चयन,उचित नहीं है....कितनी बार चिट्ठाचर्चा से कई अच्छे पोस्ट्स के लिंक मिले हैं, पर इतनी बड़ी टीम और सिर्फ दो पोस्ट्स का उल्लेख??
    ब्लॉग में अपने विचारों को रखने का हक़ सबको है...जब तक कोई व्यक्तिगत आक्षेप ना हो,या किसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल ना किया गया हो,किसी को शिकायत नहीं होनी चाहिए.

    ReplyDelete
  20. @ महफूज़ अली
    गुस्से में अपनी भाषा पर कण्ट्रोल रखा और गुस्सा शांत करने का तरीका अजमाया ...तेरा बहुत अहसान है अपनी वाणी दी पर ....थैंक्स ...हमेशा ऐसा ही रहना ...जो नोट पेड फाड़ने की बात नहीं करताऔर लास्ट वाला नोट (NB:--भई..) हटा देता तो और भी अच्छा होता ....!!

    ReplyDelete
  21. आजकल एक ही कविता लिंक पे उलझे हुए हैं हम...
    और नए नए लिंक पे नहीं जाया जा सकता....

    हाँ,
    साडी पर कह चुके हैं पहले ही ...

    ReplyDelete
  22. @महफुज भाई से एक सौ एक प्रतिशत सहमत हूँ ।

    ReplyDelete
  23. @ खुशदीप जी
    लेंहड़े का मतलब झुण्ड होता है खुशदीप जी...जहाँ तक मुझे मालूम है..

    ReplyDelete
  24. लेंहड़े का मतलब का अर्थ मुझे भी नहीं मालूम था .

    ReplyDelete
  25. महफुज भाई से एक सौ एक प्रतिशत सहमत हूँ ।

    ReplyDelete