ज़िन्दगी कैसे बसर हो सोचते रहते हैं हम
परेशानी कुछ कमतर हो सोचते रहते हैं हम
मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
ख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम
गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
बस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
वफ़ा की देगची में मेरे ख़्वाब उबल रहे हैं
अब यहीं मेरा गुज़र हो सोचते रहते हैं हम
तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
बस तुझपर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम
मत कर शुरू नई कहानी रहने दे वो वर्क पुराने
तू लौटा अपने घर हो सोचते रहते हैं हम
तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
ReplyDeleteबस तुझपर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम
bahut khoob !
@ मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
ReplyDeleteख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम
मील
तनहाई
करवट
सफर
बुनावट हो तो ऐसी ! कस कर कोई कसक भी बँधी है क्या इस बुनाई के भीतर?
गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
ReplyDeleteउसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम ...
Wah! bahut sunder .....line hai....
वाह क्या बिम्ब दिया है :
ReplyDeleteवफा की देगची में ख्वाब का उबलना
बहुत ही सुन्दर
ज़िन्दगी कैसे बसर हो सोचते रहते हैं हम
ReplyDeleteपरेशानी कुछ कमतर हो सोचते रहते हैं हम
बहुत ही सुन्दर
‘वफ़ा की देगची’ एक नया प्रयोग और प्रतीक लगा। बधाई।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गजल है अदा जी,
ReplyDeleteहर बार इतना अच्छा कैसे लिख लेते हो
ReplyDeleteसोचते रहते हैं हम ......
सच्ची में ...
गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
ReplyDeleteबस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
-बहुत कोमल गज़ल!! वाह-बढ़िया!!
आप की इस ग़ज़ल में बिम्ब, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।
ReplyDeleterachanaa achhi hai ........ kyun manu bhaee... agar aapko buraa naa lage to apkaa email id milega//..
ReplyDeletearsh
गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
ReplyDeleteबस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
ये सोचने की शक्ति ही तो जिंदा रहने का संबल है....ख़ूबसूरत ग़ज़ल
तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
ReplyDeleteबस तुझ पर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम
बहुत खूब अदा जी
बेशकीमती शेर ... शुभान अल्लाह
अब मुझे आपकी पुरानी पोस्ट भी पढ़नी पड़ेंगी
सन्डे को यही करूंगा !
शुभ कामनाएं
गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
ReplyDeleteबस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
bahut khoob
ahsas krvana jaruri hai
गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
ReplyDeleteबस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
वाह सुन्दर कहन के साथ सुन्दर प्रस्तुति!
मैं कहूं तो बस ये के:
"उसको न खबर थी न मेरी याद थी उसको,
लेकर दिले बर्बाद जिसे ढूंड्ते थे हम!"
Waah !!! Waah !!! Waah !!! Lajawaab !!!
ReplyDeleteSare hi sher lajawaab !!! sundar gazal !!!
हर एक शेर, पूरी गज़ल उम्दा । जाहिराना तौर पर बुनावट बेहतरीन है । आभार ।
ReplyDeleteमीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
ReplyDeleteख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम
अति सुन्दर अभिव्यक्ति!
मीलों बिछी तन्हाई
ReplyDeleteवफ़ा की देगची
सुन्दर शब्द संयोजन ...अनुपम उपमायें ...
तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
बस तुझपर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम
मत कर शुरू नई कहानी रहने दे वो वर्क पुराने
तू लौटा अपने घर हो सोचते रहते हैं हम
निखरती जा रही हैं कवितायेँ ..दिन - ब - दिन ...बहुत बढ़िया ...
bahut achhi gajal hai /
ReplyDeletepadh kar man udas sa ho gaya /
वाह वाह और क्या कहा जा सकता है!
ReplyDeleteAre itna na sochiye Ada JI! bahut achcha likha hai ji.bahut hi sunder.
ReplyDeleteHello,
ReplyDeleteIt is been a long time, I read your blog... was a little busy...
Wonderful creation of yours! Written with a lot of truth and sincere talent :)
God bless.
Take care
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
Question:मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
ReplyDeleteख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम
Answer: Ek safar hai zindagi aur maut uska ant hai,
Door ab itni nahi bas wo rahi hain manzlein.
waise aap sochte bahut ho di...
ReplyDeleteItna mat sochja karo.
Tujhko is duniya se lena kya?
Kha khuja batti bujha soja.
Bachwa.
आपने शुरू की इन दो लाईनों में इतनी जा डाल दी है कि इसका कोई
ReplyDeleteजबाब नहीं है । वैसे भी आपकी जो भी गज़लें होती हैं गज़ब होती हैं । मैं
समयाभाव के चलते ब्लॉग पर नहीं आ पा रहा हंूं आज जैसे ही थोड़ा सा
समय मिला मैं ब्लाग पर आया । मैं इस समय अपने संग्रहालय में कुछ नया
करने के प्रयास में लगा हूं जो अन्तिम दौर में है ।