Thursday, November 12, 2009

सोचते रहते हैं हम...


ज़िन्दगी कैसे बसर हो सोचते रहते हैं हम
परेशानी कुछ कमतर हो सोचते रहते हैं हम

मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
ख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम

गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
बस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम



वफ़ा की देगची में मेरे ख़्वाब उबल रहे हैं
अब यहीं मेरा गुज़र हो सोचते रहते हैं हम

तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
बस तुझपर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम

मत कर शुरू नई कहानी रहने दे वो वर्क पुराने
तू लौटा अपने घर हो सोचते रहते हैं हम

26 comments:

  1. तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
    बस तुझपर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम

    bahut khoob !

    ReplyDelete
  2. @ मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
    ख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम

    मील
    तनहाई
    करवट
    सफर

    बुनावट हो तो ऐसी ! कस कर कोई कसक भी बँधी है क्या इस बुनाई के भीतर?

    ReplyDelete
  3. गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
    उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम ...

    Wah! bahut sunder .....line hai....

    ReplyDelete
  4. वाह क्या बिम्ब दिया है :
    वफा की देगची में ख्वाब का उबलना
    बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
  5. ज़िन्दगी कैसे बसर हो सोचते रहते हैं हम
    परेशानी कुछ कमतर हो सोचते रहते हैं हम
    बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
  6. ‘वफ़ा की देगची’ एक नया प्रयोग और प्रतीक लगा। बधाई।

    ReplyDelete
  7. बहुत खूबसूरत गजल है अदा जी,

    ReplyDelete
  8. हर बार इतना अच्छा कैसे लिख लेते हो
    सोचते रहते हैं हम ......

    सच्ची में ...

    ReplyDelete
  9. गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
    बस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम

    -बहुत कोमल गज़ल!! वाह-बढ़िया!!

    ReplyDelete
  10. आप की इस ग़ज़ल में बिम्ब, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।

    ReplyDelete
  11. rachanaa achhi hai ........ kyun manu bhaee... agar aapko buraa naa lage to apkaa email id milega//..


    arsh

    ReplyDelete
  12. गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
    बस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
    ये सोचने की शक्ति ही तो जिंदा रहने का संबल है....ख़ूबसूरत ग़ज़ल

    ReplyDelete
  13. तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
    बस तुझ पर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम


    बहुत खूब अदा जी
    बेशकीमती शेर ... शुभान अल्लाह
    अब मुझे आपकी पुरानी पोस्ट भी पढ़नी पड़ेंगी
    सन्डे को यही करूंगा !

    शुभ कामनाएं

    ReplyDelete
  14. गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
    बस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम
    bahut khoob
    ahsas krvana jaruri hai

    ReplyDelete
  15. गुम गया है वो कहीं या उसने भुला दिया है
    बस उसको मेरी खबर हो सोचते रहते हैं हम

    वाह सुन्दर कहन के साथ सुन्दर प्रस्तुति!
    मैं कहूं तो बस ये के:

    "उसको न खबर थी न मेरी याद थी उसको,
    लेकर दिले बर्बाद जिसे ढूंड्ते थे हम!"

    ReplyDelete
  16. Waah !!! Waah !!! Waah !!! Lajawaab !!!

    Sare hi sher lajawaab !!! sundar gazal !!!

    ReplyDelete
  17. हर एक शेर, पूरी गज़ल उम्दा । जाहिराना तौर पर बुनावट बेहतरीन है । आभार ।

    ReplyDelete
  18. मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
    ख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम

    अति सुन्दर अभिव्यक्ति!

    ReplyDelete
  19. मीलों बिछी तन्हाई
    वफ़ा की देगची
    सुन्दर शब्द संयोजन ...अनुपम उपमायें ...

    तेरी ऊँचाइयों तक मेरे हाथ कहाँ पहुंचेंगे
    बस तुझपर मेरी नज़र हो सोचते रहते हैं हम
    मत कर शुरू नई कहानी रहने दे वो वर्क पुराने
    तू लौटा अपने घर हो सोचते रहते हैं हम

    निखरती जा रही हैं कवितायेँ ..दिन - ब - दिन ...बहुत बढ़िया ...

    ReplyDelete
  20. bahut achhi gajal hai /
    padh kar man udas sa ho gaya /

    ReplyDelete
  21. वाह वाह और क्या कहा जा सकता है!

    ReplyDelete
  22. Are itna na sochiye Ada JI! bahut achcha likha hai ji.bahut hi sunder.

    ReplyDelete
  23. Hello,

    It is been a long time, I read your blog... was a little busy...

    Wonderful creation of yours! Written with a lot of truth and sincere talent :)

    God bless.
    Take care
    Regards,
    Dimple
    http://poemshub.blogspot.com

    ReplyDelete
  24. Question:मीलों बिछी तन्हाई जो करवट लिए हुए है
    ख़त्म अब ये सफ़र हो सोचते रहते हैं हम

    Answer: Ek safar hai zindagi aur maut uska ant hai,
    Door ab itni nahi bas wo rahi hain manzlein.

    ReplyDelete
  25. waise aap sochte bahut ho di...

    Itna mat sochja karo.

    Tujhko is duniya se lena kya?
    Kha khuja batti bujha soja.


    Bachwa.

    ReplyDelete
  26. आपने शुरू की इन दो लाईनों में इतनी जा डाल दी है कि इसका कोई

    जबाब नहीं है । वैसे भी आपकी जो भी गज़लें होती हैं गज़ब होती हैं । मैं

    समयाभाव के चलते ब्लॉग पर नहीं आ पा रहा हंूं आज जैसे ही थोड़ा सा

    समय मिला मैं ब्लाग पर आया । मैं इस समय अपने संग्रहालय में कुछ नया

    करने के प्रयास में लगा हूं जो अन्तिम दौर में है ।

    ReplyDelete