Friday, November 20, 2009
'अदा' गाये.... तुम्हीं मेरे मन्दिर.....हे मैंने क़सम ली....
चित्रपट : खानदान
संगीतकार : रवि
गीतकार: राजिंदर किशन
गायिका : लता मंगेशकर
आवाज़ इस पोस्ट पर....स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा'
तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा, तुम्हीं देवता हो
कोई मेरी आँखों से देखे तो समझे, कि तुम मेरे क्या हो
जिधर देखती हूँ उधर तुम ही तुम हो
न जाने मगर किन खयालो में गुम हो
मुझे देखकर तुम ज़रा मुस्कुरा दो
नहीं तो मैं समझूंगी, मुझसे खफा हो
तुम्हीं मेरे मंदिर...
तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झील-मिल
तुम्हीं मेरे हाथों के गजरो की मंजिल
मैं हूँ एक छोटी-सी माटी की गुड़िया
तुम्हीं प्राण मेरे, तुम्ही आत्मा हो
तुम्हीं मेरे मंदिर...
बहुत रात बीती चलो मैं सुला दूं
पवन छेड़े सरगम मैं लोरी सुना दूं
तुम्हें देखकर ये ख़याल आ रहा है
के जैसे फ़रिश्ता कोई सो रहा हो
तुम्हीं मेरे मंदिर...
दोनों प्लायेर्स में से किसी में भी सुनिए ..
तुम्हीं मेरे मन्दिर.....
चित्रपट : तेरे मेरे सपने
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
गीतकार : नीरज
गायक : लता, किशोर कुमार
आवाज़ इस पोस्ट पर......संतोष शैल और स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा'
कि: हे मैं ने क़सम ली
ल: ली
कि: हे तूने क़सम ली
ल: ली
कि: नहीं होंगे जुदा हम...
कि/ल: हे मैं ने क़सम ली
कि: साँस तेरी मदिर मदिर जैसे रजनी गंधा
प्यार तेरा मधुर मधुर चाँदनी की गंगा
ल: hm hm साँस तेरी मदिर मदिर जैसे रजनी गंधा
प्यार तेरा मधुर मधुर चाँदनी की गंगा
नहीं होंगे जुदा
कि: नहीं होंगे जुदा
ल: नहीं होंगे जुदा हम...
मैं ने क़सम ली
कि: ली
ल: हे तूने क़सम ली
कि: ली
ल: नहीं होंगे जुदा हम...
कि/ल: हे मैं ने क़सम ली
ल: पा के कभी, खोया तुझे, खो के कभी पाया
जनम जनम, तेरे लिये, बदली हमने काया
कि: पा के कभी, खोया तुझे, खो के कभी पाया
जनम जनम, तेरे लिये, बदली हमने काया
नहीं होंगे जुदा
ल: नहीं होंगे जुदा
कि: नहीं होंगे जुदा हम...
मैं ने क़सम ली
ल: ली
कि: हे तूने क़सम ली
ल: ली
कि: नहीं होंगे जुदा हम...
कि/ल: हे मैं ने क़सम ली
कि: एक तन है, एक मन है, एक प्राण अपने
एक रंग, एक रूप, तेरे मेरे सपने
ल: एक तन है, एक मन है, एक प्रण अपने
एक रंग, एक रूप, तेरे मेरे सपने
नहीं होंगे जुदा
कि: नहीं होंगे जुदा
ल: नहीं होंगे जुदा हम...
मैं ने क़सम ली
कि: ली
ल: हे तूने क़सम ली
कि: ली
ल: नहीं होंगे जुदा हम...
कि/ल: हे मैं ने क़सम ली
दोनों प्लायेर्स में से किसी में भी सुनिए ..
हे मैंने क़सम ली....
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
पहला गीत...
ReplyDeleteलगता है अपनी आंखों में आजकल कुरकुरे हो गए हैं, इसलिए कुछ साफ़ नहीं दिखाई दे रहा...
दूसरा गीत
संतोष जी ने कसम ली है...खुद पर सितम ढहवाने की...
अदा जी ने कसम ली है...सितम ढहाने की...
(संतोष जी से मेरी पूरी हमदर्दी है)
जय हिंद
ये गाना सचमुच बहुत ही सुन्दर और दिल को लुभाने वाला है | "अदाजी " आपका शुक्रिया!!!
ReplyDeletegaaana bahut achcha laga....
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteइन गानों को गाकर आप हमें हमारे स्कूल के दिनों की याद दिला रही हैं जब हम स्कूल से भाग कर इन फिल्मों को देखने जाया करते थे।
ReplyDeleteअदा जी दोनो ही गीत बहुत सुंदर लगे आप दोनो की आवाज मै, ओर दोनो ही मेरी पसंद के भी है, यह गीत उस जमाने के है जब हम शायाद स्कुल मे नोवीं दस्वी मै थे, ओर स्कुल से भाग कर फ़िल्म देखने का मजा ही अलग था
ReplyDeleteधन्यवाद
दोनों ही दिलकश प्रस्तुतियां
ReplyDeleteदोनों गीत दिल से गाये हैं इसलिए अच्छे लगते हैं...कहीं कहीं सुर से छेड़ छाड़ हुई है लेकिन अपनी ख़ुशी के लिए गाये ये गीत मधुर हैं...
ReplyDeleteनीरज
हाय.........!!!!!!!!!!
ReplyDeleteये गीत बचपन से मेरे मन में बसा हुआ है आज अदा दी ने इसमे और भी जीवन डाल दिया...
ReplyDelete"ब्लॉग-कोकिला" को मेरा हार्दिक प्रणाम..!!!
:)
ReplyDeleteअब डाउन लोड भी हो गया...और सुना भी जा रहा है आराम से...
मस्त है एक दम...
पाके कभी खोया तुझे खो के कभी पाया ...
जनम हनम तेरे लिए बदली हमने काया....
अच्छा है के आपकी गजल उलझ गयी...
हा हा हा हा ...
अगला गाना सुनते हैं....
ReplyDeleteएक छोटे से ब्रेक के बाद....
स्वप्न मंजूषा शैल अदाजी ! मेरा मन हमेशा ही आपके ब्लॉग पर आने को उतावला रहता है पता है क्यो ? अरे थोड़ी सा सुकून जो मिला जाता है.. आपकी कविताओ गीतों एवं गजलो के हम कायल रहे है। आज तो आपके मधुर कंठ को सुन स्वप्नलोक भ्रमण का आभास करा दिया आपने।
ReplyDeleteमुन्ना भाई ! का आदेश था की मै आपके मधुर कोकिला कंठ को रिकोर्ड कर उन्हें सुनाओ सो आदेश का पालन करने आया था , पर यहाँ आकर जाने का मन ही नही कर रहा है। बार बार आपके लय की रिकोर्ड सुन रहा हो........ स्वप्न मंजूषा शैलजी आपको शैलियुट......
MUMBAI TIGER
ब्लाग चर्चा "मुन्ना भाई" की
जो वादा करें वो निभाना चाहिये ?
ReplyDeleteहे ! क्या मैने गलत कहा
अदा जी,
ReplyDeleteआपकी आवाज को इस अंदाज में सुनने वाला शायद मैं पहला नहीं तो दूसरा ब्लोगर तो हूं ही और ये तो उसी दिन समझ गया था कि जितना गजब आप अपनी लेखनी से ढाती हैं उतना ही अपनी गायकी से भी .गीत तो दोनों सुंदर हैं ही खैर
Jawab nahin aapka Di..
ReplyDeleteJai Hind...
दोनो गाने सुरीले लगे
ReplyDeleteआदरणीय श्याम सखा जी,
ReplyDeleteप्रणाम,
मैं आपकी बात बिलकुल समझ गयी....
मुझे याद है कि आपसे मैंने वादा किया है मैं आपकी ग़ज़ल गाऊँगी....
और पूरी कोशिश करुँगी गाने की.....
दरअसल इन गानों को गाना आसन है लेकिन नयी ग़ज़ल को स्वरबद्ध करना फिर संगीत बनाना ...मुश्किल तो नहीं बस समय चाहिए....
जैसे ही समय मिलेगा.....हाज़िर होगी आपकी ग़ज़ल....
अच्छा लगा आपका आना...
ह्रदय से आभार...
hnm....
ReplyDeleteतुम्ही मेरे मंदिर..
ReplyDeleteआज सुन सका हूँ अदा जी...
बड़ी मुश्किल से हुआ डाउनलोड...
पर आखिर हो गया...
बहुत सुंदर गाया है आपने..!
ये गीत नूतन के बजाय मीना जी पर ज्यादा सूट करता..
ऐसा मेरा शुरू से ही मानना है...