मत पूछ तू मेरी नींद का आलम, ख़्वाब जगे थे रात भर
शहरे-दिल में चहल-पहल थी, चले कारवाँ रात भर
धूप के टुकड़े छम-छम बरसे, जला चाँद भी रात भर
बरफ के फ़ाहे धुवाँ हो गए, मौसम बरसा रात भर
सुबह हुई तो याद वो आए, याद किया जिन्हें रात भर
चिंदी-चिंदी उनको फेंका, जो नाम लिखे थे रात भर
दामन था हकीक़त का, और काँटे जन्में रात भर
बड़े सुकूँ से मेरे ख़्वाब, फिर लिपट के सोये रात भर
मेरे पाठकों की बात भला मैं कैसे टाल दूँ....:)
ये गीत आप सुन चुके हैं लेकिन फिर सुन लीजिये...
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धूप के टुकड़े छम-छम बरसे, जला चाँद भी रात भर
ReplyDeleteबरफ की सिल्ली धुवाँ हो गई, मौसम बरसा रात भर
Welcome back adaji !
मत पूछिए, रचना उम्दा बनी आपकी ...बहुत सुन्दर .. कल आपकी यह रचना चर्चामंच पर होगी..सादर
ReplyDeleteधूप के टुकड़े छम-छम बरसे, जला चाँद भी रात भर
ReplyDeleteबरफ की सिल्ली धुवाँ हो गई, मौसम बरसा रात भर
क्या बात है ! बहुत ही बढ़िया नज्म है. आप की कलम को सलाम
नेपथ्य में लगी हरे रंग की कृति का भी जवाब नहीं
ReplyDeleteएक गीत भी डाल देती ..कानो को भी कुछ सुकून आ जाता.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना....दिल को छु गयी।
ReplyDeleteमत पूछ तू मेरी नींद का आलम, ख़्वाब जगे थे रात भर
ReplyDeleteशहरे-दिल में चहल-पहल थी, चले कारवाँ रात भर
Kya gazab likhtee hain aap!
Gantantr Diwas kee dheron badhayee!
मुम्किन है कुछ इलाज भी गानों से,राग से.
ReplyDeleteसंगीत - चिकित्सा भी है सम्भव दिमाग से.
सोचा था कि आवाज़ सुनाई पड़ेगी पर,
फिर से निराश लौट रहा हूँ मैं ब्लॉग से.
@ प्यारी शिखा और कुँवर जी,
ReplyDeleteएक पुराना गीत लगा दिया है..माफ़ी चाहती नया कुछ भी रिकार्ड नहीं कर पाई हूँ...
बेहतरीन।
ReplyDeleteहम एक धड़कता हृदय लिये से, जगे अकेले रात भर।
ReplyDeletebehtreen rachna
ReplyDeletewaah waah ..bahut sundar...
ReplyDeleteइतनी धुआँधार गज़ल पढ़कर, शानदार तस्वीर देखकर जब प्लेयर ऑन किया तो वो नखरे दिखा रहा है। छाया गांगुली को सुना पहले ’गमन’ से और अब जगजीत साहब को सुन रहे हैं, ’जहनो दिल मेरे...’ कर्टेसी - आपके द्वारा प्रयुक्त ’रात भर।’
ReplyDeleteबेहद, बेहद खूबसूरत।
यूं तो सब ही अच्छा पर अपनी खास पसंद ...
ReplyDeleteधूप के टुकड़े छम-छम बरसे, जला चाँद भी रात भर
बरफ के फ़ाहे धुवाँ हो गए, मौसम बरसा रात भर
adaa ji aap gaati bahut achha hain... mujhey bhi gayan ka bahut shauk hai ... mein sangeet kee vidyaarthi bhi rahi hun... aap gane ko kaise record karte hai .. aur ye kaun saa software hai jisme ham aapka geet dun rahen hai...aap se prashno kee ladi..
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..
ReplyDeleteडॉ. नूतन,
ReplyDeleteआपका बहुत शुक्रिया, आपने गीत पसंद किया...
मैं अपने गाने audacity नाम के sofware से रिकॉर्ड करती हूँ...ये गाना आप esnips नाम के वेबसाईट से सुन रही हैं...जहाँ मैंने अपने गाने लोड किये हैं.....
आशा है ये जानकारी आपके काम आएगी...
आपकी आवाज़ का इंतज़ार है...
सुबह हुई तो याद वो आए, याद किया जिन्हें रात भर
ReplyDelete... इसीलिए तो नींद ना आई रात भर :)
सुबह हुई तो याद वो आए, याद किया जिन्हें रात भर
ReplyDeleteचिंदी-चिंदी उनको फेंका, जो नाम लिखे थे रात भर
बहुत खूबसूरत शेर ...अच्छी पेशकश ..
गजब!
ReplyDeleteग़ज़ल तो परफेक्ट ही है, गीत भी सुंदर है, बहुत देर से बज रहा है. बधाई
ReplyDeleteदामन था हकीक़त का, और काँटे जन्में रात भर
ReplyDeleteबड़े सुकूँ से मेरे ख़्वाब, फिर लिपट के सोये रात भर
वाह! गजब की अदायगी है ल्फ़्ज़ और जज़्बातों की! वाह!
सुबह हुई तो याद वो आये , याद किया जिन्हें रात भर ...
ReplyDeleteचिंदी -चिंदी उनको फेंका , जो नाम लिखे थे रात भर ...
तमाम शब् जाग कर जिसका इन्तजार किया , जगा नींद से वो भी मगर देर से बहुत
बहुत मन भायी ये गजल !
गीत तो कई बार सुन चुकी , मगर हमेशा अच्छा लगता है !