हूँ मैं सूखी सी डाली, खिज़ां ने भी सताया है
जाने क्यूँ फिर भी तुमने, नज़रों में बसाया है
हैं आँखें मेरी बेनूरी, चेहरा भी है सादा सा
पर ठोढ़ी पे मेरी तुमने, काला तिल लगाया है
ख़ुदा ने मुझको तो अपना, इक फूल बनाया था
मगर क्या सोचकर उसने, पत्थर पर खिलाया है
हर मोड़ पर यहाँ देखो, हादसों का ही मेला है
चुन कर गर्दिश से मैंने, अफ़साना सजाया है
माज़ी की यादों का मुझे, कोई रोग बस ले डूबा
'अदा' ने अपने सीने में, नया खंजर घुपाया है
माज़ी= अतीत
जीत ही लेंगे बाज़ी हम तुम ....आवाज़ 'अदा' की...
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फिर से सामान्य जिंदगी में लौटने पर आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल ।
बहुत प्यारा गाना है । इसे सुनाने के लिए आभार ।
ख़ुदा ने मुझको तो अपना, इक फूल बनाया था
ReplyDeleteमगर क्या सोचकर उसने, पत्थर पर खिलाया है
bahut khub...
हूँ इक सूखी हुई डाली, खींज़ा ने सताया है
ReplyDeleteना जाने फिर भी क्यूँ तुमने, आँखों से लगाया है
bahut sunder rachna
is bar mere blog par
"main"
हैं आँखें मेरी बेनूर, मेरा चेहरा भी सादा है
ReplyDeleteमेरी ठोढ़ी पे क्यूँ तुमने, काला तिल लगाया है
अदा जी,
अभी मैं आपकी ग़ज़ल पढ़ ही रहा हूँ.बस ऊपर वाले शेर तक पहुंच पाया हूँ, तिल पर किसी का कहा हुआ अब तक का best शेर जो मुझे लगा वो मैं आपको भी सुनाता हूँ. अरे लीजिये मुझे उसका मत्ला और तिल वाला शेर दोनों याद आ गए.
पिनहा किसी की यूं है कहानी शराब में,
वो देखते हैं अपनी जवानी शराब में.
सुरमे का तिल लगा के रूखे-लाजवाब पर,
नुक्ता बढ़ा दिया है ख़ुदा की किताब में.
शोला और शबनम का गाना "जीत ही लेंगे बाजी हम तुम" आपकी आवाज़ में बहुत ही प्यारा लगा.ये फिल्म 60's की है.
सच बताएं आपको, मुझे 50's-60's के गाने ज़ियादा पसंद हैं. शायद ये duet गाना था, है ना अदा जी.
हाँ, गाना अपनी पसंद का था इसलिए गाना पहले सुन लिया
मुझे माज़ी की यादों का, कोई रोग ले डूबा
ReplyDelete'अदा' ने अपने सीने में, नया खंजर घुपाया है
dard se bheegi gazal padh kar dil se aah nikal gayi. lekin aapki aawaaz sun kar kuchh man acchha ho gaya. thanks is gaane ko sunane ke liye.
चेहरा तुम्हारा खुदा ने बडे मन से बनाया है
ReplyDeleteकहीं नज़र न लग जाए, काला तिल लगाया है :)
आज की रचना देखकर ऐसा लगा किसी डाक्टर से ये सवाल पूछा है, क्योंकि ये काम तो या ऊपर वाला खुदा कर सकता है या धरती का खुदा यानि कोई डाक्टर:)
ReplyDeleteफ़िर पहला कमेंट डाक्टर दराल साहब का, वही कमेंट हमारी तरफ़ से भी।
गाना बहुत अच्छा है, हमारी हार्ड डिस्क में भी है।
p.s. - सादगी दिल की हो या चेहरे की, उसका अपना ही सौन्दर्य होता है, नैसर्गिक और अप्रतिम। हमारा नजरिया तो यही कहता है।
ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम,
ReplyDeleteवो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते...
उम्र भर चाहे पुकारा करे कोई उनका नाम,
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते...
जय हिंद...
यह अफसाना सजा रहे।
ReplyDeleteyaa baat he subh svere khbsurt lekhn se mulaaqaat ho gyi bhn ji . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeletebahut dino ke baad yahan aa paaya....
ReplyDeletebahut lajawab sher hain..
usse bhi behtareen ye geet aur aapki awaaz....
yun hi likhti rahein, gaate rahein....
meri ek salaah hai ki apne saare gaaye geeton ko sanklit karein aur ek naye blog par daal dein taaki hum unhein baar baar sun sakein....
बहुत प्यारा गाना है । इसे सुनाने के लिए आभार ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...और उतना ही प्यारा गाना...
ReplyDeleteअच्छा लगा तुम्हे फिर से सक्रिय देख .....लिखती रहो..
आज बहुत दिनों के बाद आपकी खनकती आवाज़ सुनी ...was missing it realy...
ReplyDeleteजिंदगी पटरी से उतर गई हो जैसे पहुँचने में बहुत देरी हुई ! रचना अच्छी तो है पर झूठ नहीं बोलूंगा यह आपके सर्वोत्तम में से नहीं है !
ReplyDeleteजितने सुन्दर बोल, उतनी ही सुन्दर आवाज़....पहली बार आपकी आवाज़ सुनी, बहुत अच्छी लगी. This is one of my favorite songs. सुन कर मज़ा आ गया
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल और आपकी आवाज़ दोनों ही बहुत खूबसूरत हैं. पहली बार आपकी आवाज़ से रूबरू हुआ. ऐसा लग रहा है जैसे ओरिजिनल साउंड ट्रेक सुन रहा हूँ. बहुत शुक्रिया इस गाने को सुनाने के लिए.
ReplyDeleteगजल गीत और राग का बहुत सुन्दर संगम । आपकी ये पोस्ट बहुत अच्छी रही
ReplyDeleteबहुत प्यारा गाना है
ReplyDeletesundar gajal...
ReplyDeleteRespected aDaDi,
ReplyDeleteदी इतने दिन से आपको मेल नहीं कर पाया.आप तो जानती हो कि मैं कई बार सही वक़्त पे सही बात नहीं कर पाता. पर आप तो मुझे समझती हो ना.
मैं दुःख की घड़ी में आपके साथ था और हूँ बस कह नहीं पाया, ना ही पाऊंगा.मैं आपसे मिल के आपसे बात करना चाहता था.अभी भी आप इंडिया में हो क्या? अगर हो तो मुझे अपना नम्बर मेल कर दें.
प्रणाम!
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है .और गाना मेरे पसंदीदा गानों में से एक है.आप ने दो बार रुलाया
ReplyDeleteहै.आपकी कलम को और आपकी पसंद को सलाम.
जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
ReplyDelete@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी