सितारों में पनाह लूँ
बेशक़ मेरा ये ख़्वाब हो,
मगर ये ज़मीं मेरी
पैकरे-शबाब हो,
तेरी रहमतों पे तुझे
शायद बहुत नाज़ हो,
मगर इतना करम करो
गुनाहों का बज़ा हिसाब हो,
मिटी-मिटी हैं इबारतें
यहाँ-वहाँ इधर-उधर,
मैं भी परेशान हूँ
भला अब क्या जवाब हो,
चेहरे क्यूँ जले-जले
हैं आँखें भी धंसीं-धसीं,
कम ख़ुशी ही हो ज़िन्दगी
हर साँस न अज़ाब हो,
सुकून के हुज़ूम बस
झूम जाएँ कभी-कभी,
ये दिल मेरा, मेरे ख़ुदा
ना दर्द की किताब हो....
पैकरे-शबाब = यौवन की मूर्ति
इबारतें = लिखावट
जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई....आवाज़ 'अदा' की....
खूबसूरत नज़्म ...
ReplyDeleteKya likhtee hain aap...aur utnaahee khoobsoorat gaatee bhee hain! Dono fan gazab ke hain!
ReplyDeleteतेरी रहमतों पे तुझे
ReplyDeleteशायद बहुत नाज़ हो,
मगर इतना करम करो
गुनाहों का बज़ा हिसाब हो,....
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...लाजवाब
bahut hi khubsurat....
ReplyDeleteसब कुछ बेहतर और बेहतर पर हम इन दो लाइनों पे फ़िदा हुए ...
ReplyDeleteमिटी-मिटी हैं इबारतें
यहाँ-वहाँ इधर-उधर,
गज़ब लिखती हैं आप, अभिव्यक्ति का अनूठा अंदाज है।
ReplyDelete"मिटी-मिटी हैं इबारतें
यहाँ-वहाँ इधर-उधर"
बहुत शानदार पंक्तियां लगीं।
गाना बहुत अच्छा लगा।
आभार स्वीकार करें।
बेहतरीन अभिव्यक्ति...................
ReplyDeleteमिटी-मिटी हैं इबारतें
ReplyDeleteयहाँ-वहाँ इधर-उधर,
मैं भी परेशान हूँ
भला अब क्या जवाब हो..
..सुंदर नज़्म की लाज़वाब पंक्तियाँ।
..बधाई स्वीकार करें।
बहोत ही खुबसूरत ............
ReplyDeleteजीभर झूमें, जीवन में हर ओर घूमें।
ReplyDeleteकभी लोग कहते थे ग़ालिब की खातिर,
ReplyDeleteमगर कह रहा हूँ तुम्हारे लिए मैं, कि:-
कहते है "अदा जी" का है अंदाज़े-बयां और
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
ReplyDeletehttp://saaransh-ek-ant.blogspot.com