Saturday, June 19, 2010

और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ ....एक गीत हो जाए... तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे....


क्यूँ न आज मेरे सफ़र की दास्ताँ लिखूँ 
सूनी सी गली का नाम कहकशां लिखूँ 

ग़म से सुलगते रहे मेरे शाम-ओ-सहर 
ख़ुद को एक जलता हुआ मकाँ लिखूँ 

मेरा वजूद ढँक गया पशे तेरा नाम
और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ 

अब एक गीत हो जाए... 
तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे....

26 comments:

  1. ग़म से सुलगते रहे मेरे शाम-ओ-सहर
    ख़ुद को एक जलता हुआ मकाँ लिखूँ

    बहुत खूब !
    समय हो तो पढ़ें : किस्मत के सितारे को जो रौशन कर दे http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/2010/06/blog-post_18.html

    ReplyDelete
  2. घर की ही जुगलबंदी है क्‍या?

    ReplyDelete
  3. मंजूषाजी
    ख़ुबसूरत अश्आरों के लालो-ज़वाहिर लुटाए जाते हैं आपके यहां … लेकिन पांच-सात मिसरों से प्यास बुझने की बजाए और भी भड़क जाती है ।
    मेरा वजूद ढँक गया पशे तेरा नाम और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ
    ख़ूब पुरअसर लिखा है …
    वाह ! वाह ! वाह !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

    ReplyDelete
  4. जी हाँ अजित जी,
    घर की ही जुगलबंदी है....:):)

    ReplyDelete
  5. अच्छी रचना के साथ आपकी और जीजा जी की मधुर आवाज़ में गाना सुनना सुखद रहा दी..

    ReplyDelete
  6. सुरेन्द्र शर्मा याद आ गये, ’चार लाईनां सुणा रिया हूं’

    ऐसे बढ़िया अल्फ़ाज और इतनी कम खुराक, बहुत नाईंसाफ़ी है जी..) राजेन्द्र जी ने बिल्कुल ठीक लिखा है।

    गाना शाना तो बिना सुने ही कमेंट दे सकते हैं, बहुत अच्छा लगा

    ReplyDelete
  7. मेरा वजूद ढँक गया पशे तेरा नाम
    और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ ...
    क्या बात है ... !!
    सुन्दर ...गीत तो सुन्दर है ही ...आप गाती भी बहुत मधुर ही हैं ....!!

    ReplyDelete
  8. गीत मधुर है
    रचना भी बहुत अच्छी लगी

    बस एक बात पूछनी है ..."पशे " मतलब क्या होता है ??....इससे मुझे पूरा मतलब समझ आ जायेगा

    ReplyDelete
  9. ग़म से सुलगते रहे मेरे शाम-ओ-सहर
    ख़ुद को एक जलता हुआ मकाँ लिखूँ


    बेहतरीन पंक्तियाँ ............लाजवाब प्रस्तुती

    ReplyDelete
  10. मेरा वजूद ढँक गया पशे तेरा नाम
    और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ ..
    ..जी बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  11. गीत सुनते सुनते कब आँख बंद हो गयीं .....
    कितनी बार गीत खुद ब खुद बार बार रिपीट होता रहा...
    कोई अंदाजा नहीं है.....
    बस जैसे किसी नींद से हडबडाकर आँख खुली हों अभी.........

    अगर जिंदगी हो अपने ही बस में...तुम्हारी कसम हम न भूलें वो क़समें....

    ReplyDelete
  12. गौरव...
    'पशे' का अर्थ होता है पीछे या फिर छुपा हुआ....

    ReplyDelete
  13. सुन कर इसी मे खो गये बहुत ही सुन्दर बधाई

    ReplyDelete
  14. "मेरा वजूद ढँक गया पशे तेरा नाम
    और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ "

    वाह क्या भाव है ... सुन्दर ...अति सुन्दर

    पढ़ के रचनाएँ आपकी...
    साथ बढ़ रहा है उर्दू ज्ञान.....
    हर बार ख़ुशी होती है नयी.....
    छुपे हुए अर्थ को जान......
    भाषाएँ होती है कितनी सारी जहाँ में ......
    पर सोचता एक ही बात है हर इंसान ......
    फिर भी पता नहीं क्यों ???
    हर बार ख़ुशी होती है नयी.....
    छुपे हुए अर्थ को जान......

    ReplyDelete
  15. nimantran: mere blog pe aane ke liye.........:D

    aayengi.......:o

    ReplyDelete
  16. क्यूँ न आज मेरे सफ़र की दास्ताँ लिखूँ
    सूनी सी गली का नाम कहकशां लिखूँ

    pyari rachna.......dil ko chhutti hui......:)

    ReplyDelete
  17. बहुत सुंदर लगा जी

    ReplyDelete
  18. kabhi?????????? aapki awaaz se lagta hai, abhi abhi mile hain

    ReplyDelete
  19. कितने अल्फ़ाज़ गढूं , कितने ढूंढूं शब्द नए
    क्यों न सीधे सीधे , इस शाम को खुशनुमा कहूं

    अब जब आखें ही पढ लेती हैं, तुझको-मुझको , तो फ़िर क्यों न खुद को बेजुबां और तुझे हमजुबां कहूं .......

    गीत अभी भी कानों में गूंज रहा है , सुनता गया तो लिखता ही जाऊंगा ............मैं फ़िर आऊंगा .....मैं फ़िर गाऊंगा ....नहीं सुनूंगा ............हा हा हा ।

    ReplyDelete
  20. बेहतरीन गीत!



    चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी

    चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
    बड़ी दूर तक गया।
    लगता है जैसे अपना
    कोई छूट सा गया।

    कल 'ख्वाहिशे ऐसी' ने
    ख्वाहिश छीन ली सबकी।
    लेख मेरा हॉट होगा
    दे दूंगा सबको पटकी।

    सपना हमारा आज
    फिर यह टूट गया है।
    उदास हैं हम
    मौका हमसे छूट गया है..........





    पूरी हास्य-कविता पढने के लिए निम्न लिंक पर चटका लगाएं:

    http://premras.blogspot.com

    ReplyDelete
  21. Adaa ji,

    Katal-e-aam naa karein aap ... :)
    Itna achha likhaa hai... dil pe lagaa seedha :)
    "सूनी सी गली का नाम कहकशां लिखूँ"

    Just loved it..

    Regards,
    Dimple

    ReplyDelete
  22. एक ही शब्द निकल रहा है - वाह
    कलाकार कि कला बड़ी निराली

    ReplyDelete