Tuesday, June 8, 2010

जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई आप क्यों रोये.....आवाज़ 'अदा' की....


आवाज़ 'अदा' की....



जो हमने दास्तां अपनी सुनाई, आप क्यों रोए
तबाही तो हमारे दिल पे आई, आप क्यों रोए

हमारा दर्द\-ए\-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं
ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं
ग़मों की आग हमने खुद लगाई, आप क्यों रोए

बहुत रोए मगर अब आपकी खातिर न रोएंगे
न अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोएंगे
कयामत आपके अश्कों ने ढाई, आप क्यों रोए

न ये आँसू रुके तो देखिये, हम भी रो देंगे
हम अपने आँसुओं में चाँद तारों को डुबो देंगे
फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई, आप क्यों रोए


21 comments:

  1. सुबह-सुबह मूड ताज़ा हो गया यह पढकर/सुनकर।

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  2. wah wah ... aapki aawaaj sunkar fresh ho gaye ...

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  3. फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई, आप क्यों रोए
    बहुत खूब, धन्यवाद!

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  4. न्यूज़ फ्रॉम निकट भविष्य का न्यूज़ पेपर ..........
    भारत में पिछले कुछ दिनों में पुराने गानों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है
    इस उछाल से रोक - पोप म्यूजिक कम्पनियां परेशान है

    (उन्हें पता हो न हो हमें तो कारण पता है )

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  5. वाह बहुत सुन्दर

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  6. ...बहुत मिठास है !!!

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  7. वाह .. बहुत बढिया जी !!

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  8. एक अंधेरा, लाख सितारे,
    एक निराशा, लाख सहारे,
    सबसे बड़ी सौगात है जीवन,
    नादां हैं जो जीवन से हारे.
    एक अंधेरा, लाख सितारे,
    बीते हुए कल की ख़ातिर
    तू आने वाला कल मत खोना,
    जाने कौन कहां से आकर
    राहे तेरी फिर से संवारे,
    एक अंधेरा, लाख सितारे...

    जय हिंद...

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  9. ...बहुत मिठास है @@@@@@@@@

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  10. आज पहली बार आप का गाना सुना सच मज़ा आ गया
    बहुत सुंदर! वाह!
    वाक़ई बहुत अच्छा गाती हैं आप

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  11. didi ji
    वाह बहुत सुन्दर
    वाह बहुत सुन्दर
    वाह बहुत सुन्दर

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  12. बहुत मिठास हे आवाज़ मे बहुत सुंदर

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  13. जितना अच्छा आपका गायन है उतना ही उम्दा लेखन भी.
    अब तो लोग अपनी पंसद के गाने भी आपसे सुनते हैं।
    यदि आप कभी फुरसत निकाल पाएं तो क्या करोके(ट्रेक) पर आओ तुम्हे चांद पर ले जाए... प्यार भरे सपने दिखाए..छोटा सा बंगला बनाए, गाने को गा सकती है।
    फिल्म में आशा पारेख और सुनील दत्त हैं।
    देखिएगा... यह मेरी प्रार्थना है। जरूरी नहीं है कि मेरी प्रार्थना पर विचार भी किया जाए। कई बार कुछ प्रार्थनाएं गैर जरूरी भी होती है।

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  14. सादर!
    जी क्या कहें! नतमस्तक !
    रत्नेश

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  15. आनन्द आ गया गीत सुनकर.

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  16. sach me aanand hi aa gaya ji....
    bahut khoobsoorat geet aur waisi hi aawaaj...

    kunwar ji,

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  17. बहुत मधुर गीत है...पुराने दिन याद आ गए....शुक्रिया...
    नीरज

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  18. एक तरफ तो कहती हो कि दासतां मेरी नहीं फिर दूसरे ही पल गाना गा देती हो कि जो हमने दास्‍तां अपनी सुनायी आप क्‍यों रोएं। अब तुम्‍हीं बताओ हम क्‍या करें? अरे बाबा मजाक कर रही हूं, अपनी किस्‍मत में ये सब कहां? दो बार सुन लिया है अभी दो बार सुनना शेष है।

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