Wednesday, June 9, 2010

आप की नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे......आवाज़ 'अदा' की.....

धड़कन भी कुछ काबू में हो साँस भी अब ज़रा संभले
मेरी जाँ मेरी उम्र भी इस तूफाँ के मुक़ाबिल ठहरे

जिस दम देखा था उसने पहली बार नज़र भर के
वो लम्हा मेरी ज़ीस्त का इकलौता हासिल ठहरे

ज़ीस्त=जीवन



आवाज़ 'अदा' की.....



आप की नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गई मंज़िल मुझे
आप की नज़रों ने समझा

जी हमें मंज़ूर है, आपका ये फ़ैसला \- २
कह रही है हर नज़र, बंदा\-परवर शुकरिया
हँसके अपनी ज़िंदगी में, कर लिया शामिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा ...

पड़ गई दिल पर मेरी, आप की पर्छाइयाँ \- २
हर तरफ़ बजने लगीं सैकड़ों शहनाइयाँ
दो जहाँ की आज खुशियाँ हो गईं हासिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा ...

आप की मंज़िल हूँ मैं मेरी मंज़िल आप हैं \- २
क्यूँ मैं तूफ़ान से डरूँ मेरे साहिल आप हैं
कोई तूफ़ानों से कह दे, मिल गया साहिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा ...



15 comments:

  1. जिस दम देखा था उसने पहली बार नज़र भर के
    वो लम्हा मेरी ज़ीस्त का इकलौता हासिल ठहरे


    -वाह! बहुत खूब!!


    सुन्दर गीत!

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  2. सुन्दर गीत
    वाह बहुत खूब.....

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  3. अदा जी बहुत खूब.

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  4. सादर!
    वाह जी वाह...
    यदि बुरा ना माने तो, एक गीत मेरे पसंद का भी गायें .
    छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ,
    ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए....
    रत्नेश त्रिपाठी

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  5. -वाह! बहुत खूब!!

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  6. अच्छी लय में गाया आपने अदा जी !

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  7. "जिस दम देखा था उसने पहली बार नज़र भर के वो लम्हा मेरी ज़ीस्त का इकलौता हासिल ठहरे"

    कमाल की अदा ये भी...

    कुंवर जी,

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  8. Ada ji ki adaygi bhi gazab ki hai...

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  9. सुन्दर पंक्तियों के साथ सुन्दर गीत...बढ़िया समायोजन

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  10. kyaa kahun...??

    jaane chhpane ke layak kahaa bhi jayegaa yaa nahuin...!!!

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  11. अदा जी ,
    हर बार की तरह बहुत बेहतर गाया है इस गीत को भी आपने
    (तकनीकी खराबी की वजह से सुन नहीं पा रहा था इसलिए देरी से कमेन्ट कर रहा हूँ )

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  12. बेहतर, शानदार और जानदार।

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  13. आजकल मेरे फेवरेट गानों की झड़ी लगा दी है आपने...

    आभार...

    अजीब दास्तां है, कहां शुरू, कहां खत्म का नंबर कब आएगा...

    जय हिंद

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  14. ooooooooffffffffffffff




    kyaa likh daalaa hai apne....!!!

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