आदरणीय ब्लॉग जगत,
इधर लगातार कई दिनों से ब्लॉग जगत में सौहार्द बनाये रखने के प्रयास में हम सभी जुटे हुए हैं....ख़ुशी हुई कि कमोबेश हम में से अधिकांश एक जैसा ही सोचते हैं....ब्लॉग्गिंग हम सबका एक शौक़ है ...जो थोडा बहुत समय हमारे पास बचता है जीवन की भाग-दौड़ के बीच हम उसे सकारात्मक रूप से इस्तेमाल करना चाहते हैं...कुछ अपनी कहना चाहते हैं कुछ औरों की सुनना चाहते हैं....अफ़सोस तब होता है जब कुछ शरारती या उन्मादियों के कारण सभी को परेशानी होती है, न सिर्फ हमारा इतना कीमती समय बेकार की बातों में जाया होता है और बल्कि मानसिक तनाव भी हम मोल ले लेते हैं... आखिर क्यूँ ...??
जीवन में प्यार-मोहब्बत के लिए ही समय कम है तो फिर लड़ने के लिए वक्त कहाँ है...
ब्लॉग जगत में सौहार्द बनाये रखने के प्रयास हमेशा से होते रहे हैं और अभी भी बहुत से अच्छे और अनुभवी लोग जुटे हुए हैं...और यकीन कीजिये सुधार अभी ही हो सकता है बाद में नहीं...ब्लॉग जगत का एक-एक ब्लॉगर दिल से चाहता है, शांति और प्रेम से रहना
मैंने जो भी लिखा, सभी के लिए लिखा था, किसी एक धर्म विशेष के लिए ये सन्देश बिल्कुल नहीं था...लेकिन हो सकता है ये एकतरफा लगा होगा, क्यूंकि बात की शुरुआत व्यक्ति विशेष से हुई थी...
मैंने जो भी लिखा एक विश्वास से लिखा है और उस पर कायम हूँ....सचमुच शांति बनाये रखने के लिए हर प्रयत्न करने की इच्छा भी है और कोशिश भी...
सभी इस बात से परिचित होंगे ही कि कोर्ट-कचहरी का मामला बहुत दुरूह होता है....हर हिसाब से...चाहे वो पैसा के मामले में हो या अमन-चैन की बात हो....इस पचड़े में पड़ना खुद के साथ-साथ अपनों को भी तकलीफ देने वाली बात होती है..इसलिए ऐसा कुछ भी न करें कि कल को पछताना पड़े...
पिछली पोस्ट्स में बहुत सारे कमेन्ट आये थे...ज्यादातर इस प्रयास के साथ हैं, कुछ confused और थोड़े बहुत नाखुश...सबको ख़ुश नहीं किया जा सकता है लेकिन जो सही है वो काम किया जा सकता है...
आज कुछ कमेंट्स यहाँ डाल रही हूँ....
क्यों?
ब्लॉगर भी ज़हर फैला रहा है!
जो बोया है वो काटा जा रहा है.
धरम-मज़हब का धारण नाम करके ,
भले लोगों को क्यों भरमा रहा है.
अदावत, दुश्मनी माज़ी की बाते,
इसे फिर आज क्यों दोहरा रहा है.
सहिष्णु बन भलाई है इसी में,
क्रोधी ख़ुद को ही झुलसा रहा है.
हिफाज़त कर वतन की ख़ैर इसमें,
तू बन के बम, क्यों फूटा जा रहा है.
न भगवा ही बुरा,न सब्ज़-ओ-अहमर*,
ये रंगों में क्यों बाँटा जा रहा है.
बड़ा अल्लाह , कहे भगवान्, कोई;
क्यूँ इक को दो बनाया जा रहा है.
मिले तो दिल, खिले तो फूल जैसे,
मैरा तो बस यही अरमाँ रहा है.
*अहमर=लाल
-मंसूर अली हाश्मी
http://aatm-manthan.com
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said... अदा जी,
आप की सभी बातों और बिन्दुओं से सहमत हूँ। हिन्दी ब्लागीरी को सामुहिक रूप से मेरी सेवाओं की आवश्यकता हो तो मैं सहर्ष उपलब्ध हूँ।
'अदा' said... दिनेश जी,
आप नहीं जानते आपने मुझे कितनी बड़ी मुश्किल से निकाल दिया...मैं कल से आपसे बात करना चाहती थी लेकिन संकोचवश नहीं कर पायी...
अब कोई नहीं रोक सकता हमलोगों को...आप जब साथ हैं तो फिर क्या बात है...
आपका बहुत आभार..
हाँ नहीं तो...!!
Akhtar Khan Akela said... aadrniy blogvaani ki grimaa ke liyen chintaa chod den bs ab qaanoon ki baat kren kendr or raajy srkaaron pr apnaa shiknjaa ksen ke voh pulis kaa ek alg vibhaag is smbndh men bnaaye or khud dhund kr yaa shikaayt milne pr ese logon ko nyaayaalyon men chaalaan pesh kr dndit krvaae. akhtar khan akela kota rajasthan
'अदा' said...अख्तर साहब, आप भी वकील हैं और आपने सहायता का हाथ बढ़ाया है...बहुत ख़ुशी हुई है...आपलोगों का साथ रहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा ...आपको देख कर विशेष रूप से हौसला बढ़ा है...आपका आभार..
यह भी सूचित करना था कि कुछ और भी कानूनदां हमारा साथ देने ले लिए स्वेच्छा से तैयार हो गए हैं...
वैसे भी जब इन्टरनेट की बात आती है तो कानून का दायरा भी बढ़ जाता है...बात सिर्फ़ भारत की नहीं रह जाती है...भारत में शायद कुछ भी कह जाना या लिख जाना उतना मायने नहीं रखता लेकिन...विदेशों में ऐसा नहीं है....आप कुछ कह-लिख तो सकते हैं लेकिन अधिकारियों की नज़रों से बच नहीं सकते ...अगर आप USA या Canada में रहते हैं तो आपको बता दें की यहाँ इन देशों में Anti-Terrorism Law नाम का नया कानून पास हो चुका है...जिसके अंतर्गत Racial Profiling आता है...इस कानून के अनुसार ज़रुरत पड़े तो Authorities बेधड़क आपके घर घुस जायेंगे और आपसे कुछ भी पूछ सकते हैं और आपको जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा....यहाँ तक कि यहाँ की पुलिस को स्पेशल पावर है बिना कोई कारण बताये वो आपको शक़ के बिना पर गिरफ्तार कर सकती है...जेल में डाल सकती है और आपके घर वालों को पता भी नहीं चलेगा की आप कहाँ गए...और वो कारण आपका ब्लॉग भी हो सकता है..जहाँ आपने भड़काऊ बातें लिखी हैं...
यहाँ मैं एक धर्म विशेष का उदाहरण देना चाहूंगी....क्योंकि इस समय निशाने पर हर जगह वही है....
शाहरुख़ खान का प्रसंग एक अच्छा उदाहरण हो सकता है....अब आप समझ सकते हैं जब शाहरुख़ खान जैसी शख्शियत को नहीं बक्शा जाता है तो हम आप क्या चीज़ हैं....इसलिए सम्हल कर रहना ज़रूरी है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बेजा फायदा न उठाया जाय, नहीं तो ख्वामखाह विदेशी सिक्यूरिटी संस्थाएं और अधिकारियों की नज़र में आ सकते हैं ...Racial Profiling के तहत वो आपका नाम, पता, तस्वीर कद-काठी कलमबंद कर सकते हैं, फिर अगर कभी आप या आपके बच्चे देश से बाहर आना चाहें तो ..और अगर आपका नाम यहाँ की लिस्ट में निकल आया तो आप या आपके सम्बन्धी बिना कसूर परेशानी में पड़ सकते हैं....इसलिए कृपा करके अपने को सुरक्षित रखिये...आपका सबसे पहला धर्म अपने और अपने परिवार के प्रति है..इसलिए मैं फिर कहती हूँ अपने लेखन के कारण किसी भी मुसीबत में न पड़े जिससे बाहर निकलना मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाए....
मेरा काम है आगाह करना, मैं ऐसी ही सरकारी संस्था में काम करती हूँ, और बहुत अच्छी तरह जानती हूँ कि लोगों की व्यक्तिगत जानकारियाँ इन्टरनेट से ही उठाई जाती हैं ..अब ज़िन्दगी उतनी आसान नहीं है जितनी लगती है....ऐसे हादसे हमारे अपने लोगों के साथ भी हो चुके हैं....हमारे कितने सरदार दोस्तों को पगड़ी में समानता की वजह से पकड़ा गया...ये अलग बात है कि वो सभी रिहा हुए ...लेकिन परेशानी तो हुई है...
तो ये थे कुछ कमेंट्स ...और मेरी कुछ बातें...जिसे मैं आपलोगों के समक्ष लेकर आई...आशा ही नहीं विश्वास है ...आपलोग इन बातों को गंभीरता से लेंगे...और तदानुसार काम करेंगे...
ईश्वर की शांति आपके साथ हो...!!
धन्यवाद...
आभार...
'अदा'