Sunday, July 3, 2011

सिर्फ़ यथार्थ सी नज़र आतीं हैं.....


तुम्हारी अभिव्यक्तियाँ 
उपमाओं से लदी-फदी, 
मेरी कल्पनाओं को
जीवंत कर देती हैं,
सपने और फैंटसी को,
मूर्त रूप दे देतीं हैं,
कुछ मासूम से आस्तित्व,
तितली से बन जाते हैं,
जीवन की जटिलताओं से,
दूर कहीं ले जाते हैं,
वो सहज से बचपन मुझसे आकर,
रेशम से लिपट जाते हैं,
मेरी अभिव्यक्तियाँ,
तुम्हारी अभिव्यक्तियों को,
सहज ग्रहण कर लेतीं हैं,
फिर..
हमारी भावनाएं मुदित मन का,
संसार सृजन कर देतीं हैं,
जो जीवान के कैनवास पर,
सिर्फ़ यथार्थ सी नज़र आतीं हैं.....

 

3 comments:

  1. दो सप्ताह के बाद आई है आपकी पोस्ट, लेकिन इतनी खूबसूरत पंक्तियाँ देखकर इंतज़ार वसूल हो गया। आपकी उपमाओं, अभिव्यक्ति के तो हम बहुत समय से कायल हैं।
    चित्र चयन हमेशा की तरह लाजवाब, लेकिन कुछ कमी निकालना जरूरी होता है इसलिये कहे देते हैं, अगर गाना भी होता तो क्या बात होती... हाँ नहीं तो....!!
    अब बहुत हो गया, अपनी दुनिया में लौट आईये।

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  2. समझ लीजिये मैंने संजय जी का कमेन्ट कोपी-पेस्ट कर दिया :))

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  3. वैसे एक बात है ..... इस ब्लॉग का अनुयायी[फोलोवर] बनने के लिए क्या करना पड़ेगा ?:) कोई ऑप्शन नजर नहीं आ रहा ?:)

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