नपे तुले शब्दों में जिन्दगी की जद्दोजहद का हासिल बताती पोस्ट, फ़िर से शानदार अभिव्यक्ति। वैसे कुछ समय पहले आपकी ही एक पोस्ट में ’सिर्फ़ दो आलम’ की ख्वाहिश की गई थी। दोनों को एक साथ पढ़ें तो - जीते जी दो आलम से कम में काम नहीं चलता और जीवन के बाद दो गज कपड़ा भी ज्यादा है। यही सच है।
bhut hi sundar ada ji.......
ReplyDeletebhut hi sundar.....
ReplyDeleteआदरणीया 'अदा' जी
ReplyDeleteशानदार जानदार रचना के लिए आभार !
… लेकिन गीत की प्यास लिए ही लौट रहा हूं …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
काँस का तो मुझे मतलब ही नहीं पता,अदा जी.
ReplyDeleteऔर ये क्या, आपने कोई गाना ही नहीं डाला,अब क्या करें.
नपे तुले शब्दों में जिन्दगी की जद्दोजहद का हासिल बताती पोस्ट, फ़िर से शानदार अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवैसे कुछ समय पहले आपकी ही एक पोस्ट में ’सिर्फ़ दो आलम’ की ख्वाहिश की गई थी।
दोनों को एक साथ पढ़ें तो - जीते जी दो आलम से कम में काम नहीं चलता और जीवन के बाद दो गज कपड़ा भी ज्यादा है।
यही सच है।
हालत सचमुच है नाज़ुक,
ReplyDeleteया कविताई से देते झाँस ?
दू गज कपड़ा आठ गो बाँस ;) लिखते रहिये ...
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - विजय दिवस पर विशेष - सोच बदलने से मिलेगी सफलता,चीन भारत के लिये कितना अपनापन रखता है इस विषय पर ब्लाग जगत मौन रहा - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .
ReplyDeletehttp://charchamanch.uchcharan.com/
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. हर जीवन की यही सच्चाई है.
ReplyDelete‘अंत समय क्या चाहे 'अदा'
ReplyDeleteयह तो दिल दुखाने की बात हुई ना :(
दू गज कपड़ा आठ गो बांस :)
ReplyDeleteक्या बात है!!
ReplyDeleteहलके-फुल्के शब्दों में बड़ी गहरी उदासी पिरो दी है आपने..
अच्छी लगी कविता...
ब्लॉगिंग: ये रोग बड़ा है जालिम
@ कुँवर जी,
ReplyDeleteकाँस..एक प्रकार का घास होती है..
दू गज कपड़ा आठ गो बांस...... पुरे जीवन का अंतिम सच है ये तो.
ReplyDeleteअंतिम सत्य अभिव्यक्त हो गया सहजता से!
ReplyDeleteसादर!
"दूई गज़ कपड़ा अठ गज बाँस"
ReplyDeleteआँचलिक खुश्बू से सराबोर बेहतरीन पेशकश 'अदा' जी| बधाई|
behad achchi lagi.
ReplyDeleteजीवन का उदास सा सच ! बहुत खूब ।
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