अंकित बेटे तुमने बहुत ही अच्छी जानकारी भेजी है.....तुम्हारा दिल से शुक्रिया...
Foie Gras का अर्थ होता है 'फैट लीवर'... यह बहुत ही लग्जरी मेनू आइटम माना जाता है, इस व्यंजन का अविर्भाव फ़्रांस में हुआ था..
चलिए इस व्यंजन का स्रोत देखते हैं...इस व्यंजन के लिए बतख़ को वसा खिला खिला कर लीवर रोग से ग्रस्त किया जाता है...ताकि पक्षी का ज़िगर बड़ा और वसायुक्त हो जाए..
इसके लिए बतख़ को वसा खाने को मजबूर किया जाता है, भले उसे खाने की इच्छा न हो....
पक्षियों के पिंजरे बहुत छोटे बनाये जाते हैं और उनको एक ही स्थिति में रहने के लिए वाध्य किया जाता है, जिससे उनके शरीर की ऊर्जा जाया न जाए और वो वसा में परिवर्तित हो जाए...
ऐसी हालत में उनकी आँखें कितनी उदास लगतीं हैं...आप देख सकते हैं
रोज़-रोज़ एक ही स्थिति में खड़े रहने के कारण उनके पाँव सूज जाते हैं...उनको सोने नहीं दिया जाता ... बार-बार उनको खाने के लिए जगाया जाता है ...
इनकी ऐसी दशा देख कर मन कह उठता है...ये भी कोई ज़िन्दगी है ?
इन निरीह प्राणियों को तब तक वसा खिलाया जाता है जब तक इनके प्राण पखेरू उड़ नहीं जाते ...उनका शरीर इस अति को झेल नहीं पाता है...
देखिये...इनकी मृत्यु पश्चात भी भोजन इनके मुँह में है...
बाक़ी जो जीवित बच जाते हैं, उनका अधोभाग संक्रमित रहता है...रक्त आसानी से गन्दगी के साथ निकलता रहता है...
इन पक्षियों के मुँह, गले और पेट में पीड़ा होती रहती है , पाँव सूजे हुए होते है, घूमने फिरने की इजाज़त नहीं होती...खुले आसमान और बहते पानी से ये कोसों दूर होते हैं...
जिस खूबसूरत और सफ़ेद लीवर को पाने के लिए इतनी वहशत की जाती है ...वो ऐसा दिखता है...उसके साथ लीवर का सामान्य रूप भी दिखाया गया है...
और अब डिब्बा-बन्द Foie Gras
पशु-पक्षियों के प्रति इस तरह की क्रूरता का बहिष्कार होना ही चाहिए...ऐसे उत्पादनों को खरीदने से ख़ुद को रोकें ..
माँग पर रोक लगायें, आपूर्ति स्वयं समाप्त हो जायेगी...
धन्यवाद....
जो मांस मछली खाता हो ...उसकी परेशानी है ...हमको क्या है :)
ReplyDeleteहे भगवान ! How Cruel Are Human Beings..?
ReplyDeleteआदरणीया दीदी
आपकी यह पोस्ट आपकी ही तरह मुझे भी द्रवित कर रही है । अब मांसाहारी स्वयं सोचे कि क्रूरता का समर्थन किए बिना मांसाहार संभव है क्या ? … और क्रूरता के समर्थन को हिंसा और राक्षसत्व कैसे न माना जाए ??
पशु-पक्षियों के प्रति इस तरह की क्रूरता का बहिष्कार होना ही चाहिए...
मेरी पिछली पोस्ट करुणा रस बरसाता चल की दो पंक्तियां हैं -
पर-जीवों के भक्षण से बढ़कर कृत्य नहीं वीभत्स कोई !
‘हिंसक न बनें, राक्षस न बनें’ – नासमझों को समझाता चल !!
अधिक क्या कहें …
सादर
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Oh god,I am surprised how cruel these people are.We must avoid developing relationship with non vegetarians. This will be the real and right slap on their cheeks.
ReplyDeleteअब मैं तो इस विषय पर कुछ नहीं कहूँगा क्योंकि मांसाहार का विरोध करने पर कुछ लोगों की भावनाएं आहत हो जाती हैं.
ReplyDeleteहांलांकि मुझे यह जानने में ज़रूर रूचि है कि इनका गला हलाल किया जाता है या झटका. ताज़ा जानकारी के अनुसार धीरे-धीरे एक खास विधि से गला रेतने से जीव को दर्द नहीं होता और वह शांति से मरना पसंद करता है. यहाँ तक कि वह स्वयं आगे आता है और कसाई से कहता है कि बंधू मुझे इस दुखी जीवन से मुक्त करो. लेकिन मैंने सारे कसाइयों के यहाँ प्राणियों को बचने के लिए छटपटाते देखा इसलिए मैं इस संकल्पना पर यकीन नहीं कर सकता.
पता नहीं ईशवर ने मनुष्यों को ही इतना नाज़ुक क्यों बनाया कि एक मोच लगने पर भी साले कराहते रहते हैं.
इस पोस्ट पर एक मांसाहारी की टिपण्णी पता नहीं लोगों को पसंद आये या नहीं ...
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश जी तो मांसाहारियों से रिश्ते ख़त्म करने की बात भी कर रहे हैं,
ये कृत्य वाकई में दुखद है, और ख़ुशी है कि मैं ये नहीं खाता ...
हाँ लेकिन मांसाहार अच्छा है या बुरा इस पर कोई तर्क करना बेकार है | शायद ये एक आहार चक्र है |
दिल दहल गया .....कोई शब्द नही है कहने को......
ReplyDeleteओह बहुत वीभत्स ....
ReplyDeleteबहुत दुखद जानकारी..मनुष्य अपने स्वाद के लिए कितना ह्रदयहीन और cruel हो सकता है ?
ReplyDeleteउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.....
ReplyDeleteकितना सच है इसमें या कोई अतिशयोक्ति है.... इसकी पड़ताल हो॥
ReplyDeleteअदा जी , लोग तो आधा जिन्दा केकड़ों को बड़ी तसल्ली से खाते है और कहते हैं --oh what a delicacy!
ReplyDeleteइन्सान का टेस्ट भी कितना क्रूर हो सकता है ।
वैवाहिक वर्षगांठ पर आप दोनों को हार्दिक शुभकामनायें ।
दुनिया का सबसे खतरनाक जानवर का नाम है आदमी
ReplyDeleteअदा जी, आपको वैवाहिक वर्षगांठ की ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteऔर इस सार्थक पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार !
निर्दयता की पराकाष्ठा, यह देख कर लोग खा कैसे सकते हैं।
ReplyDeleteहैप्पी ऐनिवर्सरी अदा जी। सुखद वैवाहिक जीवन के लिये हृदय से शुभकामनायें।
ReplyDeleteये वास्तव में भयानक है पर इस सब कि शुरुवात कैसे हुई होगी.
ReplyDeleteटिप्पणी लिखी थी ...फिर मिटा दी , आगे कभी लिखेंगे 'क्रूरता' पर !
ReplyDelete"बकरी पाती खात है,ताकी मोटी खाल,
ReplyDeleteजो नर बकरी खात हैं तिनको कौन हवाल!"
और हाँ! आपको शादी की ’हैप्पी बर्डे’!
ReplyDeleteदुनिया का सबसे खतरनाक जानवर का नाम है आदमी
ReplyDeletekya kahoon...?
ReplyDeletekya kahun...??
ReplyDeleteदेखकर ही इतना विभत्स व भयानक लगता है तो खाने वाले पता नहीं कैसे खाते है लेकिन आजकल इतना सोचने का समय किससे पास है लेकिन प्रकृति ने भी सोचना बंद कर दिया तो ....
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