Wednesday, December 22, 2010

जिन्हें मंदिर की पहचान नहीं, वो रंग महल कह देते हैं ...


रुख़  को कभी फूल कहा, आँखों को कवँल कह  देते हैं
जब जब भी दीदार किया, हम यूँ ही ग़ज़ल कह देते हैं

वो परवाना लगता है,  और कभी दीवाना  सा
जल कर जब भी ख़ाक हुआ, शम्मा की चुहल कह देते हैं

जब आकर खड़े हो जाते हैं वो, सादगी लिए उन आँखों में
वो पाक़ मुजस्सिम लगते हैं,  हम ताजमहल कह देते हैं

लगता तो था आज नहीं, हम तो अब उठ पायेंगे
सीने में जो दर्द उठा, चलो उसको अजल कह देते हैं

कितने ही पत्थर क्या जाने हम पर बरसे आज 'अदा'
जिन्हें मंदिर की पहचान नहीं, वो रंग महल कह देते हैं
अजल=मौत

पिया ऐसो जीया में समाय गयो रे...आवाज़ 'अदा' की...


29 comments:

  1. अदा जी,
    मैं सादगीपसंद आदमी हूँ,ज़ाहिर है मुझे आपका ये शेर बहुत पसंद आया.
    जब आकर खड़े हो जाते हैं वो, सादगी लिए उन आँखों में
    वो पाक़ मुजस्सिम लगते हैं, हम ताजमहल कह देते हैं

    और आज का गाना:-
    पिया ऐसो जिया में ........................ , पहले मुझे जितना अच्छा लगता था आज उससे बहुत ज़ियादा अच्छा लगा.मैंने अपने मन से पूछा ऐसा क्यों? मन ने जवाब दिया कि अरे, इसे अदा जी की प्यारी आवाज़ जो मिल गई है.

    ReplyDelete
  2. मन्त्रमुग्ध हो पूरा सुन डाला। जय हो।

    ReplyDelete
  3. उफ़...
    ये रोज रोज की तारीफ नहीं होती हमसे...बताईये हमेशा इतना अच्छा लिखियेगा तो कैसे चलेगा...अब से हम नहीं टिपियायेंगे ... चुपचाप पढ़ के निकल लेंगे...
    हा हा हा....
    अच्छा सुनिए न अपना एगो पुराना कविता पोस्ट किये हैं , आप तो शायद पढ़ी ही होंगी, फिर भी एक बार आकर इस अज्ञानी को खुश कर दीजियेगा.....:))

    ReplyDelete
  4. रुख़ को कभी फूल कहा, आँखों को कवँल कह देते हैं
    जब जब भी दीदार किया, हम यूँ ही ग़ज़ल कह देते हैं


    वो परवाना लगता है, और कभी दीवाना सा
    जल कर जब भी ख़ाक हुआ, शम्मा की चुहल कह देते हैं


    जब आकर खड़े हो जाते हैं वो, सादगी लिए उन आँखों में
    वो पाक़ मुजस्सिम लगते हैं, हम ताजमहल कह देते हैं
    wah kya baat hai ...

    ReplyDelete
  5. WAH........SHANDAR GAZAL..............AUR.........
    JANDAR AWAZ........


    PRANAM.

    ReplyDelete
  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (23/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

    ReplyDelete
  7. इतनी उम्दा गज़ल के बाद गीत सुनने का मन नहीं हुआ...

    बाद में सुन लूंगा.

    ReplyDelete
  8. कितने ही पत्थर क्या जाने हम पर बरसे आज 'अदा'
    जिन्हें मंदिर की पहचान नहीं, वो रंग महल कह देते हैं
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    अब इससे आगे क्या कहूँ .............सब कुछ कह दिया आपने .............शुक्रिया

    ReplyDelete
  9. सुन्दर गायकी--वाह क्या आवाज़ है...

    ReplyDelete
  10. जब आकर खड़े हो जाते हैं वो, सादगी लिए उन आँखों में
    वो पाक़ मुजस्सिम लगते हैं, हम ताजमहल कह देते हैं

    munh se waah waah hi nakltaa hai :-)

    ReplyDelete
  11. बहुत खूब मज़ा आ गया पढ़ कर

    ReplyDelete
  12. "जब जब भी दीदार किया, हम यूँ ही ग़ज़ल कह देते हैं"
    एल्लो जी, हम वैसे ही आपकी तारीफ़ कर दिया करते थे, गज़ल कहने पर, जबकि असली हकदार तो दीदार जी थे:)
    यूँ तो ताजमहल अपनी पसंद की सूची में नहीं रहा, लेकिन ये सिंदूर सा छिड़का ताजमहल वाकई बहुत खूबसूरत लग रहा है।
    पिया जिया में, आपकी आवाज सच में मंत्रमुग्ध करने वाली है।

    ReplyDelete
  13. बेहतरीन लाईनें , शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  14. बहुत खूबसूरती से समेटे हैं जज़्बात अपनी गज़ल में

    ReplyDelete
  15. जब आकर खड़े हो जाते हैं वो, सादगी लिए उन आँखों में
    वो पाक़ मुजस्सिम लगते हैं, हम ताजमहल कह देते हैं

    बहुत सुन्दर, बेहतरीन रचना !

    ReplyDelete
  16. अदा जी ,
    अभी अभी पाबला जी की पोस्ट से पता चला !!
    हिम्मत से काम लीजियेगा ... हम सब आपके साथ है !
    हमारी ओर से भी बाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि !!

    ReplyDelete
  17. तरन्नुम में सजे शब्द झूमने के लिए मजबूर कर देते हैं। लयबद्धता ने प्रभावित किया।

    ReplyDelete
  18. आपकी आवाज एक अबोध बाला सी लगती है...

    माता सरस्वती की अथाह कृपा है आपपर...

    लेखनी स्वर और सुन्दरता सब भर भर के दे दिया आपको ईश्वर ने..

    ReplyDelete
  19. शोक की घड़ी में खुद को अकेला न समझें, हम सबकी संवेदना आपके व आपके परिवार के साथ हैं। पिता का साया सर से हटना एक अपूरणीय क्षति है, ईश्वर पर विश्वास रखे व धैर्य बनाये रखें।

    ReplyDelete
  20. meri samvaidnaaye aapke sath hain. pita ka saya sir se hat jaye to beti ka dard bakhubi samajh sakti hun..is daur se guzri hun. meri bhaav-bheeni shradhaanjali aapke poojneeye pita ji ko. apna dhairy banaye rakhen.

    ReplyDelete
  21. ‘रुख़ को कभी फूल कहा,’
    हां जी, कभी खत को फुल बना देते है :)

    ReplyDelete
  22. कितने ही पत्थर क्या जाने हम पर बरसे आज 'अदा'
    जिन्हें मंदिर की पहचान नहीं, वो रंग महल कह देते हैं
    अदा जी बहुत ही अच्छी ग़ज़ल ...........
    फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी

    ReplyDelete
  23. बाबा को विनम्र श्रद्धांजलि।

    ReplyDelete
  24. बस इतना ही कहूँगा की मैंने यह ग़ज़ल कॉपी कर ली

    ReplyDelete
  25. Aaj pahli bar apka blog dekha aur ab tak na dekh pane ka aphsos hai.Bahut achcha likhti hain aap.Aapki awaj sunkar mujhe kisi bahut hi apne ki yaad aa gai.Comments se aapke Babuji ke nidhan ka pata chala, bahut aphsos hua. Hamari shradhanjali unke liye. Apna dhairya banaye rakhen aur majboot bani rahen. anek shubhkamnayen.

    ReplyDelete
  26. सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
    यह हमारी आकाशगंगा है,
    सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
    कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
    आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
    किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
    मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
    आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
    मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
    उनमें से एक है पृथ्वी,
    जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
    इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
    भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
    मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
    भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
    एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
    नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
    शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
    यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
    -डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

    नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  27. बहुत खूबसूरती से समेटे हैं जज़्बात अपनी गज़ल में।
    बहुत अच्छा लगा ; पढ कर खुशी हुई ।

    आपको मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई ।
    धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  28. बहुत खूबसूरती से समेटे हैं जज़्बात अपनी गज़ल में।
    बहुत अच्छा लगा ; पढ कर खुशी हुई ।

    आपको मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई ।
    धन्यवाद ।

    ReplyDelete