Saturday, May 5, 2012

आज मुझे कंस की बहुत याद आई है ...


आज मुझे कंस की बहुत याद आई है 
वही कंस जो देवकी का प्रिय भाई है
इतिहास ने जिसे बहुत क्रूर और कपटी बताया है
बुराई का अवतार बना, अच्छाइयों को नकारा है 
कहते हैं वो दुष्ट था, मैं भी यही समझ पायी हूँ 
पर कुछ तो अच्छाई थी उसमें, यही कहने आई हूँ
वो प्यारी बहन देवकी को, सासुरे छोड़ने जाता था 
आकाशवाणी हुई थी तभी, और कोई उसे बताता था
देवकी का आठवां पुत्र, उसका काल बन जाएगा 
रे दुष्ट उसके जन्मते ही, तू जीवित नहीं रह पायेगा
ऐसी बात कहकर नियति ने, पहाड़ तोड़ा था
तभी तो उसने अपना रथ, उसी जगह से मोड़ा था 
कारागाह में अपनी बहन, और जीजा को छोड़ा था
बहन-जीजा को जीवित रखना, उसकी राह का रोड़ा था
वह राजा था बलशाली था, कुछ भी कर सकता था 
पलक झपकते देवकी-वासुदेव के, प्राण हर सकता था  
लेकिन धैर्य से बैठा वह, काल की प्रतीक्षा करता रहा 
भगिनी के प्रेम में, घात पर घात सहता रहा 
देवकी कंस के लिए बस, मौत ही जनती रही
भाई के लिए पाप के, कई कारण बुनती रही
जानती थी देवकी, बच्चों की मृत्यु हो जायेगी
फिर भला क्यों कोई माँ, बच्चे ही जनती जायेगी ?
देवकी की हर प्रसूति, उसे हिला कर जाती थी 
हर बच्चे में मृत्यु-भय, घोर पाप करवाती थी
देवकी भी कंस के संग, पाप की भागी बनी है
ये न सोचे वो कि उसके, पाप में कोई कमी है
क्या बहन को भाई के लिए, काल जनना चाहिए ?
या बहन को भाई का, कल्याण सोचना चाहिए  
कंस का भगिनी प्रेम, किसी ने नहीं स्वीकारा है
और मैं कहती हूँ कुछ भी कहिये, कंस भगिनी प्रेम से हारा है..

अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो।..आवाज़ 'अदा' की...