Wednesday, May 9, 2012

चाँद बनना मेरी किस्मत, है मुक़द्दर चाँदनी.....


दिल के बाहर चाँदनी, दिल के अन्दर चाँदनी
चाँद बनना मेरी किस्मत, मेरा मुक़द्दर चाँदनी

बिखरे हुए गुल-बूटे हर सू, फ़ैल गए टीले कई
दश्त में अब कैसे बिछाए, नर्म बिस्तर चाँदनी 

बंद कमरों में अँधेरा,
सीलन भी घुटती हुई 
ऊब कर सोने लगी है, घर के छत पर चाँदनी

हमलावर हैं तेरी यादें, बचना ज़रा मुश्किल मेरा 
तभी तो लेकर है उतरी, फ़लक से खंजर चांदनी

दश्त=जंगल
गुल-बूटे=फूल, कलियाँ
फ़लक=आकाश


और अब एक गीत....
अभी न जाओ छोड़ कर ....ये गीत  सिर्फ़ २ मिनट ४६ सेकेंड का है...बाकी ख़ाली है..असुविधा के लिए खेद है...