
आज कल हर किसी की जुबां से एक शब्द आम सुनाई पड़ता है Comfort ', अक्सर महिलायें ये कहती सुनी जाती हैं...मैं साड़ी में comfortable नहीं फील करती हूँ....साड़ी पहनना मुसीबत है ...बड़ा काम हो जाता है...इत्यादि.... आज कल साड़ी को दकियानूसी परिधान की श्रेणी में रखा जाता है...किसी भी नवयुवती से साड़ी की बात करो....तो चेहरे पर ऐसे भाव आते हैं जैसे उसे एवरेस्ट पर चढ़ने को कहा गया हो, लेकिन आज की महिला यह भूल रही है कि साड़ी हमारी पहचान है...और बहुत ही गरिमामय पहचान है...
दुनिया के किसी भी कोने में आप चले जाते हैं..आप अपनी त्वचा अपने साथ लेकर जाते हैं...इसे आप नहीं छुपा सकते हैं....यह त्वचा आपको आपकी जड़ों की याद दिलाती रहती है....आप चाह कर भी उससे पीछा नहीं छुड़ा सकते... तब यही कुछ चिन्ह आपको सुरक्षित महसूस कराते हैं, आपके आत्मसम्मान को बचाते हैं....और आपके व्यक्तित्व के साथी होते हैं...

भूल जाइए संस्कृति और संस्कार की बातें.....आज हम इनकी बात नहीं करेंगे.....क्यूंकि हर समय संस्कृति का राग अलापना भी बोरिंग हो जाता है....आज बात करते हैं सिर्फ़ 'पहचान' की...हर देश, का अपना भोजन, अपनी भाषा, अपना पहनावा है .....और ये चीज़ीं उनकी पहचान हैं....पहनावा एक ऐसी पहचान जिसे देख कर आप तुरंत जान जाते हैं कि यह व्यक्ति किस देश का है.....
अगर आप अपनी पहचान से शर्मिंदा हैं और स्वत्व को छोड़ कर दूसरों की पहचान ख़ुद पर लाद रहे हैं...तथा ऐसा करते हुए आपको दूसरे लोग देख रहे हैं तो भला कौन आपका सम्मान करेगा.... ??? दूसरे आपका सम्मान तभी करते हैं जब आप ख़ुद का सम्मान करते हैं.....
जैसे ही आप साड़ी पहनतीं हैं ...आप अपनी पहचान को पहनतीं हैं........आँख बंद करके लोग जान लेते हैं कि यह पहनावा भारत का है और कहीं का हो ही नहीं सकता .... तुरंत उनके मन में आपके प्रति आदर के भाव आ जाते हैं ...वो आपको सम्मान की दृष्टि से देखते हैं ....क्यूंकि आप अपनी पहचान का सम्मान कर रहे हैं...और आपके सम्मान का अपमान करने की हिम्मत कोई कभी नहीं करेगा....
आप किसी भी अमेरिकन या कनेडियन से भारतीय परिधान 'साड़ी' के बारे में उनके विचार पूछें तो, आप हैरान हो जायेंगे उनके जवाब सुन कर....आज तक मैंने जिससे भी पूछा है सबने एक सुर में यही कहा है की ...दुनिया का सबसे खूबसूरत परिधान साड़ी ही है और यकीन कीजिये यह अतिश्योक्ति नहीं है.....जब भी मैं साड़ी पहन कर अपने काम पर जाती हूँ...लोगों ने रुक रुक कर तारीफ की है....फिर चाहे कपडे की बात हो या रंग या फिर कारीगरी की ....मेरी कितनी व्हाइट सहेलियों ने मेरे घर आकर साड़ी पहन कर अपने मन की बहुत बड़ी इच्छा की पूर्ति की है....
कितना ही अच्छा होता अगर हम अपनी तरफ से अपने देश के कुछ अमूल्य धरोहरों का देश-विदेश में विस्तार करने के बारे में सोचते....लेकिन हमेशा की तरह...हम स्वयं अपनी पहचान से शर्मिंदा हैं.....हमारी हर चीज़ की कीमत हमें विदेशियों ने ही बताया है...फिर चाहे वो योग हो या गाँधी, साड़ी की भी यही हालत हो जाती .....अगर विदेशों की आबोहवा साड़ी के मफ़िक होती तो ....'साड़ी' कब की अगवा हो चुकी होती और अमेरिका उसे पेटेंट करा चुका होता ...ठीक वैसे ही जैसे 'बासमती' चावल को करवाया गया है...
कुछ स्त्रियों की यह सोच है कि साड़ी बड़ी उम्र की महिलाओं का परिधान है...साड़ी पहन कर खूबसूरत नज़र नहीं आया जा सकता है....यह बिलकुल गलत है....
नवयुवतियां में यह सोच कि साड़ी पहन कर वो cool नहीं लगेंगी या आकर्षक नहीं लगेंगी....इस बात में कोई दम नहीं है ....उनका यह भी सोचना की साड़ी पहनना बहुत झंझट का काम है वो भी सही नहीं है......साड़ी बहुत आसानी से पहनी जा सकती है.....और बहुत सुविधाजनक भी होती है.....ज़रुरत है सही मौसम में सही साड़ी के चुनाव की......आज कल युवतियां यह भी सोचती हैं की वो कम कपड़ों में जितनी आकर्षक लगेंगी ...साड़ी में नहीं लगेंगी....तो विश्वास कीजिये यह उनका वहम है....छोटे कपड़ों से कहीं ज्यादा खूबसूरत और उससे ज्यादा आकर्षक साड़ी में युवतियां लगतीं हैं.......ये पक्की बात है..मेरा आजमाया हुआ है....:)
मैं जीवन में सुविधाओं के विपक्ष में नहीं हूँ, लेकिन सुविधा के लिए अपनी पहचान ही गवां देवें ...इसके पक्ष में मैं हरगिज़ नहीं हूँ....पहचान त्यागना ठीक वैसा ही है जैसे ....अपनी त्वचा का त्याग करना....और त्वचा के बिना आपकी क्या पहचान...???
धीरे धीरे साड़ी को इस तरह लुप्त होते देख मन बहुत आतंकित है....क्या होगा साड़ी का ?? क्या यह बिलकुल ही लुप्त हो जायेगी....क्या साड़ी का बोझ इतना भारी है कि आज की महिलाएं इसे सचमुच नहीं उठा पा रही हैं....अगर यही हाल रहा तो अगली एक दो पीढ़ियों में ही ना सिर्फ़ साड़ी लुप्त हो जायेगी...उसके साथ-साथ हमारी पहचान भी गुम जायेगी.....साथ ही बंद हो जाएगा एक बहुत बड़ा उद्योग और उसके साथ-साथ अपने घुटनों पर आ जायेंगे कला के कई सोपान..और निःसंदेह दम तोड़ देगी हमारी अपनी गरिमा.....