Saturday, August 10, 2013

परेशान कर दिया है, इस वकील के सवालों ने......



शुमार थे कभी उनके, रानाई-ए-ख़यालों में
अब देखते हैं ख़ुद को हम, तारीख़ के हवालों में

गुज़री बड़ी मुश्किल से, कल रात जो गुज़री है  
टीस भी थी इंतहाँ, तेरे दिए हुए छालों में 

बातों का सिलसिला था, निकली बहस की नोकें 
फिर उलझते गए हम, कुछ बेतुके सवालों में

सागर का क्या क़सूर, वो चुपचाप ही पड़ा था
उसको डुबो दिया मिलके, चंद मौज के उछालो ने 

हूँ गूंगी मैं तो क्या 'अदा', इल्ज़ाम गाली का है 
परेशान कर दिया है, इस वकील के सवालों ने

कुछ होंठ सूखे हुए थे, और थे कुछ प्यासे हलक 
पर गुम गईं कई ज़िंदगियाँ, साक़ी तेरे हालों में

रानाई-ए-ख़यालों=कोमल अहसास
साक़ी=शराब बाँटने वाली
हाला=शराब की प्याली


21 comments:

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    1. जी हाँ प्रवीण जी, मुझे भी लग रहा है, भाव इतने गहरा गए हैं कि अब पकड़ में नहीं आ रहे हैं :)

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  2. मीनाक्षी लेखीजी अच्छी वकील हैं, उन्हें वकील कर लीजिये सामने वाले के धुर्रे बिखेर देंगी और फ़िर सामनेवाले आपकी गज़ल से चुराकर कहेंगे ’परेशान कर दिया है, इस वकील के सवालों ने।’
    (ओन्ली लोचा ये है कि वो भगवा पार्टी से संबद्ध हैं :)

    बहुत अच्छी गज़ल लगी, जैसे पहली बार लगी थी।

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    1. योर ऑनर,
      भगवा पार्टी हमरी भी उतनी ही है जितनी आपकी है, ओनली लोचा ई है हम अपना केस खुदै फ़ोकट में लडूँगी :)

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  3. बहुत अच्छी ग़ज़ल है. लकिन आपकी गायन की कमी महसूस हुई
    latest post नेताजी सुनिए !!!
    latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!

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    1. कालिपद जी,
      बहुत दिनों से मैंने कोई नया गाना रिकोर्ड नहीं किया है, इसलिए कोई गाना नहीं डाल पा रही हूँ, जैसे ही ये काम होगा अवश्य आप सब के साथ साझा करुँगी।
      आपका आभार !

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  4. ये एक ज़िंदगी तो बच जाय या खुदा :-)

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    1. डॉ साहेब,
      चिंता की बात नहीं है, फिलहाल ज़िन्दगी की सेहत ठीक है, सुबह से शाम तक भागा-दौड़ी आई मीन जॉगिंग कर रही है :)

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  5. खुबसूरत ग़ज़ल सचमुच अदायगी की कमी खली, आशा अगली बार इस कमी को मद्देनज़र रखकर लिखिए, वरना पढेंगे ज़रूर कमेंट नहीं करेंगे, गाइये भी जनाब

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    1. का भईया आप बहिन को भी धमकी देते हैं :)
      आप पढ़े और बिना प्रोत्साहन दिए चले जाएँ, 'ऐसा हो नहीं सकता' :)

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  6. वाह-वाह, क्या बात है।
    आपको सुनना हमेशा सुकून देता है।

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    1. ई तो आपका बड़प्पन है सिद्धार्थ जी, जो आप ऐसा कह रहे हैं.।
      आपका आभार !

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  7. प्रत्येक व्यक्ति के भीतर एक बेतुका वकील होता है शायद ...।

    सच्ची गहरी बात लिख दी आपने ।

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    1. सही कहा आपने, तभी तो हम सभी बेतुके बहसों में उलझे रहते हैं ।
      आभार !

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  8. इस खूबसूरत सी ग़जल को स्वर भी तो दीजिये .......

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    1. समय नहीं मिल पा रहा है, फिर भी कोशिश ज़रूर करुँगी।
      आप आयीं, बहुत अच्छा लगा :)

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  9. आदरणीया आपकी यह प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है।
    http://nirjhar.times.blogspot.in पर आपका स्वागत् है,कृपया अवलोकन करें।
    सादर

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    1. वंदना जी,
      मेरी रचना को http://nirjhar.times.blogspot.in के योग्य समझा, ह्रदय से आभारी हूँ.।

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  10. एक जवाब के इंतजार में खड़े हैं
    सवालों के भंवर में सभी फंसे हैं.....

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    1. सवालों के भवंर कितने भी गहरे हों, जवाब की गुणवत्ता और विश्वसनीयता के सामने वो कहाँ ठहर पायेंगे भला !

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