आज बस यूँ ही इंटरनेट खंगालते हुए कुछ नज़र आ गया। सोचा क्यूँ न इसे आपलोगों के साथ साझा  कर ही लिया जाए ।
यहाँ से पढ़ा जा सकता है इसे :
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| 09.13.2008 | 
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  “आरोही 
  साऊथ एशियन प्रोग्राम”
  
  
  ने हिन्दी कविता का प्रसारण | 
   9 
  दिसम्बर, 
  2004 - 
  संध्या 
  8 
  बजे कैनेडा की राजधानी ओटवा से 
  97.9 
  एफ.एम चिन रेडियो के 
  “आरोही 
  साऊथ एशियन प्रोग्राम”
  ने 
  हिन्दी कविता का प्रसारण किया। संध्या के पाँच बजे के लगभग श्रीमती स्वप्न 
  मंजूषा शैल ने हिन्दी चेतना के सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी जी के सम्पर्क 
  स्थापित किया कि किसी कारणवश उनके रेडियो अतिथि नहीं आ रहे तो उस समय के 
  दौरान वह रेडियो से हिन्दी कविता का प्रसारण करना चाहती हैं। क्या यह 
  त्रिपाठी जी के लिए सम्भव है कि इतने कम समय में कवियों को एकत्रित कर सकें 
  काव्यपाठ के लिये? 
  
  त्रिपाठी 
  जी ने तुरन्त हामी भर दी क्योंकि त्रिपाठी जी जानते थे कि कवि तो अवसर 
  ढूँढते रहते हैं कविता सुनाने के लिए और तिस पर रेडियो प्रसारण! कोई समस्या 
  ही नहीं थी! कुछ टेलीफोन की घंटियाँ बजीं और कविगण तैयार होकर बैठ गये 
  संध्या के 
  8 
  बजने की प्रतीक्षा में। 
  
  
  
   “आरोही 
  कार्यक्रम”
  के 
  नियोजक शैल दम्पति हैं। श्री सन्तोष शैल जी टी.वी. से बहुत लम्बे अस्è
  से 
  सम्बन्धित रहे हैं। डॉ.
  
  स्वप्न मंजूषा शैल स्वयं कवयित्री हैं। यह कार्यक्रम ओटवा क्षेत्र से बाहर 
  अंतरजाल  
  
  रुरुरु.ारश्हi.च 
  पर भी सुना जा सकता है। संतोष और स्वप्न मंजूषा शैल जी ने न केवल टोरोंटो 
  के हिन्दी चेतना से सम्बन्धित कवियों को ही आमन्त्रित किया बल्कि ओटवा 
  क्षेत्र और माँट्रियॉल के कवियों को भी आमन्त्रित किया। परन्तु कार्यक्रम 
  पर टोरोंटो के कवि ही हावी रहे क्योंकि यहाँ का साहित्य समाज बहुत 
  क्रियाशील है। टोरोंटो से भाग लेने वाले कवियों में से - महाकवि हरिशंकर 
  आदेश,
  
  राज महेश्वरी,
  
  सुरेन्द्र पाठक,
  
  भगवत शरण 
  ‘शरण’
  
  सरोज सोनी,
  डॉ.
  
  शैलजा सक्सेना,
  
  सुमन कुमार घई,
  
  पाराशर गौड़ और चेतना के संपादक श्याम त्रिपाठी थे। अन्त में डॉ.
  
  स्वप्न मंजूषा शैल जी ने भी अपनी एक हास्य कविता सुनाई। सभी प्रवासी भारतीय 
  श्रोताओं ने उस कविता में अपनी छवि देखी। कविता में मंजूषा जी ने पहली बार 
  कैनेडा में एक प्रवासी के सम्मुख आने वाली बाधाओं का बहुत ही सुन्दरता और 
  रोचक रूप में वर्णन किया है।
  मेरी बारी 
  आने पर सन्तोष जी ने साहित्य कुंज के विषय में कई प्रश्न पूछे तथा अपने 
  श्रोताओं को सूचित किया कि रुरुरु.ारश्हi.च 
  के मुख्य पृष्ठ द्वारा भी साहित्य कुंज तक पहुँचा जा सकता है। मैं उनके इस 
  प्रयत्न के लिए आभारी हूँ।
पहली बार 
  कैनेडा में हिन्दी कविता के रेडियो प्रसारण पर 
  “साहित्य 
  कुंज”
  
  शैल दम्पती को धन्यवाद व बधाई देता है और आशा रखता है कि भविष्य में भी ऐसा 
  होता रहेगा 
फिर बताएं कि भविष्य में ऐसा फिर हुआ क्या????
ReplyDeleteसाहित्य कुञ्ज की आशाएं पूरी हुईं कि नहीं???
अनु
आउल का...
Deleteकैसे नहीं पूरी होतीं भला !!
हम तो पेले से ही पढ़ चुके हैं इसे, भविष्य में का हुआ, जे और बताना था| हाँ नहीं तो..!!
ReplyDeleteई लो आप भविष्य की बात करे हो...
Deleteहम तो वर्तमान में भी कवि सम्मलेन करवाते ही रहती हूँ...
रेडियो से दूर हूँ फिलहाल लेकिन बहुत जल्द धमाके के साथ अवतार लेना है...
हाँ नहीं तो..!!
बेकरार दिल तू गाये जा..............
ReplyDeleteवहाँ कमेन्ट की मनाही क्यूँ???
fell in love with ur voice....and song was superb too.
anu
(don't publish if u dont like...this comment is for u )
अरे..!
Deleteग़लती से मिश्टेक हो गया मईडम
ध्यान में नहीं रहा कि कोमेंत्वा का बक्सा बन्द है...
कोई बात नहीं ..कमेन्ट हीयाँ हो कि हुवाँ, बात एके है.
घी कहाँ गिरा, तो दाल में...:)
उसकी रिकार्डिंग यहां लगानी थी। हम भी सुनते डा. शैल की हास्य कविता।
ReplyDeleteऊ रेकॉर्डिंग तो होगी नहीं हमारे पास ..लेकिन किसी दिन सुना देंगे, अपनी हास्य कविता ज़रूर..
Deleteबाक़ी रही डॉ. की बात, तो एक पी.एच डी हमरे पास भी है..लेकिन उसको हम कहते है , पागल होने की डिग्री (पी.एच.डी.) :):)
हा हा हा
साहित्य कुञ्ज में रचनाओं के पुष्प खिलें...
ReplyDeleteप्रवीण जी,
Deleteजब साहित्य कुञ्ज ही है, तो रचनाओं के पुष्प खिलना लाज़मी है...
हायं ...पीएचडी माने ई होता है ..घनघोर एक्सकिलुसिभ सुनाईं जी आप । बकिया पोस्ट रोचक लगी खूब मजेदार ।
ReplyDeleteअब का कहें अजय जी,
Deleteएही तो अपुन का घनघोर इश्टाइल है! :)
पढ़कर बहुत अच्छा लगा दीदी । वैसे आपकी पिछली पोस्ट का लिंक आज की हलचल पर है।
ReplyDeleteवहाँ कमेन्ट बॉक्स बंद है :(
सादर
“साहित्य कुंज” शैल दम्पती को धन्यवाद व बधाई देता है और आशा रखता है कि भविष्य में भी ऐसा होता रहेगा"
ReplyDeleteहम भी इनके सुर में सुर मिलाकर धन्यवाद कहते हैं..इतनी अच्छी पोस्ट शेयर करने के लिए और भविष्य में ऐसी और रिपोर्ट पढ़ने की आकांक्षा रखते हैं.
आपके हास्य सम्मेलन के अंशों का देर सबेर इंतजार रहेगा ..शानदार संस्मरण ...
ReplyDeleteachchhi post, achchha sansmaran....... dhanyawad:)
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