Thursday, September 15, 2011

तो क्या ...!!


ज़माने की अब हवा अगर, बदल जाए
तो क्या
क़ातिल मेरा मुझे अगर, गले लगाए
तो क्या

क़सम तुम्हें मेरी मुझे, अब भर लो बाहों में

आंधी की साज़िश हो कोई, और हवा उड़ाये तो क्या

तेरी वफायें घेर के, चलतीं हैं बस मुझे
गिरने का खौफ़ क्यूँ भला, राह डगमगाए
तो क्या

तक़रार में क्यूँ भला, ये वक्त जाया हो
मेरी आँखें तेरा आईना, तू नज़र आये तो क्या

पैबस्त हो गया मेरे, हर पोर-पोर में तू 
अब लेके तेरा नाम, हर कोई बुलाये तो क्या   

ख्वाहिश दिल की दीद में, झिलमिल सी जम गईं  
मुमकिन हो तेरा सामना, मेरे होश उड़ाये तो क्या...

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