Tuesday, May 18, 2010

हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा .....



सोचा न था के तू, अब इतना बदल जाएगा
अबके जो गया है तो फिर, लौटकर न आएगा
 
परवाज़ आ गए हैं, पर इनका क्या भरोसा
कब तक ये अब रुकेंगे, ये मौसम बताएगा

मेरे घर में रह रही है, बेघरी कई दिनों से
जाए या अब रहे ये, पर तमाशा हो जाएगा

सुलझे हुए दिखे हैं उलझे हुए से बन्दे
उलझे हुओं की सुलझन में तू उलझ जाएगा
  
सागर की प्यास का तो, तुम्हें इल्म ही कहाँ है
कभी अश्क पी के देखो, सब मालूम चल जाएगा 

बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के 
हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा


अब आप गाना सुनिए 'अदा' की आवाज़ में 'आपके हसीन रुख़ पर आज नया नूर है....'
अरे बाबा !! हाँ.... हाँ .....हम जानते हैं ई गितवा रफ़ी साहब गाये हैं ..तो का हुआ ..हमको गाने में कोई कर्फू लगा है का...मन किया गा दिए हैं, अब सुन लीजिये न प्लीज ....!!



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21 comments:

  1. परवाज़ आ गए हैं, पर इनका क्या भरोसा
    कब तक ये अब रुकेंगे, ये मौसम बताएगा
    बहुत सुन्दर
    अच्छा है कर्फु नहीं लगा वर्ना सुन्दर गीत आपके स्वर में कैसे सुन पाते

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  2. सागर की प्यास का तो, तुम्हें इल्म ही कहाँ है
    कभी अश्क पी के देखो, सब मालूम चल जाएगा

    -बहुत उम्दा रचना...


    गीत भी बेहतरीन लगा.

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  3. सागर की प्यास का तो, तुम्हें इल्म ही कहाँ है
    कभी अश्क पी के देखो, सब मालूम चल जाएगा

    बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के
    हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा


    दर्द है.

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  4. बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के
    हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा

    क्याबात है ! बहुत सुन्दर !

    गीत आपकी आवाज़ में अच्छी लगी !

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  5. बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के
    हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा

    इस का कोई जवाब नहीं।
    और गान का भी.....

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  6. This comment has been removed by a blog administrator.

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  7. @ अविनाश जी,
    माफ़ी चाहती हूँ इस ज़लज़ला प्रकरण को अब समाप्त किया जाए...सीधी सी बात है...इस व्यक्ति ने जो किया उसका हमने सामूहिक रूप से बहिष्कार किया है..और अब इस तरह की बातें हमारी समझ से सही नहीं है....कम से कम आप तो उसकी तरफदारी मत कीजिये....अब श्रीमान ज़लज़ला अपनी गलतियों को जो मर्ज़ी जामा पहना सकते हैं....लेकिन हम सबने उनके प्रयास का एक साथ बहिष्कार किया और हम उस पर कायम रहना चाहते हैं...वैसे भी हमलोगों ने तय किया था की ऐसी टिप्पणियों को कोई महत्व नहीं दिया जाए...इसलिए मैंने आपकी टिप्पणी डिलीट कर दी...आशा है आप मेरी बात समझेंगे...
    धन्यवाद..

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  8. सागर की प्यास का तो, तुम्हें इल्म ही कहाँ है
    कभी अश्क पी के देखो, सब मालूम चल जाएगा waah Ada ji lajawaab ghazal hai..aur geet har baar ki tarah sama baandh dene wala...

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  9. बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा...
    कहाँ सोचता है कोई कि दोस्त भी बदल जाएगा ...दिल दुखाने वाली बात कहने से पहले ...

    आपकी आवाज़ में ये गीत तो मेरे पास है ही ..सुन लेती हूँ कई बार...
    मधुर आवाज़ की तारीफ कब तक करे और कितनी करे ...
    बढ़िया है ...

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  10. "सागर की प्यास का तो, तुम्हें इल्म ही कहाँ है
    कभी अश्क पी के देखो, सब मालूम चल जाएगा

    बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के
    हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा"

    हद से गुज़र गये, वो लोग और थे।

    Welcome back to normalcy.
    और ऐसे गाने सुनने को मिलते रहें जी तो कर्फ़ु वर्फ़ु की कौन कहे, मार्शल ला की भी फ़िकिर नाट।

    आभार स्वीकार करें।

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  11. बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के
    हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा

    बहुत ही शानदार रचना और साथ में मधुर गीत!
    आनन्द आ गया!

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  12. भावपूर्ण गीत व गायन ।

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  13. बस कस दिया वो तंज, न सोचा फिर पलट के
    हर्फों की तल्ख़ तासीर से, इंसा बदल जाएगा
    umda panktiyan ..bahut khoob ada ji !

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  14. पहले तो ऐसा मनमोहक ग़ज़ल पढ़ा आपने मंत्रमुग्ध कर दिया और उसपर आपकी आवाज.....उफ़ क्या कहूँ....
    ईश्वर ने एकसाथ सबकुछ दे दिया आपको...रूप,विद्वता और कला...

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  15. सुलझे हुए दिखे हैं उलझे हुए से बन्दे
    उलझे हुओं की सुलझन में तू उलझ जाएगा

    हम तो इस उलझन में उलझ ही गए ।
    बढ़िया रचना अदा जी ।

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  16. बस ये कहूंगी हर शेयर लाजवाब’............

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  17. "सुलझे हुए दिखे हैं उलझे हुए से बन्दे
    उलझे हुओं की सुलझन में तू उलझ जाएगा
    सागर की प्यास का तो, तुम्हें इल्म ही कहाँ है
    कभी अश्क पी के देखो, सब मालूम चल जाएगा"
    वाह!क्या बात है जी...

    अदा जी आपकी हर अदा लाजवाब है जी!आपकी हर पोस्ट एक मोती सा है,सहेज कर अपने कोष की चमक बढाने का जी चाहता है!

    कुंवर जी,

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  18. उम्दा रचना...खूबसूरत आवाज़.. दोनो ही मनभावन..

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