अब और इस दिल का क्या होगा
इतना तन्हाँ है, कितना तन्हाँ होगा
सारे के सारे अक्स मुझे फ़रेब लगे
कोई चेहरा तो कहीं सच्चा होगा
मुझे सच का आईना दिखाने वाले
शायद तेरी आँखों का धोखा होगा
देखा कई बार मैंने पीछे मुड़ कर
मेरे लिए भी कहीं कोई खड़ा होगा
हम उन आँखों को मय समझ बैठे
कोई दीवाना भला मुझसा कहाँ होगा
कब आओगे आ भी जाओ मेरी जाँ
इतंजार कर इंतज़ार थक गया होगा
और अब मयंक कि चित्रकारी...
तस्वीरों को क्लिक करके बड़ा कर सकते हैं....
तस्वीरों को क्लिक करके बड़ा कर सकते हैं....
मयंक की चित्रकारी अच्छी है। कैसे इत्ते चित्र बना लेता है मयंक। बहुत सुन्दर। गजल भी अच्छी लगी।
ReplyDeleteइतंजार कर इंतज़ार थक गया होगाक्या जलवेदार प्रयोग है जैसे कभी पढ़ा था- छाहौं मांगत छांह( छाया भी छाया मांग रही है)
"सारे के सारे अक्स मुझे फ़रेब लगे
ReplyDeleteकोई चेहरा तो कहीं सच्चा होगा
मुझे सच का आईना दिखाने वाले
शायद तेरी आँखों का धोखा होगा"
बहुत सुन्दर गजल है!
प्रत्येक शब्द हकीकत बयान कर रहा है!
वाह .....ada जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!
ReplyDeleteअब तो आपकी प्रविष्टियों की आवश्यकता-से बन गये हैं मयंक के चित्र ! बेहद खूबसूरत ।
ReplyDelete"सारे के सारे अक्स मुझे फ़रेब लगे
कोई चेहरा तो कहीं सच्चा होगा "..
बस इतना सोचते रहना बहुत है जीने के लिए !
आभार गज़ल के लिए, चित्र के लिए भी ।
Bahut acchi gazal hai..dhanywaad.
ReplyDeleteMayank babu ki kalakari dekh kar andaza hota hai ....unke khayali ghode kitane tez daud jaten hai...Shubhkamanaae!
वाह...
ReplyDeleteमहताब बन गयी है किरण..आफताब की...
BAhut hi sundar kavita.
ReplyDelete"देखा कई बार मैंने पीछे मुड़ कर"
ReplyDeleteमुड़कर किसे देखता है मेरे दिल
तेरा कौन है जो तुझे रोक लेगा ...
मयंक की चित्रकारी में निखार आते जा रहा है!
उसे प्रोत्साहित करते रहें।
दिल ही तो है न संगो=खिश्त दर्द से भर न जाए क्यूँ..
ReplyDeleteरोयेंगे हम हजार बार कोई हमें रुलाये क्यूँ...?
रात एक महफ़िल में अपने बड़े अंकल पर लोगों को हंसता देखा तो दिल बड़ा दुखी हुआ...
हंसने वाले भी कोई गैर नहीं थे...पर जाने दिया बस...
चांद तन्हां है, आसमान तन्हां,
ReplyDeleteजिस्म तन्हां है और जा तन्हां,
दूर अंधेरी राहों में,
थरथराता रहा जहां तन्हां,
राह देखा करेगा सदियों तक,
छोड़ जाएं ये जहां तन्हां....
मयंक हमेशा की तरह लाजवाब...
जय हिंद...
सुन्दर ग़ज़ल/रचना...
ReplyDeleteबधाई...
मुझे सच का आईना दिखाने वाले
ReplyDeleteशायद तेरी आँखों का धोखा होगा...
बहुत सुंदर,खूबसूरत लाइनें.
गाना कहाँ है?
ReplyDeleteक्या बात है...आनन्द आ गया!
ReplyDeleteमुझे सच का आईना दिखाने वाले
ReplyDeleteशायद तेरी आँखों का धोखा होगा
बहुत लाजवाब.
चित्र बहुत लाजवाब, भविष्य का नामी चित्रकार दिखाई देरहा है.
रामराम.
सारे के सारे चहरे फरेब लगे ....
ReplyDeleteअक्श सच्चे कहाँ से लगेंगे .....
मगर सच्चे दिल वाले सच्चे दिल से सच्चे दिल को ढूंढें ...सच्चे दिल मिलेंगे...जरुर मिलेंगे ...
रास्ता जरुर काई बार झूठ से होते हुए गुजरता है
कब आओगे आ भी जाओ मेरी जाँ
ReplyDeleteइतंजार कर इंतज़ार थक गया होगा
बहुत खूब ग़ज़ल कही है....खूबसूरत
चित्रकारी के साथ कविता को पढ़ने का मजा ही कुछ और हो जाता है।
ReplyDeleteदेखा कई बार मैंने पीछे मुड़ कर
ReplyDeleteमेरे लिए भी कहीं कोई खड़ा होगा
बहुत सुंदर कविता, मै कल भी आया ओर काफ़ी इंतजार किया आप के ब्लांगर के दुवारे बेठा रहा कि कब खुल कब पढू ओर फ़िर मेरा लेपटाप ही हेंग हो गया..... आज भी काफ़ी समय लगा,
इतंजार कर इंतज़ार थक गया होगा
ReplyDelete...क्या बात कही है ?...
"सारे के सारे अक्स मुझे फ़रेब लगे
ReplyDeleteकोई चेहरा तो कहीं सच्चा होगा
मुझे सच का आईना दिखाने वाले
शायद तेरी आँखों का धोखा होगा"
क्या कहा जा सकता है, वाह के अलावा!
और अगर गुस्ताखी करूं तो ये के,
’आईना घिस जायेगा अब और न बुहारो यारों,
गर्द चेहेरे पे है,इक हाथ फ़िरा लो यारो.
मैं तो गुजर जाउंगा नाकामियां अपनी लेके,
तुम को तो रहना है,इस चमन को सवांरो यारों।’
बहुत सुन्दर रचना और मयंक की चित्रकारी के तो क्या कहने . बहुत बढ़िया ... बालक होनहार है
ReplyDeleteमहेन्द्र मिश्र
समयचक्र - चिट्ठी चर्चा .
देखा कई बार मैंने पीछे मुड़ कर
ReplyDeleteमेरे लिए भी कहीं कोई खड़ा होगा ...Aah!
कब आओगे आ भी जाओ मेरी जाँ
ReplyDeleteइतंजार कर इंतज़ार थक गया होगा
बहुत खूब ग़ज़ल कही है....खूबसूरत
kya sochta hai e dil???
ReplyDeletekya sawaal karta hai???
he muhobaat to sabhi ka...
bura haal karta hai.....!!
दिल को छू लेने वाली कविता है.
ReplyDelete"देखा कई बार मैंने पीछे मुड़ कर मेरे लिए भी कहीं कोई खड़ा होगा."
अदाजी आपसे एक दिल कि बात कहना चाहता हुं कि आपने मीना कुमारी कि तस्वीर डाल कर हमे घायल कर दिया. अजी हम तो मीना कुमारी के दिवाने है.
ReplyDeleteMayank ke chitron ka to koi sani nahin di...
ReplyDeletehaan lekin aaj gazal me wo jalwa nahin dikha.. jhooth nahin bolunga.
aap naraz to nahin hongeen na? :)
चित्रकारी औऱ कविता का मेल अदभुत है.....
ReplyDeleteअद्भुत!...
ReplyDeleteतुम संगीत को अपना लो.. पूरी तरह... ओढ़ लो संगीत की चादर...और मस्त बँवरी होकर गीत संगीत रंग में रंग जाओ...
इंतज़ार का यह क्रिया और संज्ञा दोनो के रूप मे प्रयोग अच्छ्हा लगा । कविता मे ऐसे ही प्रयोग किये जाने चाहिये इसलिये कि हर शब्द एक नया अर्थ देता है ।
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