Friday, August 14, 2009

कुछ भी...

कुछ ठहरे लम्हों ने
पत्थर उठाये हैं
बे-पैरहन यादों पर
जम कर चलायें हैं

शब्-ऐ-खामोशी की
आवाज़ चुरा
हौसले की इक धुन
नजदीकियों ने गाये हैं

अब कैसा तकल्लुफ
तराश दिया मुज्जसिम
टूटते तारों की
रौशनी पाये हैं

कभी फलक पर
या गर्दिश के पार
फेरा मुँह आफ़ताब से
चाँद हम बुझाये हैं

उम्मीद के सामने
खड़ी है 'अदा'
रोनी सी शक्ल लिए
हाथ हम हिलाए हैं

( बे-पैरहन - बिना कपडों के)
(गर्दिश : time)
(फलक : vault of heaven)

27 comments:

  1. "शब्-ऐ-खामोशी की
    आवाज़ चुरा"
    ====
    त्रासदी की यह कहानी नायाब शब्दो और भावो के ज़ुबानी. क्या खूब लिखा है आपने तो :
    "अब कैसा तकल्लुफ
    तराश दिया मुज्जसिम
    टूटते तारों की
    रौशनी पाये हैं"
    बेहतरीन है

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  2. शब्-ऐ-खामोशी की
    आवाज़ चुरा
    हौसले की इक धुन
    रब्त ने गाये हैं

    अदाजी
    अति सुन्दर! मन भावन पाठ
    आभार
    मुम्बई टाईगरजी

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  3. बेहतरीन,
    जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

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  4. बहुत खूब!
    जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!

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  5. शायरी की ज़्यादा समझ नहीं है लेकिन फिर भी आपकी रचना मन को बेहद भायी

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  6. वाह क्या खूबसूरत अन्दाज़े बयां,और गहरी बात!

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  7. अच्छी रचना
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई

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  8. टूटते तारों की
    रौशनी पाये हैं

    बहुत सुंदर

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  9. बेहतरीन
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई

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  10. कभी फलक पर
    या गर्दिश के पार
    फेरा मुँह आफ़ताब से
    चाँद हम बुझाये हैं ....waah

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  11. Hi :)

    Great job done! I liked your creation.

    Nice words have been used to express it all beautifully.

    Regards,
    Dimple
    http://poemshub.blogspot.com

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  12. कुछ ठहरे लम्हों ने
    पत्थर उठाये हैं
    बे-पैरहन यादों पर
    जम कर चलायें हैं
    अति सुन्दर
    जन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  13. कुछ ठहरे लम्हों ने
    पत्थर उठाये हैं
    बे-पैरहन यादों पर
    जम कर चलायें हैं ..
    bahut khoob/
    kya achhi tarah se uker diya aapne..lazavaab/

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  14. कुछ ठहरे लम्हों ने
    पत्थर उठाये हैं
    बे-पैरहन यादों पर
    जम कर चलायें हैं
    bahut zabardast likhi hai re tu
    WAAH....
    abhi jaana hai. fir aungi.
    Janamshtami ki Badhai.

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  15. wah di lagta hai abhi purani kafiyaat zaari hai....

    कुछ ठहरे लम्हों ने
    पत्थर उठाये हैं
    बे-पैरहन यादों पर
    जम कर चलायें हैं ....

    .... height of impact of pain!!

    शब्-ऐ-खामोशी की
    आवाज़ चुरा
    हौसले की इक धुन
    नजदीकियों ने गाये हैं
    .... height of impact of vain!!

    अब कैसा तकल्लुफ
    तराश दिया मुज्जसिम
    टूटते तारों की
    रौशनी पाये हैं
    ....height of depression.

    कभी फलक पर
    या गर्दिश के पार
    फेरा मुँह आफ़ताब से
    चाँद हम बुझाये हैं
    ....height of frustation !!

    उम्मीद के सामने
    खड़ी है 'अदा'
    रोनी सी शक्ल लिए
    हाथ हम हिलाए हैं
    .....height of beauty.

    and di as always ur poem is height of creativity .

    and beside "serious comment"

    wo dictionary wala part bhi accha tha....

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  16. बहुत सुंदर लिखा है सबकी टिप्पणियाँ भी यही कहती हैं कि आपकी लेखनी में असर है.

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  17. शब्-ऐ-खामोशी की
    आवाज़ चुरा
    हौसले की इक धुन
    नजदीकियों ने गाये हैं
    bahut khoobsurat panktiyan hain.
    hamesha ki tarah.
    bas ek prarthana hai bahut jyada kathin urdu shabd mat daliyega. main samajh nahi pata hun. viase apne maane bhi daal diya hai.
    dhanyawaad.

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  18. bahut bahut shukriya aapka...... itne sunder comments dene ke liye.....


    jee haan yahi pragati hai........



    aapki kavita bhi bahut sunder hai....... zindagi ko paribhaashit karti huyi......

    padh ke kaafi achcha laga......

    Regards

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  19. bahut hi khoobsoorat nazm......

    urdu pe aapki achchi pakad dekh ke bahut khushi hyui...... shabd hi hamari personality ko depict karte hain......

    bahut hi achchi nazm......

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  20. उम्मीद के सामने
    खड़ी है 'अदा'
    रोनी सी शक्ल लिए
    हाथ हम हिलाए हैं

    bahut sundar!!

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  21. एक बीज,
    ऊपर आने के लिए,
    कुछ नीचे गया ,
    ज़मीन के .


    कस के पकड़ ली मिटटी ,
    ताकि मिट्टी छोड़ उड़ सके .

    ६३ बरसा हुए आज उसे ….

    …मिट्टी से कट के कौन उड़ा ,
    देर तक ?

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  22. आपको पढ़कर वाकई में अच्छा लगता है. आपकी आवाज़ और आपकी कवितायें वाकई में उम्दा हैं. वधाई स्वीकारें.

    ---

    जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
    ----
    उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
    आभार.
    विजिट करें;
    उल्टा तीर
    http://ultateer.blogspot.com
    अमित के सागर

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  23. कुछ ठहरे लम्हों ने
    पत्थर उठाये हैं
    बे-पैरहन यादों पर
    जम कर चलायें हैं
    waah kya baat hai !!
    zabardast !!

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