Wednesday, August 5, 2009

सात जनम तक साथ निभाना

दुल्हन बन तेरे घर आना
संग-संग चलते ही जाना
क़तरा क़तरा जुड़ते जाना
चप्पे चप्पे पे छा जाना
कभी खुशबू आबशार बने तो
कभी हो कोई तेल पुराना
कभी आग का गोला हो तुम
कभी हो शबनम मोती दाना
कभी बातों से देह जलाना
नज़रों में ही कभी छुपाना
धूप-छाओं, के साए में
बस यह जीवन जीते जाना
अंत समय तेरे हाथों से
मुख में गंगाजल पा जाना
फिर दुनियाँ में दोबारा आना
फिर तुझसे जुड़ते ही जाना
फिर संग चलते ही जाना
कभी खुशबू आबशार का आना
तो कभी वही तेल पुराना
फिर वही वो आग का गोला
और कभी वही मोती दाना
फिर कभी मेरी देह जलाना
और कभी आँखों में बसाना
फिर जीवन का अंत आजाना
तेरे हाँथों एक बार फिर
मुख में गंगाजल पा जाना
बस ऐसे ही रोते गाते
तुझ संग सातों जनम निभाना

30 comments:

  1. तेरे हाँथों एक बार फिर
    मुख में गंगाजल पा जाना
    बस ऐसे ही रोते गाते
    तुझ संग सातों जनम निभाना


    -रोते गाते काहे जी, हंसते हंसते!!

    बढ़िया है.

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  2. मुख में गंगाजल पा जाना
    फिर दुनियाँ में दोबारा आना
    फिर तुझसे जुड़ते ही जाना
    फिर संग चलते ही जाना
    ===
    बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  3. चीजों को देखने का अलग नजरिया - हमेशा की तरह पसन्द आया मंजूषा बहन। सुन्दर अभिव्यक्ति। मैं भी कुछ जोड़ देता हूँ-

    एक जनम का साथ है मुश्किल
    सात जनम तो एक बहाना

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. कभी बातों से देह जलाना
    नज़रों में ही कभी छुपाना
    धूप-छाओं, के साए में
    बस यह जीवन जीते जाना ...

    dhoop-chhanw ke saaye mein...bas ye jeewan jeete jaanaa...

    bahut sunder lagaa..

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  5. कभी खुशबू आबशार का आना
    तो कभी वही तेल पुराना
    फिर वही वो आग का गोला
    और कभी वही मोती दाना
    फिर कभी मेरी देह जलाना
    और कभी आँखों में बसाना

    हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन...

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  6. Very beautiful lines again from your pen.
    You write amazing poems ,my best wishes.
    regards,
    dr.bhoopendra

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  7. हंसते हंसते निभाने से, निभाना आसान होता है ।

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  8. अत्यन्त सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी!

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  9. कभी बातों से देह जलाना
    नज़रों में ही कभी छुपाना
    धूप-छाओं, के साए में
    बस यह जीवन जीते जाना

    अत्यन्त सुंदर, आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी।

    राखी के अवसर पर आपको इस छोटे भाई की तरफ से ढेर सारी शुभकामनायें।

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  10. ये कविता भी बहुत खूबसूरत है। वैसे आपा, आपको राखी की ढेर सारी बधाइयां। आप यहां तो नहीं, लेकिन आपका आशीर्वाद हमेशा हम लोगों के साथ है, ये यकीन है।

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  11. Adaji,
    Aaoki rachnaon pe kya tippanee karun? Mujhe apna ek alag shabd kosh
    eejaad karna padega...!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

    Kaash! In janam janam ke chakr se hee mukti mil jaye..!

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  12. JANAM JANAM KA SATH HAI HAMARA TUMHARA...........YE PANKTIYAN YAAD AA GAYI AAPKI KAVITA PADHKAR..........ACHCHA LIKHA HAI.

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  13. तेरे हाँथों एक बार फिर
    मुख में गंगाजल पा जाना
    बस ऐसे ही रोते गाते
    तुझ संग सातों जनम निभाना

    behad khubsurat ehsaas liye sunder rachana.badhai

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  14. 'बस ऐसे ही रोते गाते
    तुझ संग सातों जनम निभाना'
    - रोचक अंदाज में प्रस्तुति दी है.वैसे रोते गाते की जगह हंसते हंसते या नोंक झोंक के साथ निभाना आनंददायक है.

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  15. सुन्दर रचना

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  16. bahut badhiya likha hai aapne.
    bahut hi badhiya.

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  17. होगा जब इतना लंबा साथ तो सब होगा हँसना हँसाना और रोना धोना भी।

    रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
    विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

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  18. रोते गाते काहे जी, हंसते हंसते!!
    हंसते हंसते निभाने से,
    वैसे रोते गाते की जगह हंसते हंसते या नोंक झोंक के साथ निभाना आनंददायक है.

    समीर जी, आशा जी, और हेम जी,
    आप भूल रहे हैं मैं सात जनम कि बात कर रही हूँ....सात जनम....बहुत लम्बब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बा समय होगा.....
    अगर सातों जनम सिर्फ मैं हँसती रही न तो बहुत बहुत bore हो जाऊँगी.....
    अब रोज़-रोज़ बिरयानी हमसे तो न खाई जावेगी.....कभी कभी खिचडी ओर तीखी चटनी भी चाहिए मुझे.....
    हा हा हा हा हा हा

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  19. रोते गाते ही सही, अबकी समय मैं सात जनम की बात तो की है |

    बहुत अच्छा लगा |

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  20. purana tel, baaton se deh jalana,

    di simleys used in this poem are awesome....

    ..and love to be with you not "saat janm" but "for you, thousand times and over".

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  21. blog approval laga liya? "arajak tatvon se bachen ke liye" par mujhse bachna mushkil nahi asambhav hai balikeye....

    huhahaha... HUHAHAHAHA ....HUHAAHAHAAA

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  22. bhai privartan to jaruri hai sat janm
    chahe sanste ho ya rote jara mushkil hai.

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  23. bhai privartan to jaruri hai sat janm
    chahe sanste ho ya rote jara mushkil hai.

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  24. कभी खुशबू आबशार का आना
    तो कभी वही तेल पुराना
    फिर वही वो आग का गोला
    और कभी वही मोती दाना
    फिर कभी मेरी देह जलाना
    और कभी आँखों में बसाना
    wahhhhhhh bahut hi sunder geet

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  25. aapke shabdon ka chayan bahut hi sarahneey hai. kamaal ka likhti hain aap.yah kavita jeewan ke dono pakshon ko darshati hai.
    bahut badhiya.

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