ललकारो मुझे, मैं चुप रहूँगा
तुम कोंचो मुझे, मैं चुप रहूँगा
तुम थूरो मुझे, मैं चुप रहूँगा
तुम हूरो मुझे, मैं चुप रहूँगा
लेकिन.....
तुम कोंचो मुझे, मैं चुप रहूँगा
तुम थूरो मुझे, मैं चुप रहूँगा
तुम हूरो मुझे, मैं चुप रहूँगा
लेकिन.....
तुम शांत हो गए तो, ध्येय खो जाएगा
और मेरा चुप रहना, निष्फल हो जाएगा.....
वाणी थैंक्स ..एक शब्द में अटक गई थी...तुमने आज बचा लिया...:)
लगे हाथों एक गीत आपके लिए...
फिल्म : घर घर की कहानी (शायद)
गीतकार : आनंद बक्शी
संगीतकार : कल्याण जी आनंद जी
लगे हाथों एक गीत आपके लिए...
फिल्म : घर घर की कहानी (शायद)
गीतकार : आनंद बक्शी
संगीतकार : कल्याण जी आनंद जी
बोल हैं :
समा है सुहाना सुहाना नशे में जहाँ है.....इस पोस्ट पर आवाज़ : संतोष शैल की
समा है सुहाना सुहाना नशे में जहाँ है किसी को किसी की खबर ही कहाँ है हर दिल में देखो मोहब्बत जवाँ है hmm... कह रही है नज़र नज़र से अफ़साने hmm... कह रही है नज़र नज़र से अफ़साने हो रहा है असर के जिसको दिल जाने देखो ये दिल की अजब दास्तां है नज़र बोलती है, दिल बेज़ुबां है hmm... समा है सुहाना सुहाना... हो रहा है मिलन दिलों का मस्ताना hmm... हो रहा है मिलन दिलों का मस्ताना हो गया है कोई किसी का दीवाना जहाँ दिलरुबा है, दिल भी वहाँ है जिसे प्यार कहिये, वही दर्मियाँ है hmm... समा है सुहाना सुहाना...