काव्य मंजूषा
Showing posts with label
'अदा' ख़ुद से बतियाती रही
.
Show all posts
Showing posts with label
'अदा' ख़ुद से बतियाती रही
.
Show all posts
Monday, August 24, 2009
'अदा' ख़ुद से बतियाती रही
काली सी इक रात जाती रही
घटाएँ नीर बरसाती रहीं
कश्ती किनारे बढ़ती गई
तूफाँ से मात खाती रही
खिंजां का ज़िक्र हम करते रहे
फूलों पर बात आती रही
खड़े रहे वो खंजर लिए
जुबाँ मोहब्बत जताती रही
सारे चेहरे अब झूठे लगे
'अदा' ख़ुद से बतियाती रही
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)