हम चाँद तुम्हारे हैं, तुम रात हमारी हो 
हर शाम तुझे मिलना, ही मेरी हकीक़त है
ख़ुदा का शुक्र मानो, नेमत मिली  है हमको 
इक प्यार तुम्हारा है, इक मेरी मोहब्बत है
आवाज़ तुम्हें दी है, फिर मेरी हसरतों ने 
गर तुम न सुन सको तो, ये मेरी क़िस्मत है 
हर रोज़ उठूंगी मैं, नज़रों में तेरी हमदम 
वो मेरी इबादत है, वो मेरी इतअत है  
मंसूबे शिकायतों का, कई बार बनाया है  
अब तुमसे क्या छुपा है, इंसानी फ़ितरत है  
शाने पे फूलों की है, मुस्कान तबस्सुम की
हर सुब्ह फ़ना होना ही, उनकी तिज़ारत  है 

 
बहुत खूब, ये गाढ़ापन बना रहे।
ReplyDeleteबीच बीच में ऐसा भी लिखती रहा करिये, मूड बदलता रहना चाहिये।
ReplyDeleteये अच्छा किया कि इतअत का मतलब समझा दिया, हमने तो अब तक इत उत (= इधर उधर) ही सुना, जाना, समझा था :)