आज अभी हिथरो एयर पोर्ट में हूँ...पूरे १४ घंटे बैठना है मुझे यहाँ...लगे हाथों एक कविता ही लिख दी...इस कविता की पृष्ठभूमि भी बता देती हूँ...अभी दस दिन पहले जब रांची में थी तो हवाओं में इस तरह की खबर बहुत जोर-शोर से गूँज रही थी कि आज कल पत्रकार ख़बरों का सौदा करते हैं और लाखों कमाते हैं...जैसे किसी पत्रकार ने धोनी को कहीं बैठ कर कुछ दवा-दारु पीते हुए देखा और तस्वीर खींच ली...उस तस्वीर से ब्लैक मेल करके अब वो किसी बड़े चैनेल में पत्रकार हो गया है..क्योंकि उसने धोनी से कहा अगर आपने मुझे किसी बड़े चैनेल में मेरी नौकरी नहीं लगवाई तो ये फोटो छप जायेगी....मरता क्या न करता...धोनी को बात मनानी पड़ी...बेचारा धोनी...!
आज कल हर जगह ये,
खर-पतवार नज़र आते हैं
जो कुछ नहीं बन पाते
वो बस यही बन जाते हैं
जब जी चाहे पत्रकारिता की
जम कर वाट लगाते हैं
तथस्तता से कोसों दूर
बे-पर की सिर्फ उड़ाते हैं
गला सच्चाई का प्रतिदिन
बड़े शौक से दबाते हैं
हकीक़त की बिसात ही क्या
ये लतियाते धकियाते हैं
दूरसंचार के खेत बड़े हैं
हर किसिम की ख़बर उगाते हैं
रंगदारों की नयी खेप अब
पत्रकार कहाते हैं
आज कल हर जगह ये,
खर-पतवार नज़र आते हैं
जो कुछ नहीं बन पाते
वो बस यही बन जाते हैं
जब जी चाहे पत्रकारिता की
जम कर वाट लगाते हैं
तथस्तता से कोसों दूर
बे-पर की सिर्फ उड़ाते हैं
गला सच्चाई का प्रतिदिन
बड़े शौक से दबाते हैं
हकीक़त की बिसात ही क्या
ये लतियाते धकियाते हैं
दूरसंचार के खेत बड़े हैं
हर किसिम की ख़बर उगाते हैं
रंगदारों की नयी खेप अब
पत्रकार कहाते हैं
हाँ नहीं तो ..!
वादियाँ मेरा दामन....'अदा'