Tuesday, December 14, 2010

दृष्टिपथ.....


दृष्टिपथ..
धूमिल हो जाता है
संघर्षरत जीवन का,
कहाँ देख पाता है 
अंकुरित, पल्लवित, पुष्पित
और प्रस्फुटित काल को?
इक पल को ठहर जाओ,
थोड़ी दूर खड़े हो जाओ,
इस महार्ध्य सम्पदा को
ठीक से पहचान लो,
तभी देख पाओगे
अपरिमित गगन पर
अंकित विशाल चित्र को
जब...
सही परिपेक्ष्य मिल जाएगा,
वास्तविक मुग्धता 
उजागर होगी, और     
उलझी हुई गुत्थियाँ
सुलझ जायेंगी,
टूटी हुई कड़ियाँ जुड़ जायेंगी..... 

किसने कहा हुज़ूर के तेवर बदल गए....शायर 'सरोश'...आवाज़ 'अदा', संगीत 'अदा'

12 comments:

  1. अदा जी,
    बहुत प्यारी सी ग़ज़ल,किसने कहा हुज़ूर के........, आपकी प्यारी सी आवाज़ में सुन के तबियत ख़ुश हो गई.ग़ज़ल के निम्न शेर:-
    उस अंजुमन से जब भी उठे सरगिराँ उठे,
    उस अंजुमन में जब भी गए सर के बल गए.
    की
    तो जितनी तारीफ की जाये कम होगी.
    आपकी आवाज़ का तो मैं fan हूँ ही.इस ग़ज़ल में आपकी आवाज़ ने कमाल ही कर दिया.
    ग़ज़ल चार बार सुन चुका हूँ. अभी आपकी कविता नहीं पढ़ पाया हूँ.माफ़ करियेगा.

    ReplyDelete
  2. जब दिखने लगता है तो दिशा भी मिल जाती है।

    ReplyDelete
  3. थोड़ी दूर खड़े हो जाओ,
    इस महार्ध्य सम्पदा को
    ठीक से पहचान लो,
    तभी देख पाओगे
    अपरिमित गगन पर
    अंकित विशाल चित्र को

    इसके लिया धन्यवाद कहना बनता है... :)
    मुग्ध हुआ...

    चित्र एवं गीत के लिए भी बहुत आभार!

    ReplyDelete
  4. आपकी इस सुन्दर रचना की चर्चा बुधवार के चर्चामंच पर भी लगाई है!

    ReplyDelete
  5. एक पल को ठहर जाओ ...
    थोड़ी दूर ठहर कर देखने में ही नजर आती है सारी तस्वीर साफ़ ....
    बात में दम तो है ....!

    ReplyDelete
  6. सुन्दर रचना आभार.....

    ReplyDelete
  7. सत्य कहा आपने जब अंतर्दृष्टि जगती है तभी सच्चे सौन्दर्य का दर्शन होता है....

    बहुत बहुत सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  8. आपकी कविता के लिये ’आमीन’....

    गज़ल के लिये सरोश साहब और गायन एवम संगीत के लिये आप ’वाह-वाह’ के हकदार हैं। कई बार सुन चुका हूँ, मन नहीं अघाता - बेहद खूबसूरत अल्फ़ाज़ और वैसी ही अदायगी। फ़िर से वाह-वाह।

    ReplyDelete
  9. सुन्दर रचना!

    very well sung gazal!

    ReplyDelete
  10. तभी देख पाओगे
    अपरिमित गगन पर
    अंकित विशाल चित्र को

    दूर खड़े हो कर ही समग्र दिखाई देता है ..

    ReplyDelete
  11. लक्ष्य निर्धारण के लिए सभी आयाम देखना ज़रुरी है ये तो समझा पर समय को ठहरना क्यों है ?

    ReplyDelete