राजस्थान का क्षेत्र, ठिठुरा देने वाली सर्दी और चिलचिलाती गर्मी, इनदोनों का असमंजस भरा मौसम... यहाँ के किले, दुर्ग, हवेलियाँ, मनोरम भित्ति चित्र, चटकीले परिधान, लहराते घाघरा चोली और चटक रंगों वाली पगड़ी, सब मिलाकर, एक असाधारण, अलौकिक तथा अनुपम दृश्य प्रदान करते हैं...
होली रंगों का त्यौहार है, परन्तु राजस्थान में यह जितना सरस और सजीव होता है उतना कहीं नहीं होता....
होली के १८ दिन बाद गणगौर मनाया जाता है, जो 'गौरी' और 'इसर' के मिलन के उपलक्ष्य में होता है...'गौरी', 'भगवान् शिव', जिन्हें 'इसर' या 'ईश्वर' के रूप में पूजा जाता है..उनकी पत्नी के अनेक नामों में एक नाम है...राजस्थान की स्त्रियाँ 'इसर' और 'गौरी; की पूजा करती हैं, जिन्हें आदर्श और सुखी युगल का प्रतीक माना जाता है...साथ ही, होली के १८ दिनों बाद आने वाला गणगौर, इन सभी उमंगपूर्ण आयोजनों का एक रंगीला समापन होता है...