ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं...:-) :-)
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वक़्त की साज़िश से,
रिश्ते पनप तो जाते हैं,
मगर उनको कहानी बनते,
देर नहीं लगती ...
रूहानी पंख लिये,
वो सरपट भागते सपने,
विवशता के कुएँ में जब,
औंधे गिरते हैं तो,
क़समों और वादों की सिर्फ़,
गूँज ही सुनाई पड़ती है,
और बची-खुची उम्मीद को तो,
साँप ही सूँघ जाता है....
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वक़्त की साज़िश से,
रिश्ते पनप तो जाते हैं,
मगर उनको कहानी बनते,
देर नहीं लगती ...
रूहानी पंख लिये,
वो सरपट भागते सपने,
विवशता के कुएँ में जब,
औंधे गिरते हैं तो,
क़समों और वादों की सिर्फ़,
गूँज ही सुनाई पड़ती है,
और बची-खुची उम्मीद को तो,
साँप ही सूँघ जाता है....