Friday, March 22, 2013

थमा गए हो, तुम ही कोई पीर पुरानी....!

हमारे घर के पास ये नदी (ओटावा रिवर) बहती है, आज उसकी तस्वीर ले ली :)

ये भी :)
और ये भी :)


जाने लिखी हैं कितनी, तहरीर पुरानी 
बावस्ता सभी हैं, इक तस्वीर पुरानी 

पटकें भला हम कब तक, तेरे दर पे पेशानी
लिल्लाह अब तो दे दे, मेरी तक़दीर पुरानी   

बुझने को अब है मेरी, ये तक़ददुस मोहब्बत 
बन जायेंगे हम भी इक दिन, ताबीर पुरानी 

ग़ुम जाना है यहीं पर, ग़ुमनामी के ही अब्र में
न टूटेगी फिर भी सुन लो, जंज़ीर पुरानी 

स्याही भरी वो रातें, कब सुकूँ कोई दे पाईं 
थमा गए हो तुम ही, कोई पीर पुरानी 

तहरीर = रचनाएँ
पेशानी = माथा  
बावस्ता=सम्बंधित 
तक़ददुस =पवित्र 
ताबीर = सपनों की व्याख्या 
अब्र = बादल 


25 comments:

  1. बहुत खूब !

    दिल्ली के किसी कोने पे (जैसे ओखला बैराज ) हमारी जमना जी भी ऐसी ही दिखती हैं, फर्क बस इतना है कि आपकी नदी बर्फ की चादर ओढ़े है और हमारी तमाम दिल्ली की गंदगी का बोझ (झाग). :)

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    1. जी हाँ गोदियाल साहेब,
      फर्क तो है ही।
      यहाँ है चँचल, शीतल, निर्मल
      और
      वहाँ थल-थल, दलदल, मल-मल !!!!
      :)

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  2. होली पर इस पीर पुरानी का कोई इलाज कीजिये न :p -बढियां लिखा है !

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    1. पुराने मर्ज़ की ख़ासियत यही होती है:
      वो लाईलाज़ होता है :)

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  3. वाह नदी सी गंभीरता लिए कविता , आपके मूड से बिलकुल अलग , फिर भी बेहतरीन

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    1. मूड तो मूड है इसका एतबार क्या कीजिये :)

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  4. सुन्‍दर भावनापूर्ण पंक्तियां।

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    1. तसवीरें बहुत ही खूबसूरत हैं। पानी कितना नीला लग रहा है। आकाश कितना स्‍वच्‍छ और साफ है। बहुत ही सुन्‍दर मनमोहक चित्र हैं तीनों।

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  5. पीर पुरानी ही अच्छी होती है, हाँ नहीं तो !!

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    1. पीर बाबा जी,
      सत्य वचन !
      आप तो पीर स्पेशलिस्ट हैं, आपको कौन चैलेन्ज कर सकता है भला !!

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  6. कल दिनांक 24/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. नदी और रेल..दोनों से एक सतत नाता रहा है..

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    1. आपका यह नाता आपके नाती-पोतों, और उनके भी नाती-पोतों के साथ तक बना रहे :)

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  8. ग़ुम जाना है यहीं पर, ग़ुमनामी के ही अब्र में
    न टूटेगी फिर भी सुन लो, जंज़ीर पुरानी

    पाँचों ही बेमिशाल हैं खुबसूरत ही नहीं मन को छू लेने वाली

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  9. नदी की तस्वीरें बहुत ही ख़ूबसूरत है , नीले रंग का यह शेड तो बस देखते ही रह जाएँ .

    ये रचना कुछ अलग सी है...होता है कभी कभी ऐसा भी मूड

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    1. तुम तो पेंटर हो, बनाओ एक ऐसी ही पेंटिंग ..
      मईडम, इसको मूड स्विंग कहते हैं :):)

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  10. बहुत सुंदर मंजूषा जी ! हर शेर काबिले दाद है और मन में गहरे तक उतरता है ! होली की हार्दिक शुभकामनायें !

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    1. साधना जी,
      आपको पसंद आया, मेरा हौसला बढ़ा है।
      आपको भी होली की बहुत बहुत बधाई !

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  11. पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं किन्ही चीतों के साथ ...
    बह निकलती है कोई पीर ...

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    1. पुरानी यादें, पुरानी आदत की तरह होतीं हैं, साथ नहीं छोड़तीं कभी :):)

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