भाग १ , भाग २
घुघुतिबासुति : मुन्नी हूँ मैं प्यारी, अम्मा की दुलारी
नानी बन के आज मैं करती हूँ किलकारी
अजय झा : चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है
आँखों में सुरूर आ जाता है
जब मैं प्लास्टिक सर्जरी करवाता हूँ
चेहरे पर नूर आ जाता है
संजय भास्कर : जब भी लिखते हो थोक में टिप्पणी कर जाते हैं लोग
बस तुम्हें पुदीने की झाड़ पर चढाते हैं लोग
संगीता स्वरुप : मैंने, अपनों के लिए ही हर मंच पर चर्चा किये
चर्चा सजीली चर्चा
रश्मि प्रभा : ले लो रे ले लो भईया किताबें सुहानी
ले लो रे ले लो बहिनी किताबें सुहानी
अरे ब्लॉग नगरी में आओ साहित्य की प्यास बुझा लो
ले लो रे ले लो भईया किताबें सुहानी
ले लो रो ले लो बहिनी किताबें सुहानी
संगीता पुरी : मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की है
मुझको बातों के सिवा कुछ न मिला
पूरण खण्डेलवाल : हे मैंने क़सम ली, क्या तुमने क़सम ली
करेंगे भारत का उद्धार हम म म म
वंदना अवस्थी दुबे : न ये चाँद होगा न तारे रहेंगे
मगर ऐ दोस्तिनी हम तुम्हारे रहेंगे
डॉ मोनिका शर्मा : हँसता हुआ नूरानी चेहरा
काली जुल्फें रंग सुनेहरा
तेरी फोटू हाय अल्लाह
हाय अल्लाह
राजीव तनेजा : यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ
मत पूछो कहाँ-कहाँ
मिलेंगे राजीव तनेजा
अपने राजीव तनेजा
अपने राजीव तनेजा
सरिता भाटिया : मेरा नाम है सरिता और मैं लिखती हूँ कविता
टिप्पणी करो भईया ज़रा जोर से
डॉ श्याम गुप्ता : नायक नहीं महानायक हूँ मैं
जुल्मी कहें, पर दुखदायक हूँ मैं
काला कोट मैं पहनता नहीं
पर वकील बनने के लायक हूँ मैं
प्रवीण शाह : मुझे दुनिया वालो नास्तिक न समझो
मैं पूजता नहीं हूँ, पुजाता रहा हूँ
करवा चौथ पर मैंने, घर पे बैन लगाया
मगर वर्षों से व्रत मैं, कराता रहा हूँ
अंतर सोहेल : ये कहीं कवि न बन जाए
कवि सम्मलेन कराते कराते
राहुल सिंह : सौ साल पहले कोई बीमार था
उसको बुखार था
आज पता किया है, और कल भी करूँगा
कुश्वंश : सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
हर कविता में मेरा शहर परेशान सा क्यों है
शिवम् मिश्रा : जो तुमको हो पसंद हम वो बात न कहेंगे
तुम दिन को अगर दिन कहो हम रात कहेंगे
अनुराग शर्मा : ई है इस्पात नगरिया तू देख बबुवा
पोस्टन की अंधरिया में
पंचतंत्र की गगरिया में
कैसे डूबे, हो कैसे डूबे
गुजरिया तू देख बबुवा
लगता है होली की शुरूआत हो गयी है...!
ReplyDeleteये लीजिये, नींद से जागे हैं का आप :)
Deleteएक से बढ़कर एक टाइटिल से नवाज़ा है, सबको :)
ReplyDeleteअब टाईटिल तो एक से बड़ कर एक ही होते हैं :)
Deleteअब देखते हैं आप पर रंग कौन डालता है
ReplyDeleteअब देख लेंगे, सोचना का है :)
Deleteलोग छोड़ेगें नहीं आपको, रंग की पिचकारियाँ निकल रही हैं
ReplyDeleteअब लिख दिया तो सोचना क्या :)
Delete.
ReplyDelete.
.
अति उत्तम, आनन्दित भये हम...
बहुत बहुत आभार आपका !
...
आपका भी आभार !
Deleteआपका ब्लॉग खुल ही नहीं रहा है, हमारी भी रजामंदी है :)
नब्ज हाथ में आए फिर बीमार का हाल पता करते क्या देर.
ReplyDeleteआपकी बाते जुदा है, आप डाक्टर हैं, ईंटा, पत्थर, बर्तन बासन किसी की नब्ज़ पकड़ कर बीमार का हाल बता देते हैं आप :)
Deleteआप का बहुत बहुत आभार इतने बड़े बड़े लोगो के बीच आप ने मुझे भी शामिल किया ... हार्दिक धन्यवाद इस सम्मान के लिए !
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन यह कमीशन खोरी आखिर कब तक चलेगी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
तुम किसी से भी कम नहीं हो !
Deleteबहुत जबरदस्त और बहुत मजेदार !
ReplyDeleteयही तो कोशिश थी :)
Deleteदि एंड हो गया क्या? जारी नहीं दिखा इसलिये पूछा है :)
ReplyDeleteफ़िलहाल दी एन्डे समझिये ...:)
Deleteहंसी मजाक में उतर रही झा जी की प्लास्टिक सर्जरी :)
ReplyDeleteबेहतरीन !
पिलास्तिक की थी ना ! :)
Deleteबुरा ना मानो होली !!
ReplyDeleteअति सुन्दर !!
आभार !!
धन्यवाद !
Deleteहोली का आनंद अभी से
ReplyDeleteजब आँख खुले तभी सवेरा समझो :)
Deleteजय हो!
ReplyDeleteवीरू हो !
Delete:)
ठाकुर कौन?
Deleteआप हो :)
Deleteधत्तेरे की
Deleteक्या टाइटल हैं जी...हम तो अपना पढ के प्रसन्न हो गये :) शुक्रिया है बहुत :)
ReplyDeleteएतना खुश मत होवो वंदना, अगली बार हम इतने दयालु नहीं होवेंगे, कह दे रहे हैं :)
Deleteहाँ नहीं तो !
बेजोड होली के दृश्य,जबर्दस्त लाजबाब.
ReplyDeleteजी हाँ गूगल बाबा की किरपा है ..
Deleteहमको भी बेजोड़ लगे, तभी तो साझा किये।
क्या रंग बिखेरा है हम ..जान गए हैं
ReplyDeleteआपकी हर "अदा" पहचान गए है ..
होली है, रंगों से, हो जाएँ सराबोर ....
ब्लॉग में आप ही ..हो जाये सिरमौर .
वाह , अदा जी ..वाह, शुक्रिया ....
चलिए धीरे-धीरे लोग जान ही जाते हैं :)
Deleteकिसी अच्छी बात को अन्यथा लेने का तो सवाल ही नहीं उठता में तो लोकतन्त्र में विश्वास रखता हूँ और हर नकारात्मक और सकारात्मक टिपण्णी का स्वागत करता हूँ और उल्टा आपका आभारी हूँ जो आपनें इस और मेरा ध्यान आकृष्ट किया है और में भविष्य में इस गलती को सुधारनें कि कोशिश करूँगा !! आभार !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर-- ----
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों,प्रतिक्रिया दें
jyoti-khare.blogspot.in
हा हा हा,
ReplyDeleteतरह तरह रंग हैं,
तरह तरह की भंग,
रंग-भंग ना भी चढ़े
पर खेलो सब संग।
सियावर राम चन्द्र की जय।
रंग भी है, रंग में भंग भी है और सबलोग संग भी हैं ..
Deleteपवनपुत्र हनुमान की जय !
asli holi ke photoo chep diya gaya hai......ke, ab pachano kaun jada aur kaun thora kam laal hua hai..........
ReplyDeleteholinam.
वोई तो ...अब तुम एहिं देखो ऊपर से छठा लाईन में पाँचवा तुम हो। लेकिन कोईयो नहीं चिन्हाँ तुमको :)
Deleteखूब रंग डाल दिये हैं सब पर
ReplyDeleteप्रणाम
होली, रंगों का ही कार-बार है, रंगों का त्यौहार है।
Deleteखुश रहो !
होली हो ली
ReplyDeleteअभी कहाँ होली हो ली !
Deleteतो हो ही लेगी. :)
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