भाग २ भाग ३
अविनाश वाचास्पत्ति : बड़े नटखट है रे, नुक्कड़ वाले भईया
का करें ब्लॉग लिखईया होSS ...
रविन्द्र प्रभात : तन मन तेरे रंग रंगूँगा
साया बना तुझे संग चलूँगा
सेवा करूँगा, मेवा भी दूँगा
परिकल्पना तू है साजना SSS
समीर लाल : अभी न जाओ छोड़ कर
के दिल अभी भरा नहीं
अभी अभी तो आई हो, अभी अभी तो
बहार बन के छाई हो
१०० का आंकड़ा पहुँच तो ले
मेरा ब्लॉग ज़रा महक तो ले
अभी तो १०० हुआ नहीं
कोटा पूरा हुआ नहीं
जो ख़तम हो इसी जगह
ये ऐसा सिलसिला नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं !!!
प्रवीण पाण्डेय : मैं कम शब्दों का शायर हूँ
कम शब्दों में पूरी कहानी है
तुम समझो न समझो मेरा क्या
मुझे समझती मेरी नानी है
मैं कम शब्दों का शायर हूँ
अमित श्रीवास्तव : मैनू इश्क दा लग्या रोग
मेरे बचने दी नैयो उम्मीद
मेरी सुन लो सारे लोग
मेरे बचने दी नैयो उम्मीद
अरविन्द मिश्र : हसीनों के चक्कर में कभी भी ना आना
हसीनों का तो चक्कर है, चक्कर खिलाना
सुज्ञ : है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहां के गाता हूँ
बस प्रीत प्रीत मैं रटता हूँ
पर सबकी बैंड बजाता हूँ
संतोष त्रिवेदी : बचना ऐ ब्लोगरो लो मैं आ गया
कोई भी हो, कुछ भी उससे क्या
मैं देता हूँ अपनी टांग फँसा
संजय अनेजा : खुद से ये शिकायत है कि हम
कुछ नहीं कहते, कुछ नहीं कहते
कहने को बहुत कुछ है अगर कहने पे आते
अगर कहने पे आते
कह देते हैं सबकुछ, मगर हम कुछ नहीं कहते
कुछ नहीं कहते
अनूप शुक्ल : इक वो भी दिवाली थी
इक ये भी दिवाली है
हँसते हुए दिखते हैं, खस्ता मगर माली है
रूपचंद्र शास्त्री : गीत गाता हूँ मैं गुनगुनाता हूँ मैं
मैंने हंसने का वादा किया था कभी
इसलिए शोक सन्देश में भी मुस्कुराता हूँ मैं
सतीश सक्सेना : आपके बिन-अनुरोध ही आपको गीत सुनाता हूँ
अपने दिल के छालों से आपका दिल सजाता हूँ
खुशदीप सहगल : पूछो तो यारो ये कौन हैं
ये छुपे रुस्तम हैं
छुपे रुस्तम हैं, आज कल छुपे ही रहते हैं
मुहूर्त निकाल कर कभी कुछ कहते हैं
गिरिजेश राव : सुनो सुनाये ब्लॉग कहानी
जब आती है रुत कोई सुहानी
तब बनती है ब्लॉग कहानी
ब्लॉग कहानी में
कभी चन्द्रहार होता है
कभी ब्लॉग संसार होता है
कभी जुत्तम-पैजार होता है
शिल्पा मेहता : का करूँ सजनी आये न ब्लोगर
ढूंढ रहीं हैं पियासी अँखियाँ
आये न ब्लोगर
संजय झा : parnaam parnaam o papa ji
parnaam parnaam o bhiyaa ji
parnaam parnaam hai sabko
parnaam parnaam parnaam
रश्मि रविजा : अजी ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा
हमसा कहानी लिखैया कहाँ मिलेगा
आओ तुमको पढवाते हैं हम कहानी सुबहो शाम
देखो देखो देखो देखो
कहानी की रानी हूँ मैं
डॉ दाराल : हम हैं डॉ ब्लॉग के हमसे कुछ न बोलिए
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए
हम उसी के हो लिए
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए
वंदना गुप्ता : हेSSS फेसबुक के झंडे तले
मेरी काव्य रचना पले
कहीं भी देखूं, कुछ भी होता
उसी में कविता ढले
हे फेसबुक के झंडे तले
रविकर : हिंदी प्राणेश्वरी, हृदयेश्वरी
जब भी हम आदेश करें
टिप्पणी में मेरी प्रवेश करें
हिंदी प्राणेश्वरी, हृदयेश्वरी
कभी दोहा बन कर आवें आप
कभी सवैया सरीखी भावे आप
मन मोहिनीSSS मन भर क्लेश करें
जब भी हम आदेश करें
टिप्पणी में मेरी प्रवेश करें
अराधना : माँ मुझे अब तू खूब पढ़ा ले
महानगर भी पठा दे
बस मुझसे तू कुछ पूछ नहीं
रचना : जिंदाबाद जिंदाबाद ऐ नारी जिंदाबाद
पुरुषों की जंजीरों से तुझे करवा दूंगी आज़ाद
जिंदाबाद जिंदाबाद ऐ नारी जिंदाबाद
अंशुमाला : जब बोले तुम तो मैंने भी कहा कहा
मगर क्यूँ लगा मैंने ज्यादा कहा कहा
मैं धूप में खिला दूँ चाँद, दिन में रात कर दूँ
प्यार-व्यार सबको मैं ताख पर ही धर दूँ
हा हा हो हो
हा हा हो हो
ललित शर्मा : छत्तीसगढ़ का वासी हूँ मैं
'ब्ला' मेरा नाम
छत्तीसगढ़ का इतिहास लिखना
है अब मेरा काम
अब जहाँ भी चला जाऊं
इतिहास के ही पन्ने पाऊं
सौरभ शर्मा : बड़ी अच्छी लगतीं हैं ,
ये टिप्पणी, उनमें बातें
और ...
और पोस्ट
वाणी शर्मा : सुनो छोटी सी गृहणी की लम्बी कहानी
रस्सा-कस्सी से करवाए, रस्सा कुदानी
दिव्या : तेरा फूलों जैसा रंग, हैं फौलाद जैसे अंग
जिसकी भी पड़े नज़र हो जाए वो दंग
आते जाते करे तंग, उसके लिए तू मलंग
अकेली ही करे सफाई, नहीं किसी का भी संग
तेरे होते कोई और, यहाँ पा जाए जो ठौर
ये न होगा किसी तौर, चाहे चले छुरियाँ
जारी .....
आपने सबको रंगों से सराबोर कर दिया
ReplyDeleteरंग दिनी रंग दिनी रंग दिनी ई ई ई
Deleteहोली के रंग रंग दिनी ब्लोगरिया ...:)
भूल सुधार
Deleteदिनी = दीनी
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteaapko bhi !
Deleteबैंड?????? ना ना ना !!! :) :) :))
ReplyDeleteॐ जय सुज्ञ महाराजा
Deleteजय सुज्ञ महाराजा
तुम्हरे कारण अपना
खूब बजा बाजा
ॐ जय सुज्ञ महराजा :):)
ज्यादा खीँचत डोरी,
Deleteचमडा अकड जाता
ओ मैया चमडा अकड जाता.
तनते नहीँ जो ताने,
वक्र ना होते बाने,
कुण बजा पाता?
ओ मैया ना बजता बाजा.
ज्ञान, विज्ञान सभी सच्चे
Deleteभईया सब ही हैं सच्चे
कुछ हैं आप अच्छे और
कुछ हम भी हैं अच्छे
मत समझौ तुम जीते
मत समझौ हम हारे
खेला ख़तम हुआ है
जब 'टाई' हो जाता :)
ॐ जय सुज्ञ महाराजा
अभी तो होली का ट्रेलर है...
Deleteअभी तक तो जोरदार हैं, आगे बहकने के भी आसार हैं।
ReplyDelete..बुरा न मानो होली है।
बहकने का कोई चांस नहीं, आज कल हम बीमार हैं :):)
Deleteजय हो! हां नहीं तो!
ReplyDeleteकिसकी जय हो ???
Deleteहाँ नहीं तो !!
अदाजी के अलावा और किसकी जय हो सकती है भला?
Deleteतेरी "अदा" ओं पे मर मर जाए हम ...
ReplyDeleteबाँकि छटाओं में मर मर जाए हैं
तू कहे ना कहे
हाँSSSSS नहीं तो .....
तेरा आना दिल के अरमानों का फुदक जाना आ आ आ
Deleteकोई देखे ए ए ए
कोई देखे, पुदीने के झाड़ पे मेरा चढ़ जाना आ आ आ
तेरा आना आ आ आ !
:):)
बाप रे लो हो गयी शुरू ब्लॉग होली -
ReplyDeleteआपकी इस खूबसूरत फागुनी उपहार पर
समर्पित है -
बुरा न मानो होली है -
ठटठा और ठिठोली है
सूरत उसकी भोली है
मगर बड़ी चिबिल्ली है
मच गयी ठेलम ठेली है
चोली बड़ी कसीली है
भगाई गीली गीली है
वुरा न मानो होली है
विद्वान् जन इसे आगे बढायें!
अरविन्द जी,
Deleteमोडरेशन नहीं है इसलिए आपकी ते टिप्पणी छप गयी, वर्ना हम नहीं छापते ..
बुरा न मानो होली है :-)
Deleteबढ़िया :)
ReplyDeleteशुक्रिया :)
Deleteसभी मित्रों के सुंदर ग्गेतों से सजी होली कि फुहार मन भा गई ,बधाई
ReplyDeleteपूछो न यार क्या हुआ
दिल का करार क्या हुआ
हम तो ऐसे ही मर मिटे काव्य मंजूषा पे
न जाने आगे हमारा क्या होगा ????
गुज़ारिश : ''महिला दिवस पर एक गुज़ारिश ''
अई यई यई या अई यई या SSSSSSS :)
Deletebahut sunder, aapka aabhar
ReplyDeletekhush raho !
Deletefagunaste..........
ReplyDeleteholinam.
Prasannam rahantam ..
Deleteक्या बात है अदा जी, आपने तो अभी से ही होलियाना शुरू कर दिया .....पूरा का पूरा ड्रम उड़ेल दिया ब्लॉग जगत पे । जब शुरुआत ऐसी है तो आगे क्या होगा ?
ReplyDeleteफिर सुबह का आलम का होगा ई तो देखते देखते ही देखेंगे ...:):)
Deleteवाह!! क्या कहने, बड़ी गहरी नज़र है :)
ReplyDeleteहोली के रंगों ने तो सबको सराबोर कर डाला
वो नज़र, नज़र क्या जो नज़र पर नज़र न रखे
Deleteहम तो नज़र, नज़र में नज़र की बात जान जाते हैं :):)
हाय दईया ई तो मुई शायरी हो गई :):)
आदाब अर्ज़ है ....:)
सब को रंगों से रंग दिए,आभार.
ReplyDeleteab holi hai to kaa karein ..
Deleteaabhaar !
क्या कहने, इस बार तो 'स्वपनमञ्जूषा' होली की बाज़ी मार ले गया...
ReplyDeleteबेहतरीन 'अदा' अदाजी .
'दीपक बाबा' का बात कह गईं :):)
Deleteवाह यहां तो वाक़ई ग़ज़ब का रंग है :)
ReplyDeleteपिक्चर अभी बाकी है :)
Deleteuffo yae ufo haen holi kaa
ReplyDeleteii uff aah....karna chhodiye :)
Deleteजोरदार टाईटल दिए हैं।
ReplyDeleteपर लगता है सुज्ञ जी से बचकर रहना पडेगा ।वर्ना...
चिन ता ता चिता चिता चिन ता ता ता...
बच के रहना रे बाबा बच के रहना रे
Deleteबच के रहना रे बाबा सब पे नज़र है
शुक्रिया :)
अवसर भी है मौका भी है.
Deleteमिल बैठ के बजा लो.... :):)
ताक धिना धिन ताSSSS.
aapka hriday se dhanywaad !
ReplyDeleteअभी से धो दिया, रंग से।
ReplyDeleteअब का करें आज कल रंगरेजन बने हुए हैं ..:)
Deleteगाफ़िल जी तपस्या में कोई ख़लल न पड़े प्रभो ..
ReplyDeleteआप भक्तों का उद्धार निर्विघ्न करें शास्त्री जी ...
आभारी है हम आपके ..
:):)
ReplyDelete:)
ReplyDelete:)
Deleteवाह...बहुत खूब...अब जमेगा होली का रंग..
ReplyDeleteरंग जमा के हो ओ ओ ओ
Deleteदेखेंगे हो ओ ओ
सबको चक्कर में लाके देखेंगे ए ए ए
घूम के भई झूम के
सबको घुमा के देखेंगे ए ए ए :)
सच है, है तो बहुत कुछ लेकिन हम हैं जो कहने में\पर नहीं आते :)
ReplyDeleteकहिये कहिये
Deleteकहिये न, कहिये
कहते सुनते बातों बातों में तकरार हो जाएगा :):)
हम तो भयभीत हैं पता नहीं कौन से इश्क का पर्दाफ़ाश कर दिया आपने ।
ReplyDeleteका बात करते हैं आप भी ! नाम अमित और आपे डर गए ?
Deleteबाबा गब्बर सिंह कह गए हैं 'जो डर गया समझो मर गया ' :):)
डरे नहीं थे ,सहम गए थे । अब आपकी बात सुनकर फिर बेख़ौफ़ हो गए । शुक्रिया ।
Deletekhubsurat rang.. :)
ReplyDeleteरंग खूबसूरत होते ही हैं :)
Deleteइश्क जो कभी मुकम्मल हुआ ही नहीं ,मुफ्त में लोग बदनाम कर मुझे तो स्पैम में डालते ही रहते हैं ,मेरी टिप्पणी भी इठला कर सभी के स्पैम में ही चली जाती है । इससे पूर्व प्रेषित टिप्पणी स्पैम में है और कोई उसे बाहर भी नहीं ला रहा है । वह वहीँ रंग में डूबी पड़ी है । अब इस पर भी कोई कहानी न बन जाए ।
ReplyDeleteयेल्लो, जो मुकम्मल नहीं होता उसी को तो इश्क कहते हैं ! बेमुकम्मल इश्क स्पैम में ही जाता है :):)
Deleteअब एतना बढ़िया-बढ़िया प्रेम कविता लिखियेगा तो थोडा तो डाउट होता है ना ! :):)
और ई का हम तो गाना सुना रहे हैं, और आप कहानी सुन रहे हैं :):)
कनेक्शन में कुछ गड़बड़ी ज़रूर है।
लेकिन आप निश्चिन्त रहिये, ये सब बस निर्मल हास्य है,
न आपका कोई पर्दा है न यहाँ कोई पर्दा फाश है
आपकी इस 'अदा' पर एक कविता और .....
Deletehttp://amit-nivedit.blogspot.in/2013/03/blog-post_9.html
Deleteअदा जी
आपकी वापसी तो जोरदार रही
आप को कविता समर्पित की जा रही है, बधाई हो !!
अल्लाह करे यह सिलसिला चलता रहे
अजी बेनामी जी,
Deleteकाहे की वापसी और काहे का ज़ोरदार स्वागत :)
न ऊधो का लेना न माधो का देना ..कोई गलतफैमिली मत पालिएगा, हम कह दे रहे हैं ..हाँ आँ आँ आँ आँ ....
ई सब हमरे कंधे पर बन्दूक रख कर चलाया जा रहा है ...कविता भी रिसाईकिल हो रही है :)
हाँ नहीं तो !
फिर गई स्पैम में ..
ReplyDeleteमजेदार लगी आपकी ये पिचकारी की रंग बिरंगी फुहार ..आगे कोन कौन से गुब्बारे फूटने वाले हैं हमे इंतजार रहेगा :-0
ReplyDeleteवो गुब्बारा जब तलक बम बन के फटे
Deleteइंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार करो
इंतज़ार करो :)
बुरा ना मानो होली है........
ReplyDeleteDhanywaad !
Deleteओहो...यहां तो होली शुरु भी हो गयी....:)
ReplyDeleteआउल का :)
Deleteहोली ही सही, पुरानी फॉर्म में लौटने के लिए आपको बधाई...
ReplyDeleteअपनी हालत आपने खूब बयां की है...कुछ कुछ ऐसी...
ख़ूब पर्दा है के चिलमन से लगे बैठे हैं,
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं...
जय हिंद...
आप भी चिलमन के साथ लगे बैठे हैं ?
Deleteआपको तो चिलम के साथ लगे बैठना चाहिए :):)
आपके रंग देखते रहे हैं, होली पर सतरंगा इन्द्रधनुष ही उभर आया है, न जाने कितने तीर निकलेंगे.
ReplyDeleteअब देखिये किसके हिस्से क्या आता है, रंग या भंग :):)
Deleteare - dekhte hain kuchh cheente ham oar bhi pade hain
ReplyDeleteaabhaar - shukriya - karam - meharbaani aapki bloggeraa ji :)
चिन्तियाईये...कौनो पिरोब्लेम नहीं है, बस दुबराईयेगा मत :)
Deleteधन्यवाद, शुक्रिया, थैंक यू :)
हा हा हा हा! मज़ा आ गया. मेरा टाईटिल खूब मज़ेदार है. लेकिन मेरी अम्मा का बस चलता तो मुझे इलाहाबाद भी न भेजतीं...महानगर तो दूर की बात है और अगर भेज भी देतीं, तो हर एक-दो घंटे बाद पूछ-पूछकर पता करती रहतीं कि मैं हूँ कहाँ. हा हा हा
ReplyDeleteअम्मा होती, तो हम इत्ता बिगड़ते थोड़े. हमारे बिगड़ने में तो हमारे बाऊ का पूरा हाथ है :)
पियारी अराधना,
Deleteअरे ! हमरे बाबा भी हमको ऐसा डिफेक्टिव पीस बनाए कि आज तक लोग-बाग़ अपना माथा पीट रहे हैं। कोई हमरे 'उनसे' पूछे, कहते हैं थैंक्स टू यू, हम तो अपनी मानसिकता ही बदल लिए, ऊ का कहते हैं, If you can't beat them join them .ऐसा ही कुछ हाल है हमरे 'उनका':)
हा हा हा !
बढ़िया रंग हैं ..
ReplyDeleteशुभकामनायें !
होली की असीम शुभकामनायें !
Deleteबहुत ही देर कर दी आने में मैंने, पर कहते है न देर आये दुरुस्त आये , होली पर पोस्ट बनी और और पहले ही भाग में मेरा जिक्र ,बहुत बहुत धन्यवाद ! किन्तु
ReplyDeleteलिखा है तेरे पोस्ट पर
मेरा अफसाना
अगर मुझे समझा सको
तो मुझे भी समझाना :)
पोस्ट तो पद्य में है हमें तो गद्य ही समझना मुश्किल होता है ।
लो एक और लम्बी टिपण्णी , फिर कुछ ज्यादा कह दिया :))
होली की अग्रिम शुभकामनाये !!
अफ़साने तो अफ़साने ही होते हैं :)
Deleteऔर फिर ऊ का कहते हैं, जब आँख खुली तभी सवेरा समझो टाईप का कुछ :)
होली की असीम शुभकामनायें !
Saagar :
ReplyDeleteSwapn Manjusha : ........................