जीतने का हुनर, हम भूलने लगे
हारने का भी न कोई, मलाल हुआ है
कत्ल हुआ है कहीं, अफवाह सुनी थी
मालूम हुआ, मेरा दिल हलाल हुआ है
पत्थरों के ढेर लग गए थे भीड़ में
काँच के दिलों से, कुछ ज़लाल हुआ है
जाँ निकल गयी बस, आँखों के रास्ते
तेरे इंतज़ार का ये, कमाल हुआ है
क़रीब थे 'अदा' मगर इक फासला तो था
इस एहतियात पर भी अब, सवाल हुआ है
ज़लाल=गुस्ताखी,ग़लती,भूल
हारने का भी न कोई, मलाल हुआ है
कत्ल हुआ है कहीं, अफवाह सुनी थी
मालूम हुआ, मेरा दिल हलाल हुआ है
पत्थरों के ढेर लग गए थे भीड़ में
काँच के दिलों से, कुछ ज़लाल हुआ है
जाँ निकल गयी बस, आँखों के रास्ते
तेरे इंतज़ार का ये, कमाल हुआ है
क़रीब थे 'अदा' मगर इक फासला तो था
इस एहतियात पर भी अब, सवाल हुआ है
ज़लाल=गुस्ताखी,ग़लती,भूल
वाह बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteविकेश,
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद !
" दो नैना मत खाइयो पिया मिलन की आस । " सुन्दर रचना बधाई ।
ReplyDeleteशकुन्तला जी,
Deleteपिया मिलन की आस से ज्यादा उनके होश ठिकाने लगाने की आस है :)
ये तो मज़ाक हुआ, आप आयीं और आपने मेरी कृति पसंद की इसके लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद !
सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ललित जी !
Deleteबढ़िया है :)
ReplyDeleteशुक्रिया काजल जी !
Deleteशब्द आपके जोड़ घटाव मेरा सुप्रभात संग आपको समर्पित
ReplyDeleteक़त्ल कर जीतने का हुनर तुझसे ही सीख लिया हमने
राह तकते तेरे इंतजार में दिल पत्थर का भी बन गया
क्या बात है भईया ई जोड़ घटाओ तो बेजोड़ रहा :)
Deleteआप भी न ! इतनी जल्दी दिल पत्थर मत बनाईये :)
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।
ReplyDeleteराजेंद्र जी आपका धन्यवाद !
Deleteबहुत खूब, दूर से उठी गूँज
ReplyDeleteजी हाँ प्रवीण जी उठी तो है गूँज, ७०००-८००० किलोमीटर दूर से :)
Deleteधन्यवाद कुलदीप जी !
ReplyDeleteकत्ल हुआ है कहीं, अफवाह सुनी थी
ReplyDeleteमालूम हुआ, मेरा दिल हलाल हुआ है
यह भी खूब रही ! हमारे दिल की कत्ल और हमें खबर नहीं -बहुत बेहतरीन रचना
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latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
शुक्रिया कालिपद जी !
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