कुछ ठहरे लम्हों ने
फिर पत्थर उठाये हैं
बे-पैरहन यादों पर
जम कर चलायें हैं
शब्-ए-खामोशी से
थोड़ी आवाज़ चुरा
हौसले की इक नई धुन
नजदीकियों ने गाये हैं
अब कैसी तक़ल्लुफ़
तराश लिया बुत मैंने
नज़रों से टूटते तारों ने
सज़दे में सिर झुकाए हैं
होंगे कभी उस फ़लक पर
या फिर गर्दिश के पार
फ़ेर कर मुँह आफ़ताब से
अब हम चाँद बुझाये हैं
उम्मीद के सामने
ख़ामोश है 'अदा'
रोनी सी सूरत लिए
हाथ हम हिलाए हैं
(बे-पैरहन : बिना कपडों के)
(गर्दिश : दुर्भाग्य)
(फ़लक : आसमान )
फिर पत्थर उठाये हैं
बे-पैरहन यादों पर
जम कर चलायें हैं
शब्-ए-खामोशी से
थोड़ी आवाज़ चुरा
हौसले की इक नई धुन
नजदीकियों ने गाये हैं
अब कैसी तक़ल्लुफ़
तराश लिया बुत मैंने
नज़रों से टूटते तारों ने
सज़दे में सिर झुकाए हैं
होंगे कभी उस फ़लक पर
या फिर गर्दिश के पार
फ़ेर कर मुँह आफ़ताब से
अब हम चाँद बुझाये हैं
उम्मीद के सामने
ख़ामोश है 'अदा'
रोनी सी सूरत लिए
हाथ हम हिलाए हैं
(बे-पैरहन : बिना कपडों के)
(गर्दिश : दुर्भाग्य)
(फ़लक : आसमान )
शुभ प्रभात दीदी
ReplyDeleteउम्दा रचना प्रसवित की आपने
आभार
........
क्यों खामोश है अदा
आती क्यों नहीं कोई सदा
क्या हुई हमसे कोई ख़ता
अब जियादा हमें न सता
होजा अब हमसे तू रिदा
सादर
अरे कब हुए खामोश हम ये तो बता
Deleteदेते रहते हैं सदा पर कौन यहाँ सुनता
सच कहूँ तू ही है इक मुकम्मल रिदा
वर्ना तो सबके चूल्हे हैं यहाँ जुदा-जुदा :):)
तेरे आने से महफ़िल में रौनक आ जाती है, कसम से :)
बेहतरीन!
ReplyDeleteधन्यवाद डॉ साहेब !
Deleteeक बस तू ही नहीं मुझसे ख़फ़ा हो बैठा
ReplyDeleteमैंने जो संग तराशा वो ख़ुदा हो बैठा।
उठ के मंज़िल ही अगर आए तो शायद कुछ हो
शौक-ए-मंज़िल तो मेरा आबलापा हो बैठा।
Lyricist: Farhat Shahzad
Singer: Mehdi Hasan
शुक्रिया ऐ मेरे क़ातिल ऐ मसीहा मेरे
ज़हर जो तूने दिया था वो दवा हो बैठा।
लगता है आपको भी शायरी की लत लग गयी :)
Deleteवाह ...बहुत बहुत बढ़िया .....
ReplyDeleteहृदय से आपका धन्यवाद डॉ मोनिका !
Deleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeletelatest post नेता उवाच !!!
latest post नेताजी सुनिए !!!
कालिपद जी,
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका !
शुक्रिया, करम, मेहरबानी !
ReplyDeleteजियो, जियो खूब जियो यशोदा रानी :)
बेहतरीन, संक्रमक रचना है, पता नहीं कब हमको लग जायेगी।
ReplyDeleteअरे बाप रे ! ख़तरनाक संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है :)
Deleteक्या बात है! वाह!
ReplyDeleteबात भला का होगी, ब्लॉग देवर्षि :)
Delete'वाह' के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद समर्पित है !
उम्दा रचना.....बहुत दिनों बाद देखी आपकी रचना..आपकी याद भी आ गई अदा जी
ReplyDeleteरश्मि,
Deleteऐसे ही याद करती रहना
ऐसे ही मुस्कुराती रहना
और ऐसे ही खुश रहना