Sunday, May 6, 2012

तजुर्बों के रास्तों से, उम्र का गुज़रना....


तजुर्बों के रास्तों से 
उम्र का गुज़रना,
फिर
आड़ी-तिरछी पगडंडियों 
का चेहरे पे जमना, 
चाहत, वफ़ा, उल्फत का 
एक-एक कर
उदास होना,
हकीक़त के जिस्म से
हर लिबास का उतरना ,
डरा तो देता है 
लेकिन,
दिल के तन्हा गोशे में,
गौहर-ए-जन्नत
झिलमिलाता है !
जहाँ 
मन का फ़रिश्ता 
मुस्कुराता है !!
और, 
एक और ज़िन्दगी जीने को 
उकसाता है...!

और अब एक गीत ...हर दिल  जो  प्यार करेगा...'आवाज़ 'अदा' की...


गौहर-ए-जन्नत=जन्नत का मोती
गोशे=कोना 
लिबास=कपड़ा