Tuesday, February 14, 2012

तुझे मैला न कर दें..!

    
ओ....!!

श्वेतवसना 
ओ..!!
स्फटिक प्रतिमा,
गंगोत्री मुख सी,
तू लाज में सिमटी,
ओ दूधिया दीप्ती, 
तू गाँठ सुगंध की ,
तारों की चाँदी,  
यौवन तेरी बाँदी,     
ओ....!!
रूपगर्विता,
कहता हूँ तुमसे,
इक लौ प्रेम की 
जल रही है कब से 
सब धुआँ-धुआँ है, 
मन भरा है तम से ,
आकुल हृदय है 
कितने जन्मों से,
सुन मेरी चंदा..!
मन मेरा काला
तन भी है काला  
तुझे देखना चाहूँ
और ख़ुद डर जाऊं 
आखें मेरी काली,
तुझे मैला न कर दें..!
  
अब एक गीत....