'व्यक्ति पूजा' की पराकाष्ठा इसे कहते हैं !!! धर्म का मज़ाक बनाना इसे कहते हैं ।
किसी को भी भगवान् बना देना ?? क्या ऐसे क़दम हमारे आराध्यों की सत्यता और आस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाते ??
एक और देवी का जन्म हुआ है, उनको देवी स्वरुप स्वीकारने का अनुमोदन भी सरकारी तंत्र ने कर दिया । ये रहीं 'देवी सोनिया'। ख़ुशबू , सचिन तेंदुलकर, रजनीकांत, एम. जी. रामचंद्रन, अभिताभ बच्चन इत्यादि देवी-देवताओं के प्रादुर्भाव के बाद के बाद, ये रहा ब्रैंड न्यू शगूफ़ा।
ये सब देख कर हमारे छत्तीस करोड़ देवी-देवताओं की बात पर यक़ीन करने को अब जी करता है :)
किस-किस को पूजिये, किस-किस को गाईये
असंख्य देवी-देव हैं, बस मुंडी घुमाइये :):)
बकिया का बतकूचन ईहाँ देखिये :
http://www.ndtv.com/article/south/a-goddess-sonia-temple-congress-legislator-s-thank-you-for-telangana-decision-468546
Congress legislator Shankar Rao claims he has shown the prototype of the 'Goddess Sonia' idol to some Congress leaders at the Centre and got their approval. |
गजब है।
ReplyDeleteअरे !
Deleteहम तो कहते हैं महा-गज़ब है !!
:)
अरे शैल दीदी, हमनी के धरम का सतियानास करने में हमनिये के हाथ रहा है... बाद में जब कोई दोसरा बोले लेगता है त हम उसका गट्टा पकड़ लेते हैं... एक तरफ त ऊ सब देबी-देबता हैं जेतना का नाम आप लिखिये दी हैं अऊर दोसरा तरफ देबी देबता का मजाक उड़ाते हुए चुटकुला, नाटक अऊर कौमेडी सो देखाए जा रहे हैं.. अऊर हमलोग ठी ठी ठी ठी हँसकर मजा ले रहे हैं!!
ReplyDeleteअभी एगो सिनेमा आया था 'बुलेट राजा'.. ओकरा में सैफ अली, चंकी पाण्डे को चुटकुला सुनाने को कहता है जो ऊ हमेसा सुनाता था ब्रह्मा जी वाला.. चुटकुला साइलेण्ट में था.. बाकी खतम होला पर चंकिया को गोली मार देता है अऊर कहता है - धर्म के मामले में अश्लीलता मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं!
सिनेमा चाहे जो हो, ई डायलोक पर मियाज हरियर हो गया!!
परफेक्ट पोस्ट है.. तन्नी सुन में ढेरे बतिया कहा गया है!! :)
हमनिये लोग अपना धरम को महा-सस्ता बना दिए हैं आउर अब हाल ई है कि कोई भी उठाईगिरा भगवान् बन जा रहा है । माने हम कहते हैं ई देबी-देबता का बाज़ार में एगो इटली का वेट्रेस का ही कमी रह गया था का ??? बाबा-उबा, गुरु-उरु, हीरो-हीरोइनी तो हईये हैं थोक का भाव में देबी-देबता बनल । तो फिर ई इम्पोर्टेट देबी का कौन जरूरत पड़ा है भाई ? अब तो अइसन बुझा रहा है नित नया-नया देबी-देबता का जनम सरधा-उरधा का नहीं, चापलूसी का ऊपज हैं । फिन अचक्के एक दिन एको नया देबी या देबता का जनम हो जाता है, हमको ईयाद है, संतोषी माता का जनम हमलोगन के सामने ही हुआ है.…:)
Deleteअरे जब हमलोग एतना अहमक हैं कि ख़ालिश चापलूसी-गान (रविन्द्र नाथ टैगोर ने जन गण मन लिखा था किंग जॉर्ज पंचम की स्तुति में ) को हमरा राष्ट्रीय-गान बना दिए तो हम चापलूसी में कुछो कर गुजरेंगे ।
बाकी रहा बात सिलेमा में, टी वी में भगवान् लोगन का मज़ाक उड़ाने का, तो सलिल भईया, सिनेमा का स्क्रिप्ट राईटर हिन्दू, डाईरेक्टर हिन्दू, एक्टर (चंकी पाण्डे, श्रीदेवी, हेमा मालिनी, माधुरी दीक्षित, जीतेन्द्र इत्यादि ) हिन्दू, देखवईया हिन्दू, हँसवईया हिन्दू, मौन धरइया हिन्दू । ई सब देख-दाख के, ठी-ठी करके घर घुरवाईया हिन्दू, आउर चद्दर तान के आराम से सुतवईया हिन्दू । तो कोई त बात होयबे करेगा न ! त ई सबका एके गो कारण है, हमलोगन का करेजा ४८ इंच का है आउर गुर्दा ५० इंच का है ।
कर्म-काण्ड में कोई कमी गिना देवे कोई त मजाल है कि हम झेल जावें । कमी बतावे वाला फिन चाहे अपना ही आदमी काहे नाही होवे, त ऊ हो जाता है एक नम्बर का दुसमन । लेकिन अपना मजाक हम फूल फ़ोर्स में उड़ावेंगे, काही-जाहि, अल्लम-बल्लम को देबता-भगवान् बनावेंगे, जिस-तिस लम्पट-बदमास को बाबा-गुरु कहेंगे, लेकिन कोई आईना देखाबे, तो टूट पड़ेंगे उसी पर सतुआ बाँध के !!
जय चापलूसी धाम !!
हाँ नाही त !
सही कहब आजुकालि ये सारे भगवान उठाई गीरा ही तौ हैं ......वो माखन उठाईगीरा लजाय रह्यो होवे ....
Delete"पागलों की कमी नहीं जमाने मे "शिवम" ... एक को खोजो ... हज़ार मिलेंगे |"
ReplyDeleteऔर भला क्या कहे ... इस के आगे कुछ कहना ... वो भी बिना इनको ढंग से गरियाए ... मेरे लिए संभव नहीं | और उस मे पार्टी पॉलिटिक्स शामिल हो जाएगी ... बात न जाने कहाँ तक पहुंचे ... सो जाने दीजिये |
शिवम्,
Deleteहम तो जब से इसको देखे हैं दिमाग का फ्यूज़ उड़ गया है ।
कभी कोई बाबा सोना खोदने कहता है तो सरकार सोना खोदने में जुट जाती है, कहीं कोई इटैलियन देवी की प्राण प्रतिष्ठा करने लगता है, और भारत सरकार के महाज्ञानी, समर्थ, सशक्त लोग अनुमोदन करते हैं । कमाल है !! क्या लोग इतने डेस्प्रेट हैं ?? लोग कभी सोचते भी है कि बाकी की दुनिया में भारत के लोगों की छवि का कैसा बाजा बज रहा है ? :)
"लोग कभी सोचते भी है कि बाकी की दुनिया में भारत के लोगों की छवि का कैसा बाजा बज रहा है ? "
Deleteकौन सोचेगा ... यह लोग तो इस मे भी शान समझते होंगे ... बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा की तर्ज़ पर |
लगता है, नाम और बदनाम का फ़र्क अब मिट चुका है :(
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteमाफ़ कीजिये थोड परिवर्तन करना चाहूँगा ......."एक तरफ देव दुसरे तरफ देवी,जिधर मुंडी घुमाइए |"
ReplyDeleteनई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
बहुत बढ़ियाँ कह दिए कालीपद जी, :)
Deleteचलिए हम इसको हम लिंग-विभेद से मुक्त कर देते हैं :)
किस-किस को पूजिये, किस-किस को गाईये
असंख्य देवी-देव हैं, बस मुंडी घुमाइये
आपका धन्यवाद !
उफ़्फ़्...। हमारा देश इतने दिनों गुलाम रहा इसमें तनिक आश्चर्य नहीं।
ReplyDeleteभतेरे अभी भी गुलाम ही हैं :(
सिद्धार्थ जी,
Deleteवर्षों की ग़ुलामी की घुट्टी, जो रगों में बेशर्मी बन कर दौड़ रही है, अब निकल रही है चापलूसी बन कर । ये सिर्फ और सिर्फ मानसिक दीवालियापन का द्योतक है ।
आपका हृदय से धन्यवाद !
और भी गम हैं ज़माने के सिवा !
ReplyDeleteसही कहते हैं.।
Deleteआपकी इस बात पर दो लाईनें ज़हन में आईं हैं.।
अर्ज़ है :
उनके ग़म में, मैं अपना ग़म क्यों शामिल करूँ
सबकी अपनी-अपनी चहारदीवारी है .... :(
और भी गम हैं मोहब्बत के सिवा ज़माने में ,
Deleteचापलूसी आज की मोहब्बत है जमाने में |
क्या कहा जाए ....किसी लोभ से ही ऐसी हिमाकत की गयी होगी, वरना क्रिकेट प्लेयर या फिल्म स्टार की तरह इन देवी का कोई इतना बड़ा मुरीद तो नहीं हो सकता ...हाँ, इस एवज में अगर सात पुश्तों का उद्धार हो जाए , पद प्रतिष्ठा पैसे सब हासिल हो जाए तो मूर्तिपूजकों को क्या पड़ी है...एक नहीं चार बना लें .,,इतने स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गए हैं सब कि खुद के लाभ से आगे कुछ और दिखता ही नहीं .
ReplyDeleteलगता है काँग्रेसी नेता शंकर राव अपनी आने वाली सात पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के जोगाड़ में लगे हुए हैं :)
Deleteस्वार्थी और आत्मकेंद्रित होना तो अब क्वालिटी माना जाता है रश्मि :(
बहुत धन्यवाद शास्त्री जी !
ReplyDeleteमानसिक दिवालियापन है....
ReplyDeleteश्याम जी,
ReplyDeleteएकदम सही बात है,
न सिर्फ ये मानसिक दिवालियापन के रोगी हैं, ये चारित्रिक, आध्यत्मिक और रचनात्मक रूप से भी गड्ढे में गिरे लोग हैं :(
आपका धन्यवाद !
३६ नहीं ३३ करोड़ देवताओ सिर्फ देवी कि तो गिनती ही नहीं है शायद यही से शुरुआत होगी ?
ReplyDeleteआज हमारे शहर में बड़े बड़े पोस्टर लगे है "जंगली बाबा "के ध्यान कार्यक्रम में आइये बाकायदा बाबा कि कुंडलिनी जाग्रत होती हुई फ़ोटो है।
शोभना दीदी,
Deleteअब जिस रफ़्तार से हमारे देश में देवी-देवताओं का प्रोडक्शन होता रहा है, हमको लगा अभी तक कम से कम ३ करोड़ तो जुड़ गए ही होंगे :)
वाह का बात है, 'जंगली बाबा' ने प्रभावित किया है शहरी लोगों को :)
सपनों में कहीं हम भी अपना देवी रुप न देखने लगे ।
ReplyDeleteया देवी सर्वभूतेषु, ब्लागररूपेण संस्थिता नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नम:
Delete:):)
घातक लगाव।
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