मेरे विचार से, हमारे देश के अगले प्रधानमन्त्री पद के लिए 'अरविन्द केजरीवाल' से बेहतर विकल्प दूसरा कोई नहीं है ।
He is born leader. He is proactive, young, bright, brilliant, bold, smart, intelligent, dedicated, strong headed, down to earth and above all he knows what he is doing. He is a man of courage who does not run away, but stands in-front of his opponents and fights for the cause. I am sure, he is the right man for the job.
In-fact, he is THE BEST MAN for this post.
वैसे अरविन्द को देख कर हमको एक फ़िल्म की याद आ जाती है, अनिल कपूर की फ़िल्म थी 'नायक' :):) बस एक बार ऐसे ही टाईप राईटर लेकर वो चलें और चुन-चुन कर भ्रष्ट लोगों को सस्पेंड करते जाएँ, फिर तो क्या बात होगी और हमको पूरा यक़ीन है, वो अपनी झाड़ू से पूरी सफ़ाई करके ही मानेंगे । हम तो जी अरविन्द केजरीवाल की फैन हो गई हूँ। ये हमरे अपने विचार हैं । हमरे हसबैंड तो पूरे भा.ज.पा. हैं, ग़लती से अगर ऊ पढ़ लिए तो चिढ़ कर भूसा हो जायेंगे :) :) वैसे हम डरते-उरते नहीं हैं काहे से कि ऊ पढ़ते-उढते नहीं हैं, बहुते बीजी आदमी हैं :):)
अब ज़रा ई बताईये आपलोग क्या सोचते हैं ?
अब ज़रा ई बताईये आपलोग क्या सोचते हैं ?
अरविन्द केजरीवाल को अगर प्रधानमन्त्री बनना चाहिए तो क्यों बनना चाहिए , और अगर नहीं बनना चाहिए तो क्यों नहीं बनना चाहिए ??
नया साल है, नया माहौल है, नए लोग हैं इसलिए चलिए कुछ नए विचार ही साझा करते हैं । आप अपने विचार बेधड़क यहाँ रखिये, बस भाषा का ख़याल रखियेगा, बाकि तो देखी जायेगी :)
नव वर्ष की असीम शुभकामनायें !!
भारत में प्रधानमंत्री बनाना कौन बड़ी बात है। वह तो अभी हाल बनवा दें, बस इस बार वादा 700 लीटर पेट्रोल का करना पड़ेगा।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें! :)
chachu.....shart' thora "kara" nai ho gaya kya????????
Deletepranam.
अनुराग जी - आपने सही और सत्य कहा है.
Deleteआज तक हम वादे टूटने की राजनीति देखते आये हैं , अब देखेंगे वादे पूरे होने की राजनीति... 'आप 'लोग :)
Deleteअनुराग जी, दीपक जी,
Deleteआप दोनों के लिए नव वर्ष मंगलमय हो !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (01-01-2014) को हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा : चर्चा मंच 1479 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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ईस्वी नववर्ष-2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ शास्त्री जी !
Deleteनव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें !
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
ReplyDeleteहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें आदरणीया
हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा |
Deleteन फटके पास कभी, कोई किसिम निराशा ॥
नववर्ष शुभ हो !
narayan............narayan.......narayan.................."di" party ko ek baar alag kar den to 'NAMO' ke mukable abhi door-door tak koi nai hai................bakiya, stuntbazi chor ke bhai sab agar wakai kuch karte hain to hum aam aadmi ko unse kya pareshani hai.........
ReplyDelete"ab-tak ke unke kriya-kalap se unka khud ka bhala bole to 'kad' gunatmak roop se badha hai.....ab o' "with-authority" hain..........sahyog bhi bina apeksh/shart ke mil raha hai.........to aise me dekhna hai ke janta ka bhala kitna kar pate hain"
pranam.
सही कह रहे हो शैलेन्द्र, कद तो बढ़ा है अरविन्द केजरीवाल का और इतना तो बढ़ा ही है कि अब दूसरी पार्टी वाले उस कद से घबड़ा कर वही सब करने कोशिश कर रहे हैं जो अरविन्द कर रहे हैं, इतना बदलाव क्या कम है ?
Deleteमुझे मोदी से कोई परहेज नहीं, लेकिन मुझे पार्टी से है, आखिर इतने सालों तक विपक्ष में रह कर क्या कर लिया बीजेपी ने ? अगर वो एक मजबूत विपक्ष का रोल अदा करती तो क्या देश की ऐसी हालत होती ? फिर चुनाव के नाम पर उनकी इतनी फिजूलखर्ची ? 'आप' ने इतना तो साबित कर ही दिया है कि चुनाव पैसों से नहीं डिटर्मिनेशन के बल पर लड़ा जा सकता है.। कितने अच्छे कैंडीडेट सिर्फ इसलिए सामने नहीं आ पाते थे क्योंकि उनके पास पैसा नहीं था, अब आम लोग भी चुनाव में बतौर योगदानकर्ता आ रहे हैं.। अब नेता की कुर्सी आम लोगों की पहुँच के बाहर नहीं रही.। ये स्टंटबाज़ी नहीं प्रजातंत्र का सच्चा स्वरुप है.। पहली बार महसूस हुआ है कि भारत एक प्रजातंत्र देश है.।
तुम्हें ढेर सारा शुभाशीष, और नव वर्ष की ढेरों बधाईयाँ !
Ye to MP ka Bahumat hi tay karega ki "Kaun Banega Pradhaanmantri"
ReplyDeleteBaaki sambandhit post yahan hai https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10152056507535549&set=a.301834800548.189526.727080548&type=1
ये भी सही कहा आपने।
Deleteनव वर्ष मंगलमय हो !
बहरहाल नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteनई आस हो नई ताजगी, नई हो पहल नया ढंग हो
नए साल में नए गुल खिले, नई ख़ुशबुएँ नया रंग हो
कोई जिंदगी न सुरंग हो, न ये कारवाँ ही अपंग हो
ब-र-से वहां धूप प्रेम की, जो ठिठुरता कहीं अंग हो
- सुलभ
नव वर्ष की असीम शुभकामनायें !
Deleteजिस देश ने देवगौड़ा, गुजराल, चंद्रशेखर और मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्रियों जो झेला है वो इनको भी ख़ुशी से झेल लेगा. बाकी उपद्रवी कहीं एक जगह नहीं बैठ सकते. दिल्ली में तो ४८ घंटे की आवाज़ सुनाई देने लगी है...हम तो वादे पुरे कर के चल दिए पर.....भुगतेगी आने वाली सरकार. अब निगाह कांग्रेस के साथ मिल कर केंद्र में राज करने की है.
ReplyDeleteजय हो २०१४ क्या क्या दिखायेगा इस देश को.
दिल्ली में 'आप' की जीत ने इतना साबित कर दिया कि लोगों के पास एक बहुत ही मजबूत विकल्प है ये अलग बात है कि 'आप' को अपने पाँव जमाने के लिए थोडा वक्त ज़रूर लगेगा लेकिन काम बहुत सही होगा :)
Deleteएक बात और जब इतने घटिया लोगों को झेल ही चुके हैं तो कुछ अच्छे लोगों को भी झेल लीजिये :)
२०१४ आपको 'आप' ही दिखायेगा :)
इस देश को मुगलों ने लूटा ,अंग्रेज़ो ने लूटा रहा बचा राजनीतिज्ञों ने लूटा , कुछ बच है क्या ? अगर नगीन तो कोई कुछ नहीं कर सकता अरविंद केजरीवाल भी ढाल जाएंगे । हा ताजी हवा तो आ रही है उसे महसूस कीजिये ...
ReplyDeleteहो सकता है ऐसा हो, ये भी हो सकता है ऐसा ना हो.।
Deleteसही कहा आपने, फ़िलहाल तो एक ताज़ी हवा का झोंका है ही।
क्या सूझा ,ये सब लिखने का...:):)
ReplyDeleteपोस्ट पर टिप्पणियों की कमी खल रही थी क्या :)...हम तो चुपचाप कमेन्ट पढ़ रहे हैं ...आगे भी पढ़ते रहेंगे .
और हाँ, नया वर्ष बहुत बहुत मुबारक हो !!
अब का कहें, सुझाई-बुझाई के लिए कोई उमर थोड़े न होता है, हमरे बिलाग में टिप्पणी का बैलेंस थोडा कम हो गया था सोचे चलो रीचार्ज करवा लेते हैं :)
Deleteनव वर्ष की ढेरों बधाईयाँ !
दीदी
ReplyDeleteवन्दन
अभिनन्दन
नव वर्ष मंगलमय हो
सादर
यशोदा
अरे यशोदा रानी,
Deleteतुमको भी मिले प्रेम स्पंदन
ज्यादा मत करना तुम चिंतन
और कभी ना करना क्रंदन
झुमरीतलैया रहो या लन्दन :)
नया वर्ष तुम्हारे लिए जोरदार, मजेदार और खुशगवार होवे !
:):):)
Deletepranam.
नववर्ष की मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteनव वर्ष की असीम शुभकामनायें !
Deleteफ़ालतू की बहस करने की हमें आदत नहीं, आपके सवाल का सीधा सा जवाब दिये देते हैं - हम तो नहीं बनेंगे प्रधानमंत्री :)
ReplyDeleteयूंकि ये क्या हुआ ?
Deleteन तलवार चली न बहस हुई और जवाब भी मिल गया
'आप' प्रधानमन्त्री नहीं बनेंगे !
आइडिया पसंद आया त्वाडा
:)
'आप' को हैपी न्यू इयर ! :)
Deleteअभी उन्हें दिल्ली सम्भाल लेने दीजिये। । २०१९ के लोक सभा चुनाव में उनकी दावेदारी पर विचार करेंगे।
ReplyDeleteलिखते रहिये।
चलिए ये भी एक विकल्प तो है ही.।
Deleteआपको नए साल की बधाईयाँ !
प्रधानमंत्री कि तो कोई बात नहीं अभी किन्तु अभी तक के" आप" के विचारों और उनकी कार्य प्रणाली , जमीन जुड़ाव प्रधानमंत्री से ज्यादा महत्व रखता है आज। बाकि तो देखिये हर चीज समय मांगती है और समय बड़ा बलवान।
ReplyDeleteहा आपके ,मेरे ,रश्मिजी के विचार थोड़े तो मिलते है। इस विषय पर।
राम राम। भाजपा वाली नहीं
बिलकुल सही कहा दी आपने, लेकिन हम भारतीय समय ही तो नहीं देना चाहते 'आप' को, सब पड़ गए हैं इनके पीछे :)
Deleteराम राम। भाजपा वाली नहीं :)
हई देखिये.. जब तक दिल्ली में एगो आम आदमी के मुख्य मंतरी बनने का उदाहरन देखाई दे रहा है तब तक एगो आम आदमी के परधान मंतरी बनने में कोनो डाउट होइये नहीं सकता है.. मगर एगो बात कहें शैल दीदी, राज्य में चुनाव लड़ना अऊर जीतना एक बात है बाकी देस में चुनाव लड़कर परधान मनतरी बना एगो अलगे बात है.. एतना जल्दी कंक्लूजन पर कूदने से अच्छा होगा कि सब लोग तनी वेट ऎण्ड वाच करें.. बाद में जिसको अपना राय बदलना होगा, बदलता रहेगा, हाँ नाही त!! दुर्र ई त आपका वाला चोरा लिये हम!! :)
ReplyDeleteसलिल भईया,
Deleteबात आप एकदम सुपट कह दिए हैं, दिल्ली तो पहुँचिये गए हैं लोग-बाग़ बाकी दिल्ली अभी दूरे बुझा रहा है :)
चलिए वेटिया लेते हैं बाकी वाच तो सब करबे कर रहे हैं
बाकी बात रहा चोराने-उराने का त सै बात एक बात, जे बा कि ना अभियो तक हम पेटेंट नहीं न करवाये इसका , येही खातिर निरफिकिर रहिये कौनो पिरोब्लेन नहीं न होगा :)
Deleteहाँ नाही त !
सलिल जी ने सही कहा , अभी इंतज़ार करने की जरुरत है , किसी के आभा मंडल के प्रभाव में आने से पहले उसके जमीनी कार्य देख कर ही उसे आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए , काम किये तो जनता आज कल खुद ही जाग गई है , आगे बढ़ा देगी उन्हें , नहीं तो सिमट कर रह जायेंगे । २०१४ में तो मुश्किल है ( फालतू में भाजपा के जले में नमक नहीं छिड़कना चाहिए ) १९ की तैयारी कर सकते है , २७२ अपने जैसे को खोजने उन्हे चुनावी राजनीति के लिए तैयार करने और जनता में उनके प्रति भी अपनी तरह विश्वास पैदा करने में । हा बशर्ते तब तक आम आदमी बने रहे तो , कही खास बन गए तो क्या होगा :)
ReplyDeleteअब 'आम' आदमी का बने रहना बहुत आवश्यक है, सच पुछा जाए तो मुद्दतों बाद सच्चा लीडर नज़र आया है, वर्ना ऐवें के ख़ासम-ख़ास लीडरों से मन उकता गया था.। चलिए देखते हैं तेल और तेल की घार… हमलोग :)
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