तू प्यार मुझे तन्हाई कर
बस शाने पर अब रख दे सर
बस शाने पर अब रख दे सर
तू साथ है तो सब है गौहर
वर्ना है सब कंकर-पत्थर
अब कौन ग़मों का करे हिसाब
बस खुशियों पर ही रक्खो नज़र
तेरा प्यार सुलगता दिल में
और आँखों में खुशनुमा मंजर
इक सच्ची बात कही थी कल
सो आज चढ़ूँगी सूली पर
इक सच्ची बात कही थी कल
सो आज चढ़ूँगी सूली पर
बोला ही नहीं तू कितने दिन
पर बैठा रहा सिरहाने पर
गौहर = मोती
बहुत उम्दा |
ReplyDeleteनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
सच्ची बात कहनेवालों को सूली ही चढ़ना पढ़ेगा, जो बोलता नहीं वो सिरहाने ही होता है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
ReplyDeleteकोई किसी को बहुत मिस कर रहा है....ये संदेशा सही जगह पहुंचे :):)
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बच्चा किस पे गया है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबेहतरीन संग्रहणीय
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (21-10-2013)
पिया से गुज़ारिश :चर्चामंच 1405 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती आदरेया।
ReplyDeletesundar ummid :)
ReplyDeletetu baitha rah sirahne par :)
बोला ही नही तू कितने दिन पर बैठा रहा सिरहाने पर ।
ReplyDeleteवाह बहुत सुदंर।
वाह, सरल और प्यारी, सिरहाने बैठी सी रचना।
ReplyDelete