Sunday, October 20, 2013

पर बैठा रहा सिरहाने पर....

तू प्यार मुझे तन्हाई कर
बस शाने पर अब रख दे सर

तू साथ है तो सब है गौहर
वर्ना है सब कंकर-पत्थर

अब कौन ग़मों का 
करे हिसाब 
बस खुशियों पर ही रक्खो नज़र 

तेरा प्यार सुलगता 
दिल में 
और आँखों में खुशनुमा मंजर

इक सच्ची बात कही थी कल
सो आज चढ़ूँगी सूली पर

बोला ही नहीं तू कितने दिन
पर बैठा रहा सिरहाने पर 



गौहर = मोती

10 comments:

  1. सच्‍ची बात कहनेवालों को सूली ही चढ़ना पढ़ेगा, जो बोलता नहीं वो सिरहाने ही होता है।

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  2. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  3. कोई किसी को बहुत मिस कर रहा है....ये संदेशा सही जगह पहुंचे :):)

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  4. बेहतरीन संग्रहणीय

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (21-10-2013)
    पिया से गुज़ारिश :चर्चामंच 1405 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती आदरेया।

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  7. बोला ही नही तू कितने दिन पर बैठा रहा सिरहाने पर ।
    वाह बहुत सुदंर।

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  8. वाह, सरल और प्यारी, सिरहाने बैठी सी रचना।

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