Saturday, December 12, 2009

जिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो


रात का मंजर हो सितारों की कोई बात हो
जिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो

रेत पर चल कर गए जो पाँव कुछ हलके से थे
गुम निशानी है तो इशारों की कोई बात हो

नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो

आ ही जाते हैं कभी बदनाम से साए यूँ हीं
बच ही जायेंगे जो दिवारों की कोई बात हो

बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो

25 comments:

  1. आ ही जाते हैं कभी बदनाम से साए यूँ हीं
    बच ही जायेंगे जो दिवारों की कोई बात हो ..

    खूबसूरत ग़ज़ल है ........ गुंचे की तरह खिलते हुए शेर हैं ........

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  2. बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो

    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
    ब्लोगचर्चा मुन्ना भाई की
    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★

    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
    अदाजी! बेहतरिन अन्दाजे गजल, आपकी लिखाई की अदाओ के तो हम
    मुरीद हो गऎ है. अति सुन्दर! वाह! वाह! याहू!
    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥


    निचे चटका लगाऎ
    ब्लोगचर्चा मुन्ना भाई की
    हे प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई-टाईगर
    अजीब पेड
    इस महिला ब्लोगर को पहचाने

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  3. बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो


    --सुन्दर शेर निकाले हैं, बहुत बढ़िया.

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  4. नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो
    आशावादिता से भरपूर स्वर इस ग़ज़ल में मुखरित हुए हैं ।

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  5. देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो

    सुभान अल्‍लाह.

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  6. फिर छिड़ी रात बात फूलों की,
    रात है या बारात फूलों की
    फूल के हैं फूल के गजरे
    शाम फूलों की, रात फूलों की
    आपका साथ साथ फूलों का
    आपकी बात बात फूलों की...

    जय हिंद...

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  7. charansparsh di...
    shandaar gajal hai...
    ye panktiyan to churane ko jee karta hai!!!
    नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो

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  8. दीदी चरण स्पर्श

    बहुत दिंनो तक ब्लोगिंग से दूर रहा है , और आते ही आपके ब्लोग पर आ धमका , और क्या बात है , बेहतरिन रचना लगी । बधाई

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  9. दीदी चरण स्पर्श

    बहुत दिंनो तक ब्लोगिंग से दूर रहा है , और आते ही आपके ब्लोग पर आ धमका , और क्या बात है , बेहतरिन रचना लगी । बधाई

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  10. नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो
    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ....बहुत अच्छा लगा ग़ज़ल का यह सकारात्मक भाव..

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  11. बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो

    बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ...मगर इसमें क्या छिपा है जो मुझे परेशां कर रहा है ....
    कभी ना बुझे शरर इन आँखों की .....नज़ारे जो दिखे इन आँखों में ...उन्ही की बात हो ....!!

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  12. इशारों की बात खूब कही !
    शब्दों और अलविदा की बात में आप निमंत्रित हैं। खूब ध्यान से आगे पीछे का पढने के लिए।

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  13. "रात का मंजर हो सितारों की कोई बात हो"

    चारु चन्द्र की चंचल किरणें
    खेल रही हैं जल थल में
    स्वच्छ चांदनी बिछी हुई है
    अवनि और अम्बर तल में

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  14. नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो


    बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो,

    khoobsurat ghazal kahi hai..aur ye sher bahut pasand aaye.....badhai

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  15. नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो


    बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो,

    khoobsurat ghazal kahi hai..aur ye sher bahut pasand aaye.....badhai

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  16. रेत पर चल कर गए जो पाँव कुछ हलके से थे
    गुम निशानी है तो इशारों की कोई बात हो

    नाखुदा गर भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो

    लाजवाब...
    खासकर पहले वाला तो ज्यादा ही गहरा है...

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  17. sunder prastuti. bahut achchi gazal.


    nirbhay jaatav.

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  18. देखूं तेरी आँखों से उन नजारों की कोई बात हो!
    वाह बलि जाऊं इस अदा /अंदाजे बयां पर !

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  19. नाखुदा गर भूल जाये.....बहुत सुन्दर गज़ल.

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