Wednesday, April 29, 2015

सिक्कों के फर्श पर तो ये भी फिसल गए ..!

नज़रों की तमाज़त से मेरे ख़्वाब जल गए 
बेशर्म से कुछ सच थे बच के निकल गए 

अँधों के गाँव में अब मनती है दीवाली   
गूँगों की बातेँ सुन-सुन लंगड़े भी चल गए 

पत्थर तराशते थे कभी मोम के थे हाथ   
संग-संग रहे जो संग के संग में ही ढल गए

डरते थे हम कि जाएँ तो जाएँ अब कहाँ 
रस्तों ने बाहें खोल दी, रस्ते निकल गए 

ये तेरा ही असर है या है मेरा ही मिजाज़   
हम थे न ऐसे-वैसे, हम भी बदल गए  

सब कहते हैं हुकूमत, बा-बुलंद चीज़ है 
सिक्कों के फर्श पर तो ये भी फिसल गए 

कल तक उसूलों का भी, बदन गुलाब था 
ख़ुदग़र्ज़ आँच से न जाने कितने गल गए 

ज़िंदा रहेंगे जब तक, ज़िंदा रहेंगे हम 
आगे भी छले जाएँगे, कितने तो छल गए

जो कल गिरी ईमारत, वो मेरी मोहब्बत थी 
यादों के मलबे ढोकर, एहसास छिल गए  

सूरज भी रोयेगा कभी, तुम देखना ज़रूर  
मिसाल-ए-आफ़ताब अजी कितने ढल गए

तमाज़त =आग 
संग-संग =साथ-साथ 
संग=पत्थर 

Very Nice Song.....

16 comments:

  1. बहुत ही नायब पिरोया आपने शब्दों को, अब तो तेरे ब्लॉग को जानिब आना लगा रहेगा

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    1. आपका तहे दिल से शुक्रिया।

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.05.2015) को (चर्चा अंक-1962)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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    1. धन्यवाद।
      आभारी हूँ राजेन्द्र जी।

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  3. बहुत सुन्दर रचना ...
    सच्ची दी.........कितनी आसानी से इतने नाज़ुक एहसासों को लिख डाला आपने...
    बहुत प्यारी पोस्ट.

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    1. बहुत दिनों बाद तुम्हें देखकर बहुत ख़ुशी हुई भास्कर।
      ख़ुश रहो ।

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  4. "डरते थे हम कि जाएँ तो जाएँ अब कहाँ

    रस्तों ने बाहें खोल दी, रस्ते निकल गए "........बहुत खूबसूरत लगीं ये पंक्तियाँ.......

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    1. अभिषेक जी,
      आपने पसंद किया, बहुत शुक्रिया।

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  5. बहुत ख़ूब, शब्द और भाव का सुंदर संगम...

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    1. धन्यवाद हिमकर श्याम जी.…

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  6. ये तेरा ही असर है या है मेरा ही मिजाज़
    हम थे न ऐसे-वैसे, हम भी बदल गए
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ , अच्छी रचना

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    1. महेंद्र जी,
      आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  7. इसे पढ़ कर मन को शान्ति मिली । बहुत अच्छा लिखा है आपने ।

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    1. आलोक जी,
      ये मेरा सौभाग्य है। आपका धन्यवाद।

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  8. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  9. संजू जी,
    आपका धन्यवाद

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