ऐसी वाणी बोलिए, सबका आपा खोये !
राहुल भांजे ऊंट-पटांग, बाकी जनता सोये!!
पंछी करे न चाकरी, अजगर करे न काम !
राहुल बाबा छुट्टी गए करने को आराम !!
साईं इतना दीजिए, भाड़ में कुटुंब समाये !
मैं भूखा ही रहूँ, बाबों की तिजोरी भर जाय !!
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काको लागूँ पाँय !
परीक्षा के हॉल में, छात्र पिस्तौल दिखाय !!
जाति पूछो साधु की, मत पूछो जी ज्ञान !
बस आरक्षण की बात है, मेरा भारत महान !!
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय !
आरक्षण से जो पास हुए, वही पंडित सम होय !!
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय !
कजरी छाप साबुन से, छवि मलिन होय जाय !!
माया मुई और मन मुआ, मरी मरी गया सरीर !
लो आ गए जी अच्छे दिन, मत हो भाई अधीर !!
तन को जोगी सब करें, मन का जो होई सो होई !
आसा, नारायण सम बनिए, बाल न बाँका होई !!
पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात !
निर्भया गई जान से, तो कौन बड़ी है बात !!
हिन्दू कहें राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना !
जिनको मरना है मरें, नेता भरत खज़ाना !!
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर !
फ्रांस कनाडा जापान की, तभी तो करते सैर !!
बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर !
आडवाणी गुसिया गए, राजनाथ कहें हज़ूर !!
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय !
दिग्गी बाबा बुढ़ौती में, अमृता नयनन खोए !!
जहाँ दया तहाँ धर्म हैं, जहाँ लोभ तहाँ पाप !
इस हमाम में सबै हैं नंगे, अकेला नहीं है आप !!
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब !
अब प्रलय की बाट क्यों, निसदिन प्रलय हो जब !!"
राहुल भांजे ऊंट-पटांग, बाकी जनता सोये!!
पंछी करे न चाकरी, अजगर करे न काम !
राहुल बाबा छुट्टी गए करने को आराम !!
साईं इतना दीजिए, भाड़ में कुटुंब समाये !
मैं भूखा ही रहूँ, बाबों की तिजोरी भर जाय !!
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काको लागूँ पाँय !
परीक्षा के हॉल में, छात्र पिस्तौल दिखाय !!
जाति पूछो साधु की, मत पूछो जी ज्ञान !
बस आरक्षण की बात है, मेरा भारत महान !!
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय !
आरक्षण से जो पास हुए, वही पंडित सम होय !!
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय !
कजरी छाप साबुन से, छवि मलिन होय जाय !!
माया मुई और मन मुआ, मरी मरी गया सरीर !
लो आ गए जी अच्छे दिन, मत हो भाई अधीर !!
तन को जोगी सब करें, मन का जो होई सो होई !
आसा, नारायण सम बनिए, बाल न बाँका होई !!
पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात !
निर्भया गई जान से, तो कौन बड़ी है बात !!
हिन्दू कहें राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना !
जिनको मरना है मरें, नेता भरत खज़ाना !!
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर !
फ्रांस कनाडा जापान की, तभी तो करते सैर !!
बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर !
आडवाणी गुसिया गए, राजनाथ कहें हज़ूर !!
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय !
दिग्गी बाबा बुढ़ौती में, अमृता नयनन खोए !!
जहाँ दया तहाँ धर्म हैं, जहाँ लोभ तहाँ पाप !
इस हमाम में सबै हैं नंगे, अकेला नहीं है आप !!
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब !
अब प्रलय की बाट क्यों, निसदिन प्रलय हो जब !!"
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-04-2015) को "आदमी को हवस ही खाने लगी" (चर्चा अंक-1956) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
शास्त्री जी,
Deleteहृदय से आभारी हूँ।
मेरे ब्लॉग पर आकर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आभार!!
ReplyDeleteधन्यवाद संजू जी।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छा लगा।
ReplyDeleteधन्यवाद मनोज जी।
Deleteसटीक दोहे
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया ओंकार जी।
Deleteबहुत खूब। उत्कृष्ठ रचना।
ReplyDeleteमेहेरबानी कहकशां ख़ान।
Deleteमेहेरबानी मोहतरमा कहकशां ख़ान।
DeleteThanks a lot.
ReplyDeleteआपका धन्यवाद !
ReplyDeleteउत्कृष्ठ रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद भास्कर।
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