Friday, April 24, 2015

दोहों का दोहन :)

ऐसी वाणी बोलिए, सबका आपा खोये !
राहुल भांजे ऊंट-पटांग, बाकी जनता सोये!!


पंछी करे न चाकरी, अजगर करे न काम !
राहुल बाबा छुट्टी गए करने को आराम !!

साईं इतना दीजिए, भाड़ में कुटुंब समाये !
मैं भूखा ही रहूँ, बाबों की तिजोरी भर जाय !!

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काको लागूँ पाँय !
परीक्षा के हॉल में, छात्र पिस्तौल दिखाय !!

जाति पूछो साधु की, मत पूछो जी ज्ञान !
बस आरक्षण की बात है, मेरा भारत महान !!

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय !
आरक्षण से जो पास हुए, वही पंडित सम होय !!

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय !
कजरी छाप साबुन से, छवि मलिन होय जाय !!

माया मुई और मन मुआ, मरी मरी गया सरीर !
लो आ गए जी अच्छे दिन, मत हो भाई अधीर !!

तन को जोगी सब करें, मन का जो होई सो होई !
आसा, नारायण सम बनिए, बाल न बाँका होई  !!

पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात !
निर्भया गई जान से, तो कौन बड़ी है बात  !!

हिन्दू कहें राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना !
जिनको मरना है मरें, नेता भरत खज़ाना !!

कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर !
फ्रांस कनाडा जापान की, तभी तो करते सैर !!

बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर !
आडवाणी गुसिया गए, राजनाथ कहें हज़ूर !!

जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय !
दिग्गी बाबा बुढ़ौती में, अमृता नयनन खोए  !!

जहाँ दया तहाँ धर्म हैं, जहाँ लोभ तहाँ पाप !
इस हमाम में सबै हैं नंगे, अकेला नहीं है आप !!

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब !
अब प्रलय की बाट क्यों, निसदिन प्रलय हो जब !!"


16 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-04-2015) को "आदमी को हवस ही खाने लगी" (चर्चा अंक-1956) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. शास्त्री जी,
      हृदय से आभारी हूँ।

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  2. मेरे ब्लॉग पर आकर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आभार!!

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    1. दिल से शुक्रिया ओंकार जी।

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  4. बहुत खूब। उत्‍कृष्‍ठ रचना।

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    1. मेहेरबानी कहकशां ख़ान।

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    2. मेहेरबानी मोहतरमा कहकशां ख़ान।

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