आज खुशियाँ थमी क्यूँ है ?
इन आँखों में नमी क्यूँ है ?
जब रखते हो ग़मों का हिसाब
फाईलों पर धूल जमी क्यूँ है ?
ख़ुश नज़र आते हो सबको
फिर दीदों में ग़मी क्यूँ है ?
गर्म तो है मौसम बहुत मगर
यहाँ ये बर्फ़ जमी क्यूँ है
धूप में खड़े हो जाने कब से
फिर चेहरा शबनमी क्यूँ है ?
अच्छे दिन आ गए अब तो
फिर भी कुछ कमी क्यूँ है ?
इन आँखों में नमी क्यूँ है ?
जब रखते हो ग़मों का हिसाब
फाईलों पर धूल जमी क्यूँ है ?
ख़ुश नज़र आते हो सबको
फिर दीदों में ग़मी क्यूँ है ?
गर्म तो है मौसम बहुत मगर
यहाँ ये बर्फ़ जमी क्यूँ है
धूप में खड़े हो जाने कब से
फिर चेहरा शबनमी क्यूँ है ?
अच्छे दिन आ गए अब तो
फिर भी कुछ कमी क्यूँ है ?
वाह वाह!
ReplyDeleteकुछ कमी तो रहती ही है
धरती भी धूप सहती ही है
कितना भी उन्नत हो पर्वत
नदी सागर को बहती ही है