अक्टूबर २०१० |
स्कूल जाते वक्त
हाथ थाम रखा था
अपने बाबा का,
इक छोटी सी बच्ची ने,
कितना रोई थी वो
स्कूल पहुँच कर ।
मत जाओ बाबा
मुझे नहीं रहना यहाँ,
क्या आप मेरे साथ नहीं रह सकते ?
नहीं बेटा अभी मुझे जाना हैं
बहुत सारे काम निपटाना है
तुम बिल्कुल ठीक रहोगी
शाम को फिर लेने आऊंगा
बस इतना अगर सोचोगी
तो ये दिन निकल जाएगा
बाबा की कितनी प्यारी हो तुम
ये दिल तुम्हें बताएगा
मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूँगा
दूर रहूँगा तो क्या हुआ
दिल के ही पास रहूँगा
उस दिन उसकी शादी थी
वो बाबा की शहज़ादी थी
बाबा उसे देखते रहे दूर से
चली जायेगी आज
मेरी बच्ची मेरे घर से ।
छोटी लड़की ने अपने बाबा को देखा
बढ़कर आँखों से आँसू पोछा
कहा था उसने
बाबा अब मुझे जाना है
आपके आशीर्वाद से
अपना फ़र्ज़ निभाना है
लेकिन आप जब भी बुलायेंगे
मुझे अपने पास ही पायेंगे
मुझे हर काम छोड़ कर आना है
संग खुशियों के पल बिताना है
मैं आपके साथ ही रहूँगी
दूर रहूँगी लेकिन
दिल के बहुत पास रहूँगी
आज वो छोटी लड़की बैठी है
अस्पताल में
अपने बाबा का हाथ थामे हुए
अपने आंसूओं को
वो छुपाती है
कितनी बहादुर है वो
ये दिखाती है
अपने बहादुर पिता की
बहादुर बेटी है वो
कहती है, आप एकदम ठीक हो जायेंगे
फिर हम कितनी सारी खुशियाँ मनाएंगे
लेकिन उसके बाबा जानते हैं
विधि का विधान पहचानते हैं
बेटी मुझे जाना होगा
सृष्टि का नियम निभाना होगा
बाबा मत जाइए मुझे छोड़ कर
मैं बहुत अकेली रह जाऊँगी
इस दुनिया की बहुत सी बातें
शायद नहीं सह पाऊँगी
नहीं बेटा तुम बिल्कुल ठीक रहोगी
मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूँगा
दूर नहीं रहूँगा तुमसे
अब दिल में रहूँगा
हर संकट तुमसे पहले
मैं सहूंगा
तुम्हारी रगों में बहूँगा
तुम्हारे चेहरे पर सजूंगा
और अब मुझे जाना ही होगा...
लौट कर भी तो आना है.....!
हाथ थाम रखा था
अपने बाबा का,
इक छोटी सी बच्ची ने,
कितना रोई थी वो
स्कूल पहुँच कर ।
मत जाओ बाबा
मुझे नहीं रहना यहाँ,
क्या आप मेरे साथ नहीं रह सकते ?
नहीं बेटा अभी मुझे जाना हैं
बहुत सारे काम निपटाना है
तुम बिल्कुल ठीक रहोगी
शाम को फिर लेने आऊंगा
बस इतना अगर सोचोगी
तो ये दिन निकल जाएगा
बाबा की कितनी प्यारी हो तुम
ये दिल तुम्हें बताएगा
मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूँगा
दूर रहूँगा तो क्या हुआ
दिल के ही पास रहूँगा
उस दिन उसकी शादी थी
वो बाबा की शहज़ादी थी
बाबा उसे देखते रहे दूर से
चली जायेगी आज
मेरी बच्ची मेरे घर से ।
छोटी लड़की ने अपने बाबा को देखा
बढ़कर आँखों से आँसू पोछा
कहा था उसने
बाबा अब मुझे जाना है
आपके आशीर्वाद से
अपना फ़र्ज़ निभाना है
लेकिन आप जब भी बुलायेंगे
मुझे अपने पास ही पायेंगे
मुझे हर काम छोड़ कर आना है
संग खुशियों के पल बिताना है
मैं आपके साथ ही रहूँगी
दूर रहूँगी लेकिन
दिल के बहुत पास रहूँगी
आज वो छोटी लड़की बैठी है
अस्पताल में
अपने बाबा का हाथ थामे हुए
अपने आंसूओं को
वो छुपाती है
कितनी बहादुर है वो
ये दिखाती है
अपने बहादुर पिता की
बहादुर बेटी है वो
कहती है, आप एकदम ठीक हो जायेंगे
फिर हम कितनी सारी खुशियाँ मनाएंगे
लेकिन उसके बाबा जानते हैं
विधि का विधान पहचानते हैं
बेटी मुझे जाना होगा
सृष्टि का नियम निभाना होगा
बाबा मत जाइए मुझे छोड़ कर
मैं बहुत अकेली रह जाऊँगी
इस दुनिया की बहुत सी बातें
शायद नहीं सह पाऊँगी
नहीं बेटा तुम बिल्कुल ठीक रहोगी
मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूँगा
दूर नहीं रहूँगा तुमसे
अब दिल में रहूँगा
हर संकट तुमसे पहले
मैं सहूंगा
तुम्हारी रगों में बहूँगा
तुम्हारे चेहरे पर सजूंगा
और अब मुझे जाना ही होगा...
लौट कर भी तो आना है.....!
जीवन का इतना खुबसूरत संवाद वह भी पिता पुत्री के बीच बस आंसूं आ गए .अभी इससे ज्यादा नहीं ,
ReplyDeleteजाना है आना भी तो है
नहीं बेटा तुम बिल्कुल ठीक रहोगी
ReplyDeleteएक ही पंक्ति में जीवन आशा का आरोपण!
बाबा पास ही है सुक्ष्म रुप में, कहीं नहीं गए दूर।
ReplyDeleteबहादुर पिता की बहादुर बेटी, हमेशा याद रखेगी कि फर्ज निभाना है|
ReplyDeleteइस दुनिया की बहुत सी बातें
ReplyDeleteशायद नहीं सह पाऊँगी..
और फ़िर
हर संकट तुमसे पहले सहूँगा..
ओ SS...पापा..पुकारते ही हाज़िर...
साथ ही रहते हैं हमेशा..
अबोले भाव तो क्या बोले
ReplyDeleteप्रणाम.
:)
ReplyDeletehappy father's day ji