(ये मेरी पुरानी कविता है लेकिन हर दीपावली में उपयुक्त लगती है मुझे )
जन जन के धूमिल प्राणों में
मंगल दीप जले -2
तन का मंगल, मन का मंगल
विकल प्राण जीवन का मंगल
आकुल जन-तन के अंतर में
जीवन ज्योत जले
मंगल दीप जले
विष का पंक हृदय से धो ले
मानव पहले मानव हो ले
दर्प की छाया मानवता को
और व्यर्थ छले
मंगल दीप जले
आज अहम् तू तज दे प्राणी
झूठा मान तेरा अभिमानी
आत्मा तेरी अमर हो जाए
काया धूल मिले
मंगल दीप जले
सुर में यहाँ सुने ....आवाज़ 'अदा' की, स्वबद्ध 'अदा' द्वारा (थोडा इंतज़ार करना पड़ता है :))
जन जन के धूमिल प्राणों में
मंगल दीप जले -2
तन का मंगल, मन का मंगल
विकल प्राण जीवन का मंगल
आकुल जन-तन के अंतर में
जीवन ज्योत जले
मंगल दीप जले
विष का पंक हृदय से धो ले
मानव पहले मानव हो ले
दर्प की छाया मानवता को
और व्यर्थ छले
मंगल दीप जले
आज अहम् तू तज दे प्राणी
झूठा मान तेरा अभिमानी
आत्मा तेरी अमर हो जाए
काया धूल मिले
मंगल दीप जले
सुर में यहाँ सुने ....आवाज़ 'अदा' की, स्वबद्ध 'अदा' द्वारा (थोडा इंतज़ार करना पड़ता है :))
ReplyDeleteदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कल 12/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
aapko bhi
ReplyDeleteसबका मंगल, इस दीवाली,
ReplyDeleteसकल सुमंगल, इस दीवाली।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteत्यौहारों की शृंखला में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!
हमारा ऑडियो सिस्टम खराब है तो हमारा इंतज़ार थोड़े से बहुत होगा:)
ReplyDeleteदीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
सुन्दर प्रस्तुति, जन जन के धूमिल प्राणों मेंमंगल दीप जले -2 ******दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
ReplyDeleteदीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....
ReplyDeleteबहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको भी धनतेरस और दीपावली की ढेर सारी मंगलकामनाएं.
ReplyDeletebahut badhiya ...diwali ki bahut -bahut shubhkamna
ReplyDeleteभौत बढिया लगा इस गीत हो सुनकर। धन्यवाद सुनवाने के लिये।
ReplyDeleteपञ्च दिवसीय दीपोत्सव की शुभकामनायें और बधाइयां
ReplyDeleteविष का पंक हृदय से धो ले
मानव पहले मानव हो ले
दर्प की छाया मानवता को
और व्यर्थ छले
मंगल दीप जले
सुंदर भाव… सुंदर शब्दों से सजे हैं …
बहुत खूबसूरत गीत !
और आपकी आवाज़ , आपकी कंपोजीशन में सुनना …
ग़ज़ब ढा रहा है … आदरणीया स्वप्न मंजूषा शैल "अदा"जी
सच कहता हूं , आपकी छवि जो पहले ही मन में बसी हुई है … और गहरी हो गई है ।
आपके लिए कभी कहे हुए अपने ही शब्द दोहरा रहा हूं -
ऊपरवाले ने आपके गले में शहद का समुद्र उंडेल दिया क्या ?
ऐसी मिठास भी होती है क्या आवाज़ में ???
नतमस्तक हूं …
शुभकामनाओं सहित…
अति सुन्दर!
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