Sunday, November 11, 2012

जन जन के धूमिल प्राणों में, मंगल दीप जले...(दीपावली की हार्दिक शुभकामना !!!)

(ये मेरी पुरानी कविता है लेकिन हर दीपावली में उपयुक्त लगती है मुझे )

जन जन के धूमिल प्राणों में
मंगल दीप जले -2

तन का मंगल, मन का मंगल
विकल प्राण जीवन का मंगल
आकुल जन-तन के अंतर में
जीवन ज्योत जले
मंगल दीप जले

विष का पंक हृदय से धो ले
मानव पहले मानव हो ले
दर्प की छाया मानवता को
और व्यर्थ छले
मंगल दीप जले

आज अहम् तू तज दे प्राणी
झूठा मान तेरा अभिमानी
आत्मा तेरी अमर हो जाए
काया धूल मिले
मंगल दीप जले

सुर में यहाँ सुने ....आवाज़ 'अदा' की, स्वबद्ध 'अदा' द्वारा (थोडा इंतज़ार करना पड़ता है :))

15 comments:


  1. दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    कल 12/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. सबका मंगल, इस दीवाली,
    सकल सुमंगल, इस दीवाली।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    त्यौहारों की शृंखला में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. हमारा ऑडियो सिस्टम खराब है तो हमारा इंतज़ार थोड़े से बहुत होगा:)
    दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

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  5. सुन्दर प्रस्तुति, जन जन के धूमिल प्राणों मेंमंगल दीप जले -2 ******दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  6. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

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  7. दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....

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  8. बहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें

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  9. आपको भी धनतेरस और दीपावली की ढेर सारी मंगलकामनाएं.

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  10. bahut badhiya ...diwali ki bahut -bahut shubhkamna

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  11. भौत बढिया लगा इस गीत हो सुनकर। धन्यवाद सुनवाने के लिये।

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  12. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव की शुभकामनायें और बधाइयां

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  13. विष का पंक हृदय से धो ले
    मानव पहले मानव हो ले
    दर्प की छाया मानवता को
    और व्यर्थ छले
    मंगल दीप जले

    सुंदर भाव… सुंदर शब्दों से सजे हैं …
    बहुत खूबसूरत गीत !

    और आपकी आवाज़ , आपकी कंपोजीशन में सुनना …
    ग़ज़ब ढा रहा है … आदरणीया स्वप्न मंजूषा शैल "अदा"जी
    सच कहता हूं , आपकी छवि जो पहले ही मन में बसी हुई है … और गहरी हो गई है ।

    आपके लिए कभी कहे हुए अपने ही शब्द दोहरा रहा हूं -
    ऊपरवाले ने आपके गले में शहद का समुद्र उंडेल दिया क्या ?
    ऐसी मिठास भी होती है क्या आवाज़ में ???

    नतमस्तक हूं …

    शुभकामनाओं सहित…

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