Tuesday, May 17, 2011

तू दुआ सा लगता है...


काफ़िरों की महफ़िल में
तू ख़ुदा सा लगता है
बेगानों की भीड़ में इक तू
बस अपना सा लगता है
सारे बेवफ़ा लगे हैं मुझको
तू वफ़ा सा लगता है
हाथ मेरे उठ रहे हैं जानम
तू दुआ सा लगता है...

15 comments:

  1. बेहद खूबसूरत एहसास....

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  2. बहुत खुब। कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है आपने।

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  3. बहुत खूबसूरत एहसास......

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  4. प्रेम की पराकाष्टा है यह तो .... भई वाह!

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  5. वाह , बहुत ही सुंदर सरल और प्रभावित करने वाला

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  6. बेहतरीन, अप्रतिम भक्ति भाव।

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  7. बहुत ही सुन्दर …………मन को छूती अभिव्यक्ति।

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  8. पहले सुना हुआ सा लगता है:)

    आपके पास जो गागर है, जिसमें आप सागर भर लाती हैं, कुछ दिन के लिये उधार मिल जाये तो हम जैसे बड़ी बड़ी पोस्ट लिखने वालों की बहुत मेहनत बच जायेगी।

    सच्ची दुआ के लिये उठे हाथों में आफ़ताब समाया हो जैसे।

    चंद शेरों में बेहतरीन जज़्बात।

    आभार, शुभकामनायें, आमीन।

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  9. सारे बेवफ़ा लगे हैं मुझको
    तू वफ़ा सा लगता है....



    sundar rachna..........

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  10. बहुत खूबसूरत एहसास|धन्यवाद|

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  11. बेगानों की भीड़ में इक तू
    बस अपना सा लगता है

    ये अच्छी बात है.कोई तो अपना लगे

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  12. kothai aacho......anek din hoye gaye chhe.....

    lina bon ke mun aache?

    pronam.

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  13. man ki baat kahi hai aapne...

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