इतना भारी वादा।
दुश्वार हो गया है,रहना भी अब शहर में,इंसान यहाँ देखो,दरिंदों पे भारी है,बहुत खूब ... अच्छी पेशकश
तू मेरे ज़हन-ओ-दिल पर, कुछ इस तरहां तारी है,ख़ुश्बू लगाऊं कोई, लगती वो तुम्हारी है, वाह बहुत ही खूबसूरत भाव हैं\ शुभकामनायें।
इससे मिलता प्रकाश अर्श का एक शेर याद आ गयाछाया हुया चेहरा तेरा कुछ इस तरह से जहन मे खीँचूँ लकीरें जैसे भी बन जाती है तस्वीर सीशुभकामनायें
इस पर प्रकाश अर्श जी का एक शेर याद आ गया छाया हुया चेहरा तेरा कुछ इस तरह से जहन मेखीँचूँ लकीरें जैसी भी बन जाती है तस्वीर सी शुभकामनायें।
इंसान यहाँ देखो,दरिंदों पे भारी है,सच कहा आपने, आज की अराजकता को देखते हुए...:(
Aapkee rachna ne hamesha kee tarah nishabd kar diya!http://simtelamhen.blogspot.com/Is blog pe maine aap beetee likhee hai...aapkee salah kee aasha kartee hun...
इंसान यहाँ देखो,दरिंदों पे भारी है,बहुत खूब,आपको अनेकोनेक बधाई।मार्कण्ड दवे।nttp://mktvfilms.blogspot.com
इंसान यहाँ देखो दरिंदों पर भारी है ...मगर फिर भी कोई तो है , जिससे मिलने का ऐसा वादा लिया है !
बहुत खूब ... लाजवाब नज़्म है ...
तू मेरे ज़हन-ओ-दिल पर, कुछ इस तरहाँ तारी है,ख़ुश्बू लगाऊं कोई, लगती वो तुम्हारी है,ग़र हम अब मिले तो,रुसवा ये इश्क होगा, अगले जन्म में तुमसे, मिलने की तैयारी है...बहुत बढ़िया है, अदा जी.
बहुत अच्छी नज़्म.... सादर...
सच में बहुत अच्छा लिखती हैं आप। खुशनसीब है वो ’जो इस तरहाँ तारी है’
इतना भारी वादा।
ReplyDeleteदुश्वार हो गया है,
ReplyDeleteरहना भी अब शहर में,
इंसान यहाँ देखो,
दरिंदों पे भारी है,
बहुत खूब ... अच्छी पेशकश
तू मेरे ज़हन-ओ-दिल पर,
ReplyDeleteकुछ इस तरहां तारी है,
ख़ुश्बू लगाऊं कोई,
लगती वो तुम्हारी है,
वाह बहुत ही खूबसूरत भाव हैं\ शुभकामनायें।
इससे मिलता प्रकाश अर्श का एक शेर याद आ गया
ReplyDeleteछाया हुया चेहरा तेरा कुछ इस तरह से जहन मे
खीँचूँ लकीरें जैसे भी बन जाती है तस्वीर सी
शुभकामनायें
इस पर प्रकाश अर्श जी का एक शेर याद आ गया
ReplyDeleteछाया हुया चेहरा तेरा कुछ इस तरह से जहन मे
खीँचूँ लकीरें जैसी भी बन जाती है तस्वीर सी
शुभकामनायें।
इंसान यहाँ देखो,
ReplyDeleteदरिंदों पे भारी है,
सच कहा आपने, आज की अराजकता को देखते हुए...:(
Aapkee rachna ne hamesha kee tarah nishabd kar diya!
ReplyDeletehttp://simtelamhen.blogspot.com/
Is blog pe maine aap beetee likhee hai...aapkee salah kee aasha kartee hun...
इंसान यहाँ देखो,
ReplyDeleteदरिंदों पे भारी है,
बहुत खूब,आपको अनेकोनेक बधाई।
मार्कण्ड दवे।
nttp://mktvfilms.blogspot.com
इंसान यहाँ देखो दरिंदों पर भारी है ...
ReplyDeleteमगर फिर भी कोई तो है , जिससे मिलने का ऐसा वादा लिया है !
बहुत खूब ... लाजवाब नज़्म है ...
ReplyDeleteतू मेरे ज़हन-ओ-दिल पर,
ReplyDeleteकुछ इस तरहाँ तारी है,
ख़ुश्बू लगाऊं कोई,
लगती वो तुम्हारी है,
ग़र हम अब मिले तो,
रुसवा ये इश्क होगा,
अगले जन्म में तुमसे,
मिलने की तैयारी है...
बहुत बढ़िया है, अदा जी.
बहुत अच्छी नज़्म....
ReplyDeleteसादर...
सच में बहुत अच्छा लिखती हैं आप। खुशनसीब है वो ’जो इस तरहाँ तारी है’
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