Tuesday, May 7, 2013

क्यों झाँकना नज़र में ये, नक़ाब जैसा है...


फ़िलहाल ये मेरी आखरी पोस्ट है। लौट कर आऊँगी लेकिन कब आऊँगी मालूम नहीं। आज ही निकल रही हूँ होलैंड और उसके बाद भारत के लिए। शायद आ पाऊं ब्लॉग पर या शायद न भी आ पाऊं। जो भी है आप सभी को हैपी-हैपी ब्लॉग्गिंग। कोई टंकी-वंकी  पर नहीं चढ़ रही हूँ, बस एक बार फिर बीजी होने वाली हूँ। तो मिलते हैं एक छोटे/लम्बे ब्रेक के बाद :):)
जब भी लौट कर आऊँगी यहीं आऊँगी :) 

मिला जब वो प्यार से, तो गुलाब जैसा है
आँखों में जब उतर गया, शराब जैसा है

खामोशियाँ उसकी मगर, हसीन लग गईं 
कहने पे जब वो आया तो, अज़ाब जैसा है

करके नज़ारा चाँद का, वो ख़ुश बहुत हुआ 
ख़बर उसे कहाँ वो, आफ़ताब जैसा है

करते रहो तुम बस्तियाँ, आबाद हर जगह  
इन्सां यहाँ इक छोटा सा, हबाब जैसा है

कुछ दोस्ती, कुछ प्यार, कुछ वफ़ा छुपा लिया
क्यों झाँकना नज़र में ये, नक़ाब जैसा है

अज़ाब=ख़ुदा का क़हर या नाराज़गी
आफ़ताब = सूरज
हबाब=बुलबुला  


आओ हुज़ूर तुमको सितारों में ले चलूँ ...आवाज़ 'अदा' की ..

15 comments:

  1. वाह,कनाडा से यह डिपार्टिंग ग़ज़ल है -भारत में आपका स्वागत है!

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  3. ओ जाने वाले
    लौट के आना
    जल्दी
    फौरन से पेश्तर
    सादर

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  4. पता नहीं यहाँ का कमेन्ट कहाँ चला गया ? :-((
    जोरदार - कानाड़ा से विदाई ग़ज़ल -अब भारत में मिलगें -स्वागतम !

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  5. "इन्सां यहाँ इक छोटा सा, हबाब जैसा है" बहुत सुन्दर रचना. होलैंड सुन्दर देश है आपका सफ़र सुखमय हो.

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  6. wah ! kya baat hai ......kya khoob likha hai

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  7. बाह क्या बात है ,भारत में स्वागत है
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post'वनफूल'

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  8. बहुत सुंदर..... यात्रा के लिए शुभकामनायें

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  9. मिला जब वो प्यार से, तो गुलाब जैसा है
    आँखों में जब उतर गया, शराब जैसा है

    बहुत अच्छा लगा...

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  10. करते रहो तुम बस्तियाँ, आबाद हर जगह
    इन्सां यहाँ इक छोटा सा, हबाब जैसा है

    कुछ दोस्ती, कुछ प्यार, कुछ वफ़ा छुपा लिया
    क्यों झाँकना नज़र में ये, नक़ाब जैसा है

    MOST WELCOME IN INDIA LET ME KNOW YOUR PRESENCE 9827883541
    PLEASE DO VISIT AKALTARA C.G. MAIN STOPPAGE BOMBAY HOWARA ROUTE..

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  11. आने वाली व्यस्तता के लिये शुभकामनायें...

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  12. Thanks for finally writing about > "क्यों झाँकना नज़र में ये, नक़ाब जैसा है..." < Loved it!

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  13. वाह! क्या खूब बात कही आपने । यह रचना मन को छु गई । बधाई । सस्नेह

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